मुंबई। अगले महीने होने वाले राष्ट्रीय अंडर-16 क्रिकेट टूर्नामेंट विजय मर्चेंट ट्रॉफ़ी में उम्र का घपला करने वाले खिलाड़ियों की संख्या बढ़ने की संभावना बढ़ गई है क्योंकि बीसीसीआई के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिजीत साल्वी ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उनके ऊपर ही खिलाड़ियों के उम्र परीक्षण और सत्यापन की ज़िम्मेदारी थी।
पता चला चला है कि उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सीरीज़ ख़त्म होने के बाद 7 दिसंबर को ही इस्तीफ़ा दे दिया था। हालांकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इस सूचना को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है।
इसके अलावा बोर्ड की तरफ़ से उनके जगह को भरने के लिए कोई विज्ञप्ति भी नहीं जारी की है। इससे सवाल उठता है कि अगले महीने 9 जनवरी से होने वाले 36 टीमों के राष्ट्रीय अंडर-16 टूर्नामेंट में खिलाड़ियों का उम्र परीक्षण और सत्यापन कौन करेगा?
साल्वी को ‘बोन डेंसिटी टेस्ट’ के लिए जाना जाता है, जिससे कलाइयों के हड्डी से किसी के भी असल उम्र का पता लग सकता है। इसे TW3 मेथड भी कहते हैं। अगर बीसीसीआई किसी चिकित्सा अधिकारी की नियुक्ति नहीं करता है, तो इस टूर्नामेंट में उम्र की धांधली करने वाले खिलाड़ियों की संख्या बढ़ सकती है और योग्य खिलाड़ी भी प्रतियोगिता से बाहर हो सकते हैं। इससे भविष्य में उनके अंडर-19 खेलने पर भी ख़तरा मंडरा सकता है।
भारत के वर्तमान कोच और युवा खिलाड़ियों के साथ लंबा समय गुज़ार चुके राहुल द्रविड़ ने उम्र-सीमा में होने वाली धांधली को भारतीय क्रिकेट के लिए एक ‘जहरीली प्रक्रिया’ कहा था।
उल्लेखनीय है कि साल्वी 2012 में बोर्ड के साथ जुड़े थे और बोर्ड की मेडिकल टीम में वन मैन आर्मी थे। मेडिकल टीम के साथ-साथ उन पर एंटी डोपिंग विंग का भी प्रभार था। वह इस साल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में हुए टी20 विश्व कप के भी मुख्य चिकित्साधिकारी थे।
वह भारत के पिछले ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका दौरे पर टीम डॉक्टर भी थे। हालांकि दक्षिण अफ़्रीका दौरे पर वह नहीं जाने वाले थे और बोर्ड ने चार्ल्स मिंज़ को इस दौरे के लिए टीम डॉक्टर नियुक्त किया है।
कोरोना महामारी के दौरान साल्वी की ज़िम्मेदारियां और बढ़ गई थी। उन्हें आईपीएल सहित भारत में होने वाले हर तरह के क्रिकेट के लिए बॉयो सिक्योर बबल बनाने की ज़िम्मेदारी मिली थी।