नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बब्बर खालसा के आतंकवादी बलवंत सिंह राजोआना की फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने की याचिका बुधवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति बीआर गवाई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने राजोआना को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि संबंधित पक्ष के फिर से अनुरोध करने पर सक्षम प्राधिकरण (अथॉरिटी) उचित समय पर विचार कर सकता है।
न्यायमूर्ति बीआर गवाई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में कहा कि राजोआना की दया याचिका पर फैसला करने में देरी को उसकी सजा कम करने की अनिच्छा के रूप में माना जा सकता है। शीर्ष अदालत ने राजोआना की सजा कम करने की याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद दो मार्च 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इकतीस अगस्त वर्ष 1995 को विस्फोट करके पूर्व मुख्यमंत्री समेत 18 लोगों की गई हत्या के इस मामले में गिरफ्तार राजोआना पिछले 26 सालों से अधिक समय से जेल में बंद है। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय और फिर सुप्रीमकोर्ट से निराशा हाथ लगने के बाद राजोआना ने अपनी दया याचिका 2012 दायर की थी। तब से लंबित रहने को आधार बताते हुए 2020 में उसने अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की गुहार शीर्ष अदालत के समक्ष लगाई थी।
विशेष अदालत ने पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही राजोआना को पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य की हत्या के मामले में एक अन्य आतंकवादी जगतार सिंह हवारा को 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। वर्ष 1995 में चंडीगढ़ में पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर एक विस्फोट में तत्कालीन मुख्यमंत्री और 17 अन्य लोग मारे गए थे।