पटना । भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) ने आज बिहार में रोजगार की कमी के बारे में चर्चा करने के लिए पटना में एक सम्मेलन का आयोजन किया और इस मुद्दे के एक व्यवहार्य समाधान के रूप में कौशल विकास पर विमर्श किया।
सम्मेलन में यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. (ब्रिगेडियर) सुरजीत सिंह पाब्ला ने बताया कि कैसे कौशल-आधारित पाठ्यक्रम युवाओं को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित होने और कैरियर के उपयुक्त विकल्प खोजने में मदद कर सकते हैं। इस सम्मेलन का उद्देश्य बिहार में रोजगार और कौशल से संबंधित मुद्दों का सामना करने वाले लोगों पर ध्यान देना था।
भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) जयपुर ने उपयुक्त कौशल सेट में युवाओं को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के बारे में एक चर्चा शुरू की, जो इससे निपटने में मदद कर सकते हैं। बिहार में बड़े टैलेंट पूल का दावा किया जाता है, जिसे कैरियर ओरिएंटेशन और स्किलिंग के संदर्भ में सही दिशा की जरूरत है, जिससे राज्य में बेरोजगारी की बढ़ती चुनौती को लगातार सुधारने और नौकरी के परिदृश्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
बीएसडीयू के कुलपति डॉ (ब्रिगेडियर) सुरजीत सिंह पाब्ला ने इस सम्मेलन के दौरान कहा, “आज प्रत्येक संगठन प्रशिक्षित कर्मचारी को नियुक्त करना चाहता है। आज की दुनिया कुछ पेशेवर कैरियर विकल्पों के इर्द-गिर्द घूम रही है, जो प्रासंगिक होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी हैं, जैसे प्रबंधन, प्रशासनिक, लेखा, तकनीकी आदि। ऐसे कार्यात्मक क्षेत्रों में व्यावहारिक प्रशिक्षण कभी भी पूर्वनिर्धारित नहीं होता है। हमने बीएसडीयू में प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाए हैं जो छात्रों को मशीन लर्निंग और फंक्शन लर्निंग की सभी प्रक्रियाओं से गुजरने में सक्षम बनाते हैं।
बी. वोक. और एम. वोक. जैसे पाठ्यक्रमों को ही भविष्य की डिग्री माना जाना चाहिए, क्योंकि इनके माध्यम से ही हम ऐसे ग्रेजुएट छात्र तैयार कर पाएंगे, जिन्हें सामान्य शिक्षा सामग्री के अलावा उनके द्वारा चुने गए कौशल क्षेत्रों में मजबूत कौशल ज्ञान और अनुभव हासिल होगा। जाहिर है कि उनकी रोजगार हासिल करने की क्षमता भी बहुत व्यापक होगी और इस तरह देश में बेरोजगारी दर को बहुत कम करने में सहायता मिलेगी।”
डॉ पाब्ला आगे कहते हैं, ‘‘हम आज के युवाओं में कौशल संबंधी कमी को दूर करने के लिए अपने ‘स्विस ड्यूअल एजुकेशन सिस्टम‘ के साथ सर्वोत्तम सलाह और समर्थन प्रदान करके राज्य सरकार की मदद करना चाहते हैं। हमने हाल ही में झारखंड सरकार और राजस्थान सरकार को भी इस क्षेत्र में अपना समर्थन दिया है।‘‘
2011 की जनगणना के अनुसार, 10.41 करोड़ की आबादी के साथ, भारत में बिहार तीसरा सबसे बड़ा राज्य है। देश में साक्षरता दर 63.82 फीसदी है और कुल जनसंख्या में से 61 फीसदी 15-59 वर्ष की आयु वर्ग के अंतर्गत आती है। रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की कुल आबादी में लगभग 33 फीसदी लोग ही काम कर रहे हंै; कुल पुरुष आबादी में से लगभग 46 फीसदी कार्यरत हैं, जबकि बिहार में केवल 19 फीसदी महिलाएं कार्यरत हैं जबकि इंडिया स्किल रिपोर्ट 2019 के अनुसार भारत में एम्प्लाॅयबिलिटी 47.38 फीसदी है।
बिहार के लगभग आधे युवा जीवन यापन के लिए खेती पर निर्भर हैं, लगभग 53 फीसदी श्रमिक कृषि मजदूर हैं। राज्य में बड़े पैमाने पर काम करने की उम्र वाली आबादी होने के बावजूद तुलनात्मक रूप से बहुत कम लोग कार्यरत हैं। इसके कारण, लोगों की आजीविका प्रभावित होती है क्योंकि यह उन्हें आवश्यकताओं और जीवन के अच्छे स्तर से वंचित करता है। इससे सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है और यह केवल बेरोजगार लोगों को ही नहीं, बल्कि उन लोगों को भी प्रभावित करता है जो इस पर निर्भर हैं।
