नयी दिल्ली । सरकार ने लोकसभा में सोमवार को स्पष्ट किया कि इंस्टीट्यूट ऑफ एमीनेन्स (आईओई) का दर्जा प्राप्त निजी संस्थानों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के विद्यार्थियों को प्रवेश में आरक्षण के लाभ से वंचित नहीं किया जायेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सदस्य किरीट सोलंकी के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने पूछा था कि आईओई का दर्जा प्राप्त निजी संस्थानों में क्या एससी/एसटी और ओबीसी के विद्यार्थियों को सरकारी संस्थानों की तरह आरक्षण का लाभ मिलेगा।
जावड़ेकर ने कहा कि यह सरकार इन वर्गों के विद्यार्थियों को सस्ती शिक्षा और अवसर उपलब्ध कराने को लेकर प्रतिबद्ध है। आईओई का दर्जा हासिल करने वाले निजी संस्थानों में भी सामाजिक न्याय का पालन होगा। यह बात इन संस्थानों को पहले से ही स्पष्ट कर दी गयी है।
ग्रीनफिल्ड श्रेणी में रिलांयस इंडस्ट्रीज के जियो इंस्टीट्यूट को आईओई का दर्जा दिये जाने के बारे में पूछे गये एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि जियो इंस्टीट्यूट को आईओई का दर्जा नहीं दिया गया है, जबकि उसे केवल अभिरुचि पत्र (एलओआई) प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि जियो इंस्टीट्यूट के चयन से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि ग्रीनफिल्ड श्रेणी में इसका चयन उच्चाधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (ईईसी) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मिलकर किया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आईओई के तहत तीन सरकारी संस्थानों – भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुंबई एवं दिल्ली तथा भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु को छोड़कर निजी संस्थानों को 1,000 करोड़ रुपये के अनुदान नहीं मिलेंगे।