नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के विवादित अंतरधार्मिक विवाह मामले में मुस्लिम पुरुष को वफादार पति और अच्छा प्रेमी होने की सीख देते हुए बुधवार को कहा कि वह संबंधित महिला के भविष्य का फिक्रमंद है।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम केवल उसके (महिला के) भविष्य को लेकर चिंतित हैं। हम अंतरधार्मिक या अंतरजातीय विवाह के खिलाफ नहीं हैं। पुरुष को एक वफादार पति और अच्छा प्रेमी होना चाहिए।
गाैरतलब है कि एक हिंदू महिला ने एक मुस्लिम पुरुष से विवाह किया था। पुरुष ने स्वीकार किया कि महिला के परिवार से स्वीकृति पाने के लिए वह हिंदू धर्म भी स्वीकार कर चुका है। वहीं, महिला के परिवार ने उसके धर्म परिवर्तन को मात्र छलावा करार दिया है।
पीठ ने पुरुष से एक शपथपत्र और प्रमाणपत्र जमा करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत ने पुरुष से पूछा कि क्या उसने आर्य समाज मंदिर में शादी के बाद अपना नाम बदल लिया है और इसके लिए उसने उचित कानूनी कदम उठाए हैं।
महिला के पिता के वकील ने कहा कि यह लड़कियों को फंसाने वाला गोरखधंधा है। इस मामले में शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है और लड़की को हस्तक्षेप के आवेदन की अनुमति दी है।