बलरामपुर। नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश में बलरामपुर के गैसडी क्षेत्र में दरिंदो के हवस का शिकार बन अपनी जान गवां चुकी दलित युवती कानून की पढाई कर वकील बनना चाहती थी।
पारिवारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यहां बताया कि 22 वर्षीय बेटी कानून की पढाई कर वकील बनना चाहती थी। बेटी के सपनों को परिवार के लोग भी उडान देना चाहते थे।लेकिन नियति को शायद यह मंजूर नही था। परिजनों ने बताया कि पीड़िता स्नातक की छात्रा थी। मंगलवार को वह बीकाम द्वितीय वर्ष में प्रवेश लेने के लिए घर से निकली थी। कालेज से लौटते समय दरिंदों ने युवती को अगवाकर उसे अपने हवस का शिकार बनाया।
उन्होंने बताया कि दरिंदों ने उसे नशे का इंजेक्शन भी लगाया था। घर पहुची पीडिता के हाथ में ग्लूकोज चढाने के लिए उसके हाथों में वीगो लगा हुआ था। उसकी हालत को देखकर परिजन के होश उड गए। उपचार के लिए ले जाने के दौरान पीडिता ने दम तोड़ दिया।
उन्होंने बताया कि पीड़िता परिवार के बोझ को संभाल रही थी। वह पढ़ाई से समय निकाल कर एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी भी करती थी। उसके हौसले और हिम्मत पर पूरे परिवार को नाज था। बेटी के सपने को सोच कर घटना के चार दिन बाद भी परिवार की आंखे नम है। मां का रो रोकर बुरा हाल है। घटना के बाद पूरे गांव में उदासी का मजंर है। सियासी दलों के नेताओं के आश्वासनों और गांव में पुलिस की तैनाती के चलते ने गांव वासियों में दहशत का माहौल है।
पुलिस ने परिवार की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर दो नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उधर, इस मामले को लेकर जिले में सियासी सरगर्मिया तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पार्टी के स्थानीय नेता इस तरह की घटना के लिए सरकार को जिम्मेदार मान रहे हैं।
पूर्व मंत्री डा एसपी यादव ने बताया कि हाथरस और बलरामपुर जिले मे सामूहिक बलात्कार जैसी घटनाओं पर सरकार पर्दा डालने की कोशिश कर रही है। जबकि हकीकत यह है कि सूबे की सरकार अपराध नियंत्रण के मामले मे पूरी तरह फेल हो चुकी है। सामाजिक संस्थाओ के लोगों ने कैंडल मार्च निकाल कर घटना पर रोष व्यक्त किया है और दोषियों को सजा एवं परिवार को न्याय की मांग की है।
पुलिस अधीक्षक देवरंजन वर्मा ने बताया कि इस मामले में दो नामजद आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस विधिक कार्रवाई कर रही है। पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा और मौके पर शान्ति व्यवस्था कायम है।