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ईज ऑफ लिविंग के बेहतर क्रियान्वयन से यूपी के शहर हुए स्मार्ट : योगी आदित्यनाथ - Sabguru News
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ईज ऑफ लिविंग के बेहतर क्रियान्वयन से यूपी के शहर हुए स्मार्ट : योगी आदित्यनाथ

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ईज ऑफ लिविंग के बेहतर क्रियान्वयन से यूपी के शहर हुए स्मार्ट : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि उनकी सरकार के मौजूदा कार्यकाल में ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर नियोजित ढंग से काम हुआ जिसका परिणाम है कि प्रदेश के गांवों शहरों में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार हुआ है और इसका असर लोगों के रहन सहन में साफ देखा जा सकता है।

प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के प्रतिनिधियों से गुरूवार को वर्चुअल संवाद करते हुए योगी ने कहा कि आजादी के बाद सरकारें तो बहुत सी आईं लेकिन किसी ने समग्रता से प्रदेश के विकास की दिशा में नहीं सोचा। रहने के लिए आवास नहीं, पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं, घर में शौचालय नहीं, बिजली नहीं लेकिन आज प्रदेश बदल रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यूपी की लगभग 25 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है। करीब छह करोड़ लोग शहरों के निवासी हैं। 2017 से पहले प्रदेश में 14 नगर निगम थे, आज 17 हैं। 84 नई नगर पंचायतों के साथ नगर 517 नगर पंचायतें हैं। यह सब सामान्य जन की सुविधाओं को विस्तार देने का प्रयास है।

सरकार ‘ईज ऑफ लिविंग’ को लेकर नियोजित ढंग से काम कर रही है। बीते पांच साल में केंद्र व राज्य सरकार के साझा प्रयास से गरीबों के लिए बने 43 लाख आवास, शुद्ध पेयजल के लिए 60 शहरों में लागू अमृत योजना, नारी गरिमा और स्वच्छता का प्रतीक शौचालय निर्माण, हर घर बिजली है।

उन्होने कहा कि आज यूपी के शहर स्मार्ट हो रहे हैं। यहां ट्रैफिक हो या यातायात के साधन या फिर पार्किंग, सब स्मार्ट हो रहे हैं। यह स्मार्ट शहर नए भारत के नए उत्तर प्रदेश की पहचान हैं।

योगी ने कहा कि प्रदेश के हर नगरीय निकाय में माफियाओं से मुक्त कराई गई जमीन पर गरीबों के महल तैयार होंगे। प्रयागराज से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। राज्य सरकार की एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स एक्टिव है और हर नगरीय निकाय में ऐसी जमीन चिन्हित कर कार्रवाई की जाएगी।

सीएम ने कहा कि विशेषज्ञों का मानना है कि ओमिक्रोन वैरिएंट वाली यह तीसरी लहर पहले की तुलना में खतरनाक नहीं है, लेकिन बीमारी तो बीमारी है, इसके लिए लापरवाही ठीक नहीं। सतर्कता और सावधानी की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि गांवों में निगरानी समितियों ने जैसा काम किया, उसने कोरोना नियंत्रण में बड़ा योगदान किया। अब शहरी वार्डों में स्थानीय पार्षद अथवा किसी वरिष्ठ नागरिक की अध्यक्षता में निगरानी समिति को एक्टिव करना होगा। एक-एक घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग करनी होगी, जरूरत के अनुसार उन्हें मेडिकल किट देना होगा।

उन्होने कहा कि कोरोना का हम सभी पर बहुत असर पड़ा है। हमारी प्राथमिकता जीवन और जीविका दोनों को बचाना है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार सभी के भरण-पोषण की व्यवस्था कर रही है। आज 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।

महापौर, चेयरमैन और पार्षद यह यह सुनिश्चित कराएं कि एक भी पात्र व्यक्ति राशन से वंचित न रहे। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से रैन बसेरों में अच्छी व्यवस्था, भोजन आदि के बंदोबस्त के लिए प्रयास करने का भी आह्वान किया।