भारत सरकार वर्षों से रोजगार के कई मुद्दों पर काम कर रही है। इनमें से सबसे बड़ा मुद्दा नौकरी के अवसरों की कमी है, ऐसे में रोजगार बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं। ऐसी ही एक योजना है स्किल इंडिया, जिसके तहत युवाओं को कुशल रोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। बिहार सरकार ने 15 विभाग भी बनाए हैं जो राज्य के युवाओं के कौशल विकास की दिशा में काम कर रहे हैं। ये विभाग राज्य के विभिन्न लक्षित समूहों के कल्याण के लिए नई योजनाएं लागू करते हैं। इन योजनाओं में से कुछ हैं कौशल विकास पहल योजना, प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना।
सरकार की योजना के समर्थन में देश की पहली और एकमात्र कौशल-आधारित संस्था भारतीय स्किल डवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) अपने स्विस ड्यूल-एजुकेशन सिस्टम के आधार पर कौशल प्रशिक्षण प्रदान करती है, यूनिवर्सिटी ने अपनी स्थापना के बाद से देश में 5000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है। 2016 में स्थापित, विश्वविद्यालय का दृष्टिकोण कौशल विकास के क्षेत्र में वैश्विक उत्कृष्टता उत्पन्न करना है ताकि भारतीय युवाओं की प्रतिभाओं के विकास के लिए अवसर, स्थान और गुंजाइश बनाई जा सके और उन्हें वैश्विक स्तर पर फिट बनाया जा सके। बीएसडीयू न केवल शैक्षणिक, बल्कि सरकार की योजनाओं को औद्योगिक समर्थन भी प्रदान कर रही है।
बी.वोक. कार्यक्रम की संरचना माड्यूलर रूप में की गई है। इसमें सर्टिफिकेट (6 माह के बाद), डिप्लोमा (1 वर्ष के बाद), एडवांस्ड डिप्लोमा (2 वर्ष के बाद) और बी.वोक. (3 वर्ष के बाद) के दौरान अनेक एंट्री और एक्जिट प्वाइंट हैं। छात्रों को हर वैकल्पिक सेमेस्टर में औद्योगिक इंटर्नशिप के लिए भेजा जाता है। इस तरह विद्यार्थियों को तीन साल के बी. वोक. कार्यक्रम के दौरान 18 महीने का औद्योगिक अनुभव हासिल होता है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि छात्र हर एक्जिट लेवल पर इंडस्ट्री के लिए तैयार होता है। इंटर्नशिप के दौरान ‘सीखें और कमाएं‘ सिस्टम के तहत छात्रों को 7000 रुपए से लेकर 15000 रुपए प्रति माह तक का स्टाइपेंड मिलता है। साथ ही, कई छात्रों को उन कंपनियों द्वारा नियमित रोजगार की पेशकश की जाती है जहां वे इंटर्नशिप के लिए जाते हैं। वे बहुत ही कम उम्र में उद्योग में शामिल होने के लिए अनेक एक्जिट पाॅइंट्स का लाभ उठाते हैं। बाद में उद्योग में पदोन्नति के दौरान वे अपनी डिग्री पूरी करने के लिए विश्वविद्यालय में वापस आ सकते हैं। विश्वविद्यालय कौशल संबंधी अनेक क्षेत्रों में मास्टर प्रोग्राम एम. वोक. और पीएच. डी. भी प्रदान करता है।
राजस्थान राज्य सरकार ने एक कौशल ओलंपियाड का आयोजन किया है जिसमें बीएसडीयू के छात्र भी भाग ले रहे हैं। डॉ. पाब्ला ने सुझाव दिया कि अन्य सरकारों को भी छात्रों के लिए ऐसे अवसरों की शुरुआत करनी चाहिए। इसके अलावा, स्कूलों को स्कूल पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में भी कौशल जोड़ना चाहिए, ताकि छात्र कौशल-आधारित कैरियर के अवसरों के बारे में जान सकें जो वे स्नातक होने के बाद से चुन सकते हैं। ऐसे में विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों के अलावा, छात्र कौशल कार्य के बारे में सीख सकते हैं और यह एक व्यवहार्य करियर विकल्प भी बन सकता है।
बीएसयूडी का परिसर 50 एकड क्षेत्र में फैला है, जिसमें 73 इमारतों और 55 अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं सहित 16 कंप्यूटर प्रयोगशालाएं, कई अनुसंधान परियोजनाएं, एक पूरी तरह से सुसज्जित वाई-फाई सुविधाओं से युक्त परिसर और 20 से अधिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल हैं।
बीएसडीयू ने पहले से ही कई उद्योगों के साथ साझेदारी कर रखी है और विश्वविद्यालय अनेक ऐसे संगठनों के साथ जुड़ा हुआ है, जो उसके छात्रों को उद्योग में काम करने का मौका प्रदान करते हैं। उद्योग की कुछ अग्रणी कंपनियां जहां छात्र प्रशिक्षण का लाभ उठाते हैं, उनमें डायकिन, महिंद्रा, एपेक्स अस्पताल, कैड सेंटर, आर्डेन, सबल भारत, रिगेल, आईसीआईसीआई बैंक, आईडीबीआई बैंक, ल्यूपिन, आईटीसी, पेप्सीको, एलजी, एलएंडटी, नेस्ले और फाइजर शामिल हैं।
