नयी दिल्ली | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को आज यहां देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया। उनके अलावा समाजसेवी नानाजी देशमुख और संगीतकार एवं गीतकार भूपेन हजारिका को मरणोपरांत इस अलंकरण से सम्मानित किया गया।
राष्ट्रपति भवन में एक आकर्षक समारोह में राष्ट्रपति कोविंद ने प्रशस्ति पत्र तथा प्रतीक चिन्ह प्रदान किये। इन तीनों विभूतियों को सत्तरवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत रत्न से विभूषित करने की घोषणा की गयी थी।
मुखर्जी भारत रत्न से अलंकृत किए गये देश के ऐसे छठे व्यक्ति है जो राष्ट्रपति पद काे सुशोभित कर चुके हैं। इनमें से सर्वपल्ली राधाकृष्णन और डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनने से पहले ही यह सम्मान मिला था।
मुखर्जी का जन्म, पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले के किरनाहर शहर के एक छोटे से गांव मिराती में 11 दिसंबर, 1935 को हुआ था। उनके पिता कामदा किंकर मुखर्जी क्षेत्र के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और आज़ादी की लड़ाई में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के चलते वह 10 वर्षों से ज्यादा समय तक जेलों में कैद रहे।
तत्कालीन कलकत्ता विश्वविद्यालय से संबंधित सूरी विद्यासागर कॉलेज से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद प्रणब मुखर्जी ने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम.ए.) तथा क़ानून की पढाई की। उन्होंने लंबे समय तक शिक्षक, एक वकील एवं पत्रकार के तौर पर काम किया। मुखर्जी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1969 में हुई, जब वह पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गये। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इनकी योग्यता से प्रभावित होकर मात्र 35 वर्ष की अवस्था में उन्हें 1969 में कांग्रेस पार्टी की ओर से राज्य सभा का सदस्य बनाया। उसके बाद वे, 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए।
मुखर्जी लोकसभा के लिए पहली बार पश्चिम बंगाल के जंगीपुर निर्वाचन क्षेत्र से 2004 में चुने गए थे और इसी क्षेत्र से दुबारा 2009 में भी लोकसभा के लिए चुने गए। वह लंबे समय तक देश के वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष आदि पदों पर रहे। उन्हें जुलाई 2012 में देश का 13वां राष्ट्रपति चुना गया। मुखर्जी की पत्नी शुभ्रा मुखर्जी का निधन हो गया है और उनके परिवार में पुत्र अभिजीत मुखर्जी और पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी हैं।