हैदराबाद। देश भर में बैंकों के 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार से दो दिवसीय हड़ताल पर चले गये जिसके कारण कामकाज पर खासा असर पड़ा।
नौ बैंक यूनियन के संयुक्त मंच यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) की ओर से 11 सूत्री मांग को लेकर आहूत हड़ताल में एआईबीइए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्लू और एनओबीओ यूनियन शामिल हुए हैं।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीइए) के महासचिव सीएच वेंकेटचलम ने मीडिया को बताया कि जिस तरह से देशभर से रिपोर्ट मिल रही है, खासकर तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, कर्नाटक, केरल और बिहार जैसे राज्यों में बैंकिग सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। उन्होंने कहा कि हड़ताल पूरी तरह सफल है।
उन्होंने बताया कि अधिकांश बैंकों की शाखाएं बंद हैं। बैंकों में कोई लेनदेन नहीं होगा। कई एटीएम भी काम नहीं कर रहे हैं। चेक का भुगतान भी नहीं हो सकेगा।
वेंकेटचलम ने कहा कि मुंबई, चेन्नई और दिल्ली के क्लियरिंग ग्रिड्स में हड़ताल के कारण 23000 करोड़ रुपये की कीमत के कुल 31 लाख चेक फंसे हुए हैं।
वेंकटचलम ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्रों में बैंक कर्मियों का वेतन संशोधन नवंबर 2017 से लंबित है। यद्यपि इसको लेकर पिछले 30 महीनों से चर्चा भी जारी है लेकिन बढ़ती मंहगाई तथा कर्मचारियों पर काम का भारी बोझ होने के बावजूद बैंक प्रबंधन और भारतीय बैंक संघ(आईबीए) कर्मचारियों की तनख्वाह वृद्धि की मांगों को पूरा करने के लिए आगे नहीं आया।
मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) राजन वर्मा ने यूएफबीयू प्रतिनिधियों और आईबीयू कर्मचारियों के साथ 27 जनवरी को हुई बैठक में बैंक कर्मचारियों की मांगों को लेकर सहमति बनाने की कोशिश तो की गयी लेकिन चर्चा किसी नतीजे पर नहीं पहुंची इसलिए श्री वर्मा ने आईबीए को हड़ताल से पूर्व यूनियनों से सीधी बातचीत करने का सुझाव दिया।
आईबीए और बैंक यूनियनों के बीच गुरुवार को मुंबई में चली आखिरी दौर की बातचीत में मांगों पर सहमति नहीं बन सकी।
आईबीईए महासचिव ने बताया कि यूनियनों ने 31 जनवरी से एक फरवरी तक दो दिवसीय हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
यूएफबीयू ने भी मांगे पूरी नहीं होने पर 11 मार्च से तीन दिन तक और 1 अप्रैल से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
बैंक यूनियनों की प्रमुख मांगों में वेतन में कम से कम 20 प्रतिशत की वृद्धि, बैंकों में हफ्ते में पांच दिन ही कार्य, नयी पेंशन योजना को निरस्त करना, बेसिक वेतनमान में विशेष भत्ते को भी जोड़ा जाना तथा परिवार को मिलने वाली पेंशन में सुधार करना शामिल है।