भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर में माली सैनी कुशवाहा आरक्षण आंदोलन के सातवें दिन गुरुवार को भी आगरा-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 21 पर भरतपुर के हलेना-वैर रोड पर गांव अरोदा और बेरी के मध्य ठप्प पड़े यातायात के सुचारू नही हो पाने से लोगो की मुश्किलें बढ़ती जा रही है।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर आंदोलनकारियों के कब्जे की बजह से धरनास्थल के आसपास 10 किलोमीटर क्षेत्र के गावो का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है। आरक्षण की मांग के बीच एक आंदोलनकारी के पडाव स्थल के समीप आत्महत्या कर लेने के बाद उसका शव हजारों आंदोलनकारियों के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर रखा है, लेकिन पिछले तीन दिनों में पुलिस मृतक मोहनसिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए अपने कब्जे तक मे नही ले पाई है।
आरक्षण की मांग के साथ आत्महत्या करने वाले आंदोलनकारी के परिवार के लिए एक करोड़ रुपए आर्थिक सहायता, सरकारी नौकरी एवं शहीद का दर्जा देने की मांग से मामला और भी ज्यादा उलझता नजर आ रहा है।
इस बीच गुरुवार को धरनास्थल पर मृतक की पत्नी की तबियत खराब होने की जानकारी के बाद चिकित्सा टीम द्वारा उसे हलैना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर परीक्षण के लिए ले जाया गया। मामले को लेकर प्रशासन एवं आंदोलनकारियों के बीच दर्जनों बार वार्ताओं का दौर हो चुका है लेकिन जहा एक तरफ आंदोलनकारी अपनी मागो पर अड़े है तो दूसरी तरफ प्रशासन इस आंदोलन से आमजन से हो रही परेशानियों के प्रति उदासीन बना हुआ है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आरक्षण आंदोलन स्थल पर उच्चौन क्षेत्र के नगला परमा निवासी समाजसेवी दौलत सिंह फौजदार ने मृतक की पत्नी अमरा देवी को 2 लाख पचास हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की।