बीएसडीयू ने कौशल क्षेत्र में अनेक कंपनियों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ 50 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। स्विस ड्यूअल मॉडल ऑफ स्किल एजुकेशन पर आधारित एक कौशल विकास विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए राजस्थान सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसी तरह इसने फोटोनिक्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना के लिए राजस्थान सरकार और फोटोनिक इंटरनेशनल पीटीई लिमिटेड, सिंगापुर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
विश्वविद्यालय ने कौशल विकास, प्रशिक्षण, प्लेसमेंट, अनुसंधान एवं विकास और संबंधित सेवाओं के क्षेत्र में इंस्टीट्यूट आॅफ सस्टेनेबल कम्युनिटीज, यूएसए के साथ और कौशल विकास, परिणाम आधारित प्रशिक्षण, प्लेसमेंट, आरएंडडी और संबंधित सेवाओं के क्षेत्र में राजस्थान टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, कोटा और द एम्प्लाॅयर्स एसोसिएशन आॅफ राजस्थान तथा भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर के साथ सहयोग किया है।
भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) के बारे में
2016 में स्थापित भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी (बीएसडीयू) भारत की पहली विशुद्ध कौशल आधारित यूनिवर्सिटी है। बीएसडीयू को स्थापित करने के पीछे भारतीय प्रतिभाशाली युवाओं के लिए अवसरों को उत्पन्न करते हुए इसे कौशल विकास के क्षेत्र में एक वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र बनाने की दृष्टि काम कर रही है। मकसद है कि भारतीय युवाओं को सर्वश्रेष्ठ कारखानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए वैश्विक स्तर पर काबिल बनाया जा सके।
स्विट्जरलैंड के डॉ राजेंद्र के जोशी और उनकी पत्नी उर्सुला जोशी के नेतृत्व और विचार प्रक्रिया के तहत, बीएसडीयू शिक्षा के ‘स्विस-ड्यूअल-सिस्टम‘ का पालन करता है जो सैद्धांतिक भाग के साथ-साथ उद्योगों के वास्तविक माहौल में व्यावहारिक प्रशिक्षण पर समान रूप से जोर देता है। बीएसडीयू राजेंद्र उर्सुला जोशी चैरिटेबल ट्रस्ट और राजेंद्र और उर्सुला जोशी (आरयूजे) समूह के तहत एक शैक्षिक उद्यम है, जिसने इस विश्वविद्यालय को 2020 तक 36 कौशल स्कूलों के साथ संचालित करने के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।
कौशल विकास की स्विस प्रणाली को भारत में लाने के विचार के तहत भारत में आधुनिक कौशल विकास के जनक डॉ राजेंद्र जोशी और उनकी पत्नी श्रीमती उर्सुला जोशी ने 2006 में विलेन, स्विट्जरलैंड में ‘राजेंद्र और उर्सुला जोशी फाउंडेशन‘ का गठन किया और इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया।
बीएसडीयू का उद्देश्य सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा और स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और विभिन्न कौशल के क्षेत्र में पोस्ट-डॉक्टरेट की डिग्री के साथ उच्च गुणवत्ता वाली कौशल शिक्षा को बढ़ावा देना है। बीएसडीयू अनुसंधान, ज्ञान की उन्नति और प्रसार के लिए भी अवसर प्रदान करता है। वर्तमान में विश्वविद्यालय निम्नलिखित स्कूलों के माध्यम से बी.वोक. और एम.वोक. कार्यक्रम प्रदान करता हैः
बी.वोक कार्यक्रमः
- School of Automotive Skills
- School of Carpenter Skills
- School of Construction Skills
- School of Electrical Skills
- School of Healthcare Skills (Patient Relation Services)
- School of IT/Networking Skills
- School of Office Administration Skills
- School of Manufacturing Skills
- School of Refrigeration and Air-Conditioning Skills
- School of Hotel Management & Tourism Skills
- School of Machine Learning & AI Skills
- School of Telecom Skills
- School of VLSI Design Skills
- School of Entrepreneurship Skills
- School of Metal Construction Skills
- School of Renewable Energy Technology Skills
- School of Building Maintenance Skills
- School of Plumbing Skills
एम.वोक. कार्यक्रम:
- Automotive Skills
- Carpenter Skills
- Embedded Systems & IoT Skills
- Entrepreneurship Skills
- Refrigeration and Air-Conditioning Skills
- Smart Power Systems Skills