जयपुर। कर्जमाफी के मुद्दे पर भारतीय किसान संघ जयपुर प्रांत ने राज्य सरकार को आडे हाथों लेते हुए चुनावी घोषणापत्र पर अविलंब अमल करने की चेतावनी दी और कहा है कि ऐसा नहीं हुआ तो संघ 10-15 फरवरी के बीच तहसील स्तर तक सांकेतिक धरना प्रदर्शन, इसके बाद गांव-गांव में आंदोलन करने को मजबूर होगा।
शनिवार को संघ की ओर से आयोजित प्रेस वार्ता में कहा गया कि विधानसभा चुनावों में किसानों की ऋण माफी को मुख्य सियासी मुद्वा बनाकर सभी राजनीतिक दल प्रतिस्पर्धा में लगे हुए थे। किसानों को दीन-हीन, बेचारा जैसे शब्दोंसे राजनीतिक आर्थिक और सोशल मीडिया तक में बेइज्जत करने की होड़ लगी हुई है।
इसी क्रम में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने विधानसभा चुनाव जन घोषणा पत्र 2018 में 10 दिन में किसानों का कृषि ऋण माफ करेंगे ऐसी घोषणा कर कांग्रेस पाटी को विजय बनाने की अपील की थी।
किसानों ने इस ऋण माफ करने की घोषणा के आधार पर अपना भविष्य कर्जमुक्त होगा ऐसी कल्पना कर अपने मत का प्रयोग कांग्रेस पाटी के पक्ष में किया।
कांग्रेस सरकार ने सत्ता मिलने के बाद एक आदेश 19-12-2018 को निकाला जिसमें केवल 2 लाख तक के डिफाल्टर कृषकों जो कि का राष्ट्रीकृत बैंकों, अनुसूचित बैंकों व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से लोन लिए हुए हैं केवल उन्हें ही ऋण माफी के दायरे में माना है।
भारतीय किसान संघ ने इस आदेश की विसंगतियों (जन घोषणा पत्र 2018 के आधार पर) दूर करने के लिए 24 से 27 दिसम्बर तक सभी जिलों पर सरकार को ज्ञापन दिया तथा सरकार से निवेदन किया कि जो वादा किया वादा निभाओ। किसान को कर्जमुक्त बनाओ।
संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख राजीव दीक्षित ने बताया कि अब एक महीना गुजरने के बाद भी सरकार की ओर से सभी किसानों का 2 लाख रूपए तक लोन माफ होने संबंधी आदेश नहीं आया है। इससे किसानों में रोष व्याप्त है। भारतीय किसान संघ सरकार से मांग करता है कि –
किसानों का कर्जा माफ करें जिसमें 2 लाख तक की सीमा नहीं लगाई जाए। जैसा की जनघोषणा पत्र में वादा किया था।
भारतीय किसान संघ की यह स्पष्ट धारणा है कि कोई भी पार्टी किसानों के साथ भविष्य में झूठा वादा नहीं करें। इससे किसानों के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है व हर किसान अपने सुनहरे
भविष्य की कल्पना करता है। जब सरकार वादा पूरा नहीं करती हैं, तो किसानों के सपने चकनाचूर हो जाते है। किसान निराश होकर आत्महत्या करता है।
भारतीय किसान संघ कर्जमाफी को किसानों की सम्पूर्ण समस्या का समाधान नहीं मानता है। स्थाई समाधान की ओर यदि सरकार पहल करें तो हमारे सुझाव है –
न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे क्रय करने को अपराध की श्रेणी में घोषित किया जाए।
किसानो को जो भी सहायता अनुदान राशि मिलती है, वह सम्पूर्ण राशि सीधे ही किसानों के बैंक खातों में भूमि रकबा के हिसाब से प्रतिवर्ष जमा करा दी जाए जो न्यूनतम 10 हजार प्रति एकड़ से कम नहीं हो, कुछ प्रांतों ने ऐसा करना भी शुरु किया है।