अजमेर। सांप्रदायिक सौह्रार्द की नगरी अजमेर में स्थित महान सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की बारगाह में आज बसंत का गुलदस्ता पेश किया गया।
इस दौरान बसंत के गीतों से पूरी दरगाह एवं आस्ताना गूंज उठा। बसंत पंचमी के मौके पर दरगाह के निजाम गेट से शाही कव्वालों की सवारी सरसों के फूलों का पीला गुलदस्ता लेकर बारगाह में हाजिर हुई और मजार शरीफ पर गुलदस्ता पेश किया।
इस दौरान शाही कव्वाल असरार हुसैन की सदारत में पीले फूलों का गुलदस्ता हाथ में लिए अमीर खुसरो के लिखे कलाम, ‘आज बसंत मना ले सुहागिन, नाजो अदा से झूम ले, ख्वाजा की चौखट चूम ले, बसंत फूलों के गड़वे हाथ ले, गाना बजाना साथ ले, क्या खुशी और ऐश का समान लाती है बसंत, ख्वाजा मोईनुद्दीन के घर आज आती है बसंत’ कव्वाली गाते हुए जुलूस के रूप में आहता-ए-नूर तक पहुंचे और ख्वाजा साहब की मजार पर गुलदस्ता पेश करके मुल्क में कौमी एकता, भाईचारा, अमन चैन व खुशहाली की दुआ की गई।
इस दौरान शाही कव्वालों के अलावा दरगाह कमेटी, खुद्दाम-ए-ख्वाजा व आम जायरीन बसंत के रंग में नजर आए। ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार में हजारों मुस्लिम एवं हिंदू उपस्थित रहे।
इनके अलावा अंजुमन यादगार के सदर जरार चिश्ती, दरगाह कमेटी के सहायक नाजिम डॉ. मोहम्मद आदिल, दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन के पुत्र दीवान नसीरुद्दीन, खादिम एस.एफ. हसन चिश्ती सहित कई नुमाइंदे उपस्थित रहे। इस दौरान हिंदू मुस्लिम एकता का नजारा देखते ही बनता था। उल्लेखनीय है कि ख्वाजा गरीब नवाज के 807वें सालाना उर्स के झंडे की रस्म तीन मार्च को होने जा रही है।