राष्ट्रीय गौरव का पल था जब दिव्यांगों की भारतीय क्रिकेट टीम ने सिंगापुर दौरे के दौरान सिंगापुर क्रिकेट टीम पर जीत हासिल की थी। टीम ने मजबूत ताकत, दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया। फिर भी तकलीफ की बात यह है कि आज भी समाज में दिव्यांगों को लेकर एक किस्म का रूढ़िवादी सोच बरकरार है।
2011 की जनगणना के अनुसार देश में 26,810,557 से अधिक लोग (पुरुष और महिलाएं) दिव्यांग हैं। शहरी और ग्रामीण इलाकों में पुरुष दिव्यांगों का अनुपात महिलाओं से काफी अधिक है। ग्रामीण भारत के आंकडे बताते हैं कि पुरुष दिव्यांगों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है जबकि महिलाओं की संख्या 8 करोड़ से अधिक है। शहरी भारत में दिव्यांग पुरुषों की संख्या लगभग 4 करोड़ है और महिलाएं तीन करोड़ से अधिक हैं।
ग्रामीण और शहरी भारत में 60.21 प्रतिशत रोजगार की तुलना में 63.66 प्रतिशत दिव्यांग लोग बेरोजगार हैं। जनगणना में अक्षमता की आठ श्रेणियों का उल्लेख किया गया है – देखना, सुनना, बोलना, चलना-फिरना, मानसिक मंदता, मानसिक बीमारी, कई बीमारियां और विभिन्न दिव्यांगताएं।
सामाजिक-आर्थिक फासले के कारण दिव्यांग लोगों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना हमेशा एक चुनौतीपूर्ण काम रहा है। कुछ एनजीओ और कुछ बडी हस्तियां सरकार की मदद के साथ इस दिशा में आगे आ रही हैं। शारीरिक चुनौतियों से पीड़ित व्यक्तियों को सामाजिक समावेश, सशक्तिकरण, आर्थिक स्वतंत्रता के साथ-साथ उसे उसके अधिकारों के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। डिजिटल प्रशिक्षण, मोबाइल रिपेयरिंग, सिलाई ट्रेनिंग आदि के लिए सरकार और एनजीओ द्वारा कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
नारायण सेवा संस्थान दिव्यांगों के लिए हार्डवेयर और नेटवर्किंग, मोबाइल और उपकरणों की मरम्मत की ट्रेनिंग देता है। इसके साथ ही बुनियादी उपकरण की किट भी प्रदान करता है और महिलाओं को प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद निशुल्क सिलाई मशीन भी उपलब्ध कराता है।
वर्ष 2011 से नारायण सेवा संस्थान ने अलग-अलग पाठ्यक्रमों के जरिए 8,750 दिव्यांग लोगों को कौशल प्रदान किया है, इनमें 2,875 लोगों को मोबाइल रिपेयरिंग 3,045 लोगों को सिलाई संबंधी ट्रेनिंग और 2,830 लोगों को कंप्यूटर हार्डवेयर का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षण के बाद अपना खुद का स्टार्टअप व्यवसाय स्थापित करने के लिए मुफ्त प्रमाणपत्र और उपकरण एनजीओ की ओर से प्रदान किए जाते है। पिछले 33 वर्षों में एनएसएस ने 3.7 लाख से ज्यादा रोगियों का ऑपरेशन किया है।
नारायण सेवा संस्थान सहायता और उपकरणों के साथ-साथ भोजन और कपड़े भी वितरित करता है और रोगियों को मुफ्त उपचार प्रदान करता है। नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल का मानना है कि रोगियों को शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त करना ही पर्याप्त नहीं है हमें उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास भी करना चाहिए ताकि उनका आत्मविश्वास बढ सके और आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ जीवन के प्रति उनका नजरिया भी बदल सके।
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, केंद्रीय न्याय और आधिकारिता मंत्रालय दिल्ली को दिव्यांगों के अनुकूल शहर बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह कदम निश्चित रूप से दिव्यांगों के जीवन को बदल देगा और जिस तरह से समाज उन्हें देखता हैं उसके विपरीत वे अपने जीवन स्तर को और ऊंचा उठा पाएंगे और उसमें सुधार कर पाएंगें क्योंकि अपने एक्सेसिबल इंडिया में अधिकांश सार्वजनिक और निजी स्थानों तक उनकी पहुंच आसान हो जाएगी।
एशिया कप में गोल्ड जीतने वाले गिरीश शर्मा, तैराकी और क्रिकेट खिलाड़ी प्रीती श्रीनिवासन ‘सोलफ्री’ के संस्था की को-फाउंडर और व्हीलचेयर टेनिस खिलाड़ी बोनिफेस प्रभु ने आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक परेशानियों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़े और विकलांगता सिर्फ एक मनोस्थिति है! सबित कर दिया।