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अवैध खनन रोकने की मांग : साधु बाबा ने किया आत्महत्या का प्रयास - Sabguru News
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अवैध खनन रोकने की मांग : साधु बाबा ने किया आत्महत्या का प्रयास

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अवैध खनन रोकने की मांग : साधु बाबा ने किया आत्महत्या का प्रयास

भरतपुर। राजस्थान में भरतपुर के डीग थाना क्षेत्र में अवैध खनन के खिलाफ पसोपा गांव में चल रहे साधु-संतों के आंदोलन में आज एक संत आत्मदाह के प्रयास में गंभीर रुप से झुलस गए जबकि प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत से समझौता हो जाने पर इस मांग को लेकर दिया जा रहा धरना समाप्त हो गया।

प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के साथ ही कनकांचल और आदि पर्वत को वन क्षेत्र घोषित करवाने की मांग पर चल रहा धरना समाप्त हो गया है। पसोपा में पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह की उपस्थिति में प्रदर्शनकारियों ने यह घोषणा की तथा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त किया।

जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने पसोपा में साधु संतों और ग्रामीणों की उपस्थिति में समझौता पत्र पढकर सुनाया। श्री विश्वेन्द्र सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर पहले दिन से ही संवेदनशील हैं तथा इस मुद्दे पर बेवजह की राजनीति कर गुमराह करना गलत है। किसी को गुमराह कर मोबाइल टावर पर चढने या स्वयं को आग लगाने के लिये उकसाना गम्भीर बात है। हर व्यक्ति की जान कीमती है। ऐसे कृत्यों को बढावा न दें।

समझौते के अनुसार गत 12 अक्टूबर को भरतपुर कलेक्टर द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार कनकांचल और आदि पर्वत को 15 दिन के भीतर वन क्षेत्र घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी। यहां स्थित खानों की लीज अन्य स्थान पर ट्रांसफर की जाएगी ताकि यहां रोजगार प्राप्त कर रहे लोगों का रोजगार प्रभावित न हो।

आदि पर्वत व कनकांचल क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। इससे पूर्व सम्भागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा, आईजी, भरतपुर रेंज गौरव श्रीवास्तव, जिला कलेक्टर आलोक रंजन और पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधिमण्डल से कई दौर की वार्ता की। इसके बाद इन चारों अधिकारियों ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए।

प्रदर्शकारियों की ओर से गोपेश बाबा, रमा प्रिय, रमाकान्त शास्त्री, सुनील सिंह, हरीबोल बाबा, महन्त शिवराम दास, भूरा बाबा, मुकेश शर्मा, मोहना, सुल्तान गुर्जर ने हस्ताक्षर किए।

इससे पहले इस मांग को लेकर पसोपा में संत विजय दास ने खुद को आग लगा ली। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनकी आग को बुझाया लेकिन तब तक संत काफी झुलस गए जिन्हें भरतपुर के राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया।

बाद में उन्हें जयपुर भेज दिया गया और एसएमएस अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। 551 दिन से चलाये जा रहे इस आंदोलन से जुड़े बरसाना के रहने वाले एक अन्य बाबा नारायण दास 33 घंटे टावर पर बैठे रहने के बाद दोपहर टॉवर से नीचे उतर आए।

आत्मदाह की घटना पर सतीश पूनियां ने सरकार को घेरा

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा सतीश पूनियां ने कहा है कि साधु-संतों की मांग के बाद एवं सरकार के हस्तक्षेप के बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं होने की परिणिति एक साधु की आत्मदाह के प्रयास के रूप में हुई।

डा पूनियां ने भरतपुर जिले में साधु द्वारा आत्मदाह का प्रयास करने के मामले में अपने बयान में कहा कि बृज के कामां क्षेत्र में पिछले 551 दिनों से अवैध खनन को लेकर साधु समाज का आंदोलन चल रहा है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार की हठधर्मिता का बड़ा उदाहरण है कि 27 जनवरी 2005 में अवैध खनन के खिलाफ खनन पर रोक के बावजूद भी जब इस तरीके से अवैध खनन हो रहा है तो उसको लेकर साधु संतों और आम जनता बड़ा आक्रोश था, क्योंकि यह पूरा क्षेत्र ब्रज चौरासी क्षेत्र में आता है जो धार्मिक आस्था का एक बड़ा केंद्र है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार की कानून व्यवस्था की पोल तो इस मामले से खुलती ही है, लेकिन किस तरीके से राजस्थान की सरकार एवं प्रशासन लापरवाह है उसकी यह बानगी है। बाबा विजय दास के आत्मदाह ने राजस्थान की सरकार की हठधर्मिता की और मुद्दों के समाधान नहीं करने की पोल खोल दी है।

सतीश पूनियां ने कहा कि मुझे लगता है कि यह राजस्थान के लिए शर्मनाक है कि 551 दिन के आंदोलन पर संज्ञान नहीं लेना, यह जन आक्रोश का एक बड़ा कारण बना है।