बेंगलूरु। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र प्रधान ने मंंगलवार को आयोजित भाजपा विधायक दल की बैठक में बसवराज बोम्मई को कर्नाटक का नया मुख्यमंत्री घोषित किया।
प्रधान ने कहा कि वरिष्ठ नेता एवं हमारे कप्तान बीएस येदियुरप्पा द्वारा प्रस्तावित और गोविंद करजो, अशोक, केएस ईश्वरप्पा द्वारा समर्थित बसवराज बोम्मई हमारे नवनिर्वाचित विधायक दल के नेता और नए मुख्यमंत्री होंगे। बोम्मई बुधवार सुबह 10 बजे राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
प्रधान के बोम्मई के नाम की घोषणा करने से पहले, निवर्तमान मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने विधायक दल के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में, विधायक दल के नेता, दूसरे शब्दों में, मैं अगले मुख्यमंत्री के रूप में बसवराज बोम्मई के नाम का प्रस्ताव करता हूं और मैं आपसे उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने का अनुरोध करता हूं।
बैठक के बाद येदियुरप्पा ने संवाददाताओं को बताया कि बोम्मई का नाम विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्तावित किया गया। उन्होंने कहा कि केवल बसवराज बोम्मई का नाम प्रस्तावित किया गया था और यह केवल भाजपा में ही संभव है। हमने यह काम बहुत सफल तरीके से किया है। मैं केंद्रीय नेताओं और धर्मेंद्र प्रधान को बैठक को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि राज्य का सौभाग्य है कि बोम्मई इसके मुख्यमंत्री बन रहे हैं। उनके पिता एसआर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने विश्वास जताया कि पार्टी उनके नेतृत्व में आगे बढ़ेगी और अगले विधानसभा चुनाव में 130 से 135 सीटें जीतेगी येदियुरप्पा के इस्तीफा देने के बाद से ही बोम्मई का नाम मुख्यमंत्री पद की दावेदारी में सबसे आगे चल रहा था।
पार्टी के संसदीय बोर्ड ने प्रधान और जी. किशन रेड्डी को विधायक दल की बैठक की निगरानी के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। दोनों नेता शाम करीब पांच बजे बैठक के लिए बेंगलूरु पहुंच गए थे।
बोम्मई की तरह येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। यह समुदाय 1990 से भाजपा का समर्थक रहा है। कर्नाटक की आबादी में इसका हिस्सा लगभग 17 प्रतिशत है। राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 90 से 100 सीटों पर लिंगायतों का दबदबा है। इस वजह से भाजपा के लिए इस समुदाय से नया मुख्यमंत्री चुनना बेहद अहम था।
येदियुरप्पा पहली बार 12 नवंबर 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने, लेकिन सात दिन बाद 19 नवंबर 2007 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 30 मई 2008 को वे दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार उन्होंने भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के कारण चार अगस्त 2011 को इस्तीफा दे दिया।
वह 17 मई 2018 को तीसरी बार मुख्यमंत्री बने और फिर छह दिन बाद 23 मई 2018 को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने 26 जुलाई 2019 को चौथी बार मुख्यमंत्री का पदभार भी संभाला और ठीक दो साल बाद इस्तीफा दे दिया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद से ही येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलें तेज हो गई थी। खास तौर पर, येदियुरप्पा खेमे की सक्रिय सांसद शोभा करंदलाजे को इस बार नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल किये जाने के बाद माना जा रहा था कि येदियुरप्पा ने अपने इस्तीफे के लिए केंद्रीय नेतृत्व के सामने जो शर्तें रखी थीं, उनमें से एक यह भी थी।
इसके बाद येदियुरप्पा 16 जुलाई को दिल्ली पहुंचे और मोदी से मुलाकात की। इस आपात बैठक ने येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलों को हवा दी। इसके बाद उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की थी।