नई दिल्ली। भारत पर 1962 में आक्रमण करके चीन द्वारा तिब्बत और भारत भूमि कब्ज़ा करने के दिन कलंक मानते हुए भारत तिब्बत सहयोग मंच ने देश भर में चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल के नेतृत्व में तीनमूर्ति चौक से चीनी दूतावास के लिए शांति मार्च निकाला। इस मार्च में सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष कार्यकर्ता शामिल हुए। दिल्ली पुलिस ने इस प्रदर्शन यात्रा को चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन के सामने बैकेटिंग करके रोक लिया। इससे सभी कार्यकर्ता नाराज़ हो गए हो गए। कार्यकर्ता बैरिकेटिंग पर चढ़ गए। जब पुलिस ने जबरदस्ती उनको उतारना शुरू किया तो सभी कार्यकर्ता पुलिस स्टेशन के बाहर ही सभा पर बैठ गए।
एक के बाद एक कार्यकर्ताओं ने सभा को सम्बोधित किया। उत्तर क्षेत्र के सह संयोजक अनिल मोंगा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रविंद्र गुप्ता, राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख विवेक मिश्रा, उपाध्यक्ष राजश्री कुमार, महिला विभाग महामंत्री सरिता तोमर, रेणुका, राष्ट्रीय महिला सह प्रचार प्रमुख दिव्या बंसल, दिल्ली के अध्यक्ष अजय भरद्वाज, महामंत्री वीरेंद्र अग्रवाल, मेरठ प्रान्त के अध्यक्ष जय कमल अग्रवाल, महामंत्री नीरज सिसोदिया, दिल्ली महिला बिभाग की महामंत्री कुसुम गोला, हेमलता वरुण, कार्यकारिणी सदस्य संयुक्ता केशरी के सम्बोधन के बाद राष्ट्रीय महामंत्री पंकज गोयल का सम्बोधन हुआ तो सभी कार्यकर्ताओं और वह उपस्थित पुलिस वालों की भी आखें खुली की खुली रह गई।
उन्होंने कहा की किसी भी युद्ध की तैयारी एक दिन में नहीं होती है, उसके लिए लगातार जुटे रहना होता है। उसी कड़ी में चीन ने भारत की सीमा पर लगभग 12 हज़ार किलोमीटर सड़क का निर्माण किया है चीन पूरी तरह से युद्ध की तैयारी करता रहा और उस समय की तत्कालीन नेहरू सरकार हिन्दी चीनी भाई भाई के नारे में ही मस्त रही।
इस कारण भगवान शिव का निवास स्थान कैलाश मानसरोसर जो तिब्बत में है चीन के कब्जे में चला गया। उसकी इसी नाकामी को गठित आयोग जिसमे सेना के दो अधिकारी भी थे उन्होंने रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें तत्कालीन नेहरू सरकार को दोषी पाया गया था, लेकिन वह रिपोर्ट मेज से गायब हुई तो आजतक नहीं मिली।
भारत की संधि जो 1914 में तिब्बत देश के साथ हुई थी वही संधि पंचशील संधि के नाम से 1954 में तिब्बत के साथ न होकर चीन के साथ हुई क्यूंकि तत्कालीन भारत सरकार ने तिब्बत को स्वतंत्र देश की मान्यता नहीं थी और चीन ने तिब्बत को अपना हिस्सा बताया था। सन1962 से लेकर अबतक धूर्त चीन ने 1541 बार सीमा उलंघन करने की कोशिश की है, लेकिन पहली बार ऐसा हुआ कि इस देशभक्त सरकार के कारण चीन को डोकलाम से वापस जाना पड़ा और सियाचिन के मुद्दे पर सरकार ने अपना रुख दृढ़ता से रखा है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत तिब्बत सहयोग मंच के लाखों कार्यकर्ता आज के दिन देश भर में चीन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। चीनी सामानों की होलिया जला रहे हैं और चीनी सामान का बहिष्कार करने को लोगों को सीख दे रहे हैं। खासतौर से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं ने बहुत ही उम्दा प्रदर्शन किया है।
उन्होंने कहा की यह सन्देश हम पूरे विश्व को तो दे ही रहे हैं लेकिन जबतक चीन तिब्बत को आज़ाद नहीं कर देता तब तक हम भारत तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकरता चुप भी नहीं बैठेंगे। गोयल ने पूरे देश का आहवान करते एक नारा दिया “न चीनी उत्पाद, न चीनी उत्पात“ अर्थात हम न चीनी सामान का प्रयोग करेंगे और न ही हम चीनी उत्पात को बर्दाश्त करेंगे। प्रदर्शन में दिल्ली प्रान्त के अलावा मेरठ प्रांत के भी कार्यकर्ता उपस्थित थे।