नई दिल्ली। देश में ही बने लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना प्रोटोटाइप ने आज विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर ‘डेक लैंडिंग’ के परीक्षण के दौरान डेक से संपर्क बनाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की। इसके साथ ही भारत लड़ाकू विमानों की डेक लैंडिंग कराने वाले अमरीका, यूरोप, रूस और चीन जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया।
नौसेना के प्रवक्ता ने टि्वट किया कि एलसीए नेवी (एनपी 2) ने विमानवाहक पोत पर हुक प्रणाली से लैंडिंग के लिए गोवा में गुरुवार को पहली उडान भरी।
हिन्दुस्तान ऐनोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भी एक वक्तव्य जारी कर कहा कि इस सफल अभ्यास के बाद भारत डेक लैंडिंग कराने वाले दुनिया के चुनिंदा देशों अमरीका, यूरोप, रूस और चीन की श्रेणी में शामिल हो गया।
कैप्टन शिवनाथ दहिया ने गोवा में नौसैनिक स्टेशन आईएनएस हंसा में तेजस का विमानवाहक पोत के डेक से सफलतापूर्वक संपर्क कराया और तुरंत फिर से उडान भरी। यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा। इस परीक्षण का एचएएल के वरिष्ठ अधिकारियों ने गहन निरीक्षण किया।
डेक लैंडिंग में विमान के पिछले हिस्से में एक हुक बंधा होता है जो विमानवाहक पोत पर उतरने के दौरान डेक पर बंधे तार में अटककर विमान की गति को चंद सेंकेंड में धीमा कर उसे रोकने में मदद करता है।
सूत्रों के अनुसार आज के परीक्षण के बाद अब तेजस विमान के दो नौसेना प्रोटोटाइप अगले महीनोंं में डेक लैंडिंग का गहन परीक्षण करेंगे।