जयपुर। हर साल 14 फरवरी को ‘वैलेंटाइन डे’ के रूप में मनाने की पश्चिम की कुप्रथा हमारे देश में भी बहुत प्रचलित हो गई है। जिस वैलेंटाइन को ईसाईयों के धर्मगुरु पोप ने ही ‘इस नाम का कोई संत नहीं’ ऐसा कहकर रोमन दिनदर्शिका से बहुत पहले ही हटा दिया, उसके नाम से भारत में ‘प्रेम दिवस’ मनाना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रेम दिवस के रूप में ‘वैलेंटाइन डे’ न मनाएं और यौन अत्याचारों से अपने बच्चों को बचाएं यह आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति ने किया है। समिति के आनंद जाखोटिया ने इस दिवस का विरोध करने के निम्न कारण बताएं हैं –
1. ‘वैलेंटाइन डे’ के दिन प्रेम व्यक्त करने के विचार से एकतरफा प्रेम में लडकियों से छेडछाड, बलात्कार आदि अपराध होते हैं साथ ही मद्यपान, धूम्रपान, मादक पदार्थों का सेवन आदि अनुचित कृत्य किए जाते हैं। यह अत्यंत गंभीर है।
2. ‘वैलेंटाइन डे’ के निमित्त 7 से 14 फरवरी के मध्य कंडोम की बिक्री 20 से 25 प्रतिशत बढ जाती है साथ ही गर्भनिरोधक औषधियों और गर्भ जांच संच (प्रेंग्नेन्सी टेस्ट किट) की बिक्री भी बढ जाती है। इसके अतिरिक्त विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित करना, अवयस्क लडकियों पर अत्याचार, कुंवारी मां आदि गंभीर समस्याएं निर्माण हो रही हैं। देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की बढती संख्या को देखते हुए इन दुष्परिणामों की ओर अत्यंत गंभीरतापूर्वक देखना होगा।
3. हिन्दू संस्कृति प्राणिमात्र पर सदासर्वकाल प्रेम करना सिखाती है। इसके विपरीत ‘मदर्स डे’, ‘फादर्स डे’, ‘फ्रेंडशिप डे’, ‘वैलेंटाइन डे’ एक दिन के लिए प्रेम करना सिखाते हैं। इससे युवा पीढी व्यापक नहीं, संकीर्ण हो रही है।
4. ‘वैलेंटाइन डे’ का प्रचलन बढाने में विदेशी कंपनियों का हाथ है। युवा पीढी को आकर्षित करने हेतु गुलाब के फूल, हृदय के आकार के लाल फुग्गे, चॉकलेट, उपहार आदि द्वारा मार्केटिंग कर तिजोरी भरी जाती है, यह समझना होगा।
5. अमरीका के कुछ देशों सहित चीन, इटली, स्वीडन, नॉर्थ कोरिया, इथियोपिया आदि देशों में यह दिन नहीं मनाया जाता। अपितु पाकिस्तान, इराण, सऊदी अरेबिया, इंडोनेशिया, मलेशिया जैसे इस्लामी देशों में वैलेंटाइन डे मनाने पर कठोर दंड का भी प्रावधान है। ऐसे में यह दिन हम क्यों मना रहे हैं, इसका विचार करना चाहिए।
6. प्रेम और वासना में अंतर हिन्दू संस्कृति बताती है, इसके विपरीत वासना को ही प्रेम समझना, पश्चिम की परंपरा है। यही शिक्षा आज इस दिन के माध्यमातून भारतीय युवा पीढी में बढती जा रही है, जो अत्यंत घातक है।
इस दृष्टि से हिन्दू जनजागृति समिति देश के विविध राज्यों में उपरोक्त विषय में ज्ञापन देना, पाठशाला-महाविद्यालयों में व्याख्यान देना, पत्रकों का वितरण करना, सोशल मीडिया के माध्यम से प्रसार करना आदि द्वारा भी जागृति कर रही है।
‘वैलेंटाइन डे’ मनाकर हम पश्चिम की नीतिहीनता का अनुकरण कर रहे हैं। हिन्दु त्योहार नैतिकता और सदाचार सिखाते हैं। अपनी समृद्ध संस्कृति छोड, अन्य धर्म की प्रथा-परंपराओं का पालन करना, क्या एक प्रकार से अपना मानसिक और सांस्कृतिक धर्मांतरण करना ही नहीं है? ‘वैलेंटाइन डे’ की कुप्रथा रोकें एवं हिन्दू संस्कृति के अनुसार आचरण करें, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति करती है।