नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने औद्योगिक संबंध श्रम संहिता का विरोध करते हुए कहा है कि इसके लागू से होने 99 प्रतिशत कामगार श्रमिक संबंधी कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे।
बीएमएस के महासचिव हिरण्यमय पांड्या ने मंगलवार को बताया कि बीएमएस के एक प्रतिनिधिमंडल ने यहां केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की और श्रम संहिताओं के अंतिम स्वरूप से विचार-विमर्श किया। पांड्या ने बताया कि बीएमएस वेतन श्रम संहिता और सामाजिक सुरक्षा श्रम संहिता से सहमत हैं लेकिन औद्योगिक संबंध श्रम संहिता का कड़ा विरोध करता है।
उन्होंने कहा कि इस संहिता में संबंधित संस्थान या कारखाने के सभी विभागों को अलग-अलग इकाई माना गया है। इससे किसी भी संस्थान के 99 प्रतिशत कर्मचारी श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि संस्थान बंद करने की सीमा 100 कर्मचारी से बढ़ाकर 300 कर्मचारी कर दी गई है। इसका सीधा असर रोजगार सुरक्षा पर पड़ेगा।
पांड्या ने कहा कि इस औद्योगिक संबंध श्रम संहिता के लागू होने से मजदूर संघ के पंजीकरण की प्रक्रिया में अनावश्यक बाधा खड़ी हो जाएगी और गैर जरूरी विवाद खड़े हो जाएंगे। कामगारों को नियोक्ता की मनमर्जी पर छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सावधि रोजगार का बीएमएस लगातार विरोध करता रहा है और इस पर अडिग है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने बीएमएस की आपत्तियों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है।