लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बैंककर्मियों की बुधवार से शुरू हुई दो दिन हड़ताल से बैंकिंग व्यवस्था पर जहां बुरा असर पड़ा है वही कारोबारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यूनाइटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) और केन्द्र सरकार के बीच हड़ताल को टालने के बुलाई गई बातचीत असफल हाेने का बाद बैंककर्मियों ने 30 मई से दो दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला किया था।
21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा दो दिवसीय हड़ताल के बाद उत्तर प्रदेश में बैंकिंग सेवा बूरी तरह चरमरा गई है। यूएफबीयू के बैनर के तले राज्य के कई शहरों में बैंक श्रमिकों ने विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदेश में सभी बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। राष्ट्रीय कर्मचारी संघ, के प्रदेश, महासचिव के के सिंह ने आज यहां बताया कि बैंकों की सभी शाखाएं बंद हैं लेकिन ऑनलाइन सेवाएं प्रभावित नहीं होंगी।
उन्होने बताया कि एक हजार शाखाओं के एक लाख से अधिक बैंक कर्मी हड़ताल पर है। लखनऊ में 10 हजार से अधिक बैंक कर्मी हड़ताल में शामिल है। हालांकि, आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस और कोटक महिंद्रा जैसे निजी बैंकों में कार्य सामान्य ढ़ग से चल रहा है।
इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने कहा कि बैंकों में सरकार से कर्मचारियों की वेतन बृद्धि के मामले में कई दौर की बातचीत हुई थी। सरकार वेतन में दो प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि किए जाने के पक्ष में नहीं थी। हालांकि, बैंक यूनियनों ने तर्क दिया कि वेतन वृद्धि बैंकों द्वारा दिए ऋण संबंधी चीजों को नहीं जोड़ना चाहिए। 2012 में बैंक कर्मचारियों को 15 प्रतिशत वेतन वृद्धि मिली थी। यूनियनों को इस बार भी बेहतर वेतन वृद्धि की उम्मीद की थी।