चंडीगढ़। चंडीगढ़ की एक विशेष अदालत ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड मामले में आतंकी जगतार सिंह तारा को दोषी करार दिए जाने के बाद शुक्रवार को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
केंद्रीय जांच ब्यूरो के विशेष जज एवं अतिरिक्त जिला एवं सत्र जज जेएस सिद्धू ने स्थानीय बुड़ैल जेल में इस मामले में स्थापित की गई अदालत में यह फैसला सुनाया। तारा ने 25 जनवरी 2018 को दिए गए छह पन्ने के अपने बयान में पूर्व मुख्यमंत्री की हत्या का अपराध कबूल कर लिया था और कहा था कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।
मामले की नौ मार्च को हुई सुनवाई में जज ने तारा को उसकी बेगुनाही साबित करने के लिए गवाह पेश करने को कहा था लेकिन उसने इससे इनकार करते हुए कहा कि वह अपने 25 जनवरी 2018 के बयान पर ही कायम है। अदालत में 16 मार्च को इस मामले की फिर से हुई सुनवाई में अदालत ने तारा को दोषी करार दिया गया और सजा के लिए 17 मार्च की तारीख तय की थी।
उल्लेखनीय है पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर 31 अगस्त 1995 को हुए आतंकियों ने एक मानव बम बिस्फोट कर बेअंत सिंह की हत्या कर दी थी। इस घटना में 17 अन्य लोग भी मारे गये थे जिनमें पंजाब पुलिस का कांस्टेबल दिलावर सिंह भी शामिल था जो मानव बम बना था।
तारा को सजा सुनाए के मद्देनज़र बुड़ैल जेल बाहर पुलिस बल तैनात कर कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किये गए थे। इसके बावजूद जेल के बाहर बड़ी संख्या में पहुंचने में सफल रहे उसके समर्थकों ने खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। हालांकि पुलिस ने इन्हें खदेड़ दिया।
शातिर आतंकी तारा ने ही वह एम्बेसडर कार खरीदी जिसमें वह मानव बम दिलावर सिंह को लेकर पंजाब सचिवालय गया था। उसे सितम्बर 1995 में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। मामले के ट्रायल के दौरान वह 21-22 जनवरी 2004 की रात को जेल में लगभग 94 फुट सुरंग खोद कर इस मामले में दो अन्य आतंकियों जगतार सिंह हवारा और परमजीत सिंह भ्यौरा के फरार हो गया था।
हवारा और भ्यौरा को बाद में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था लेकिन तारा देश से बाहर चला गया। उसे बाद में इंटरपोल की मदद से लगभग पांच जनवरी 2015 को थाईलैंड में गिरफ्तार कर भारत लाया गया था और पुन: इसी जेल में रखा गया था। उस पर हत्या, हत्या का प्रयास और आपराधिक षडयंत्र रचने के तहत मामला दर्ज किया गया था।
इससे पूर्व अतिरिक्त जिला एवं सत्र जज रवि कुमार सोंधी ने इस मामले में 31 जुलार्इ 2007 में छह आरोपियों को दोषी करार देते हुये इनमें से आतंकी जगतार सिंह हवारा और बलवंत सिंह राजोआना को फांसी, शमशेर सिंह, लखविंदर सिंह और गुरमीत सिंह को उम्रकैद और नसीब सिंह को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इस मामले में सातवें आरोपी नवजोत सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
हवारा ने बाद में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की गुहार लगाई थी जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुये उसकी मौत ही सज़ा को अक्तूबर 2012 में आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था। राजोआना ने अपनी सज़ा को चुनौती नहीं दी थी लेकिन केंद्र सरकार ने बाद में उसे फांसी देने पर रोक लगा दी थी।
अदालत ने इस मामले में एक और अभियुक्त परमजीत सिंह भ्यौरा को भी दोषी करार देेते हुए 31 मार्च 2010 को मृत्युदंड की सज़ा सुनाई गई थी।