अजमेर। नए भारत के निर्माण में युवा पीढ़ी को शिक्षा के साथ साथ संस्कार सिखाना जरूरी है। देश की संस्कृति और धरोहर तभी सुरक्षित रह सकती है जब इसे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्थानांतरित करते रहे। देश का भावी करणधार शिक्षित होने से संस्कारवान होना जरूरी है जिसके लिए आज की शिक्षा व्यवस्था में संस्कारों को महत्व दिया जाना चाहिए।
श्रीशांतानंद आश्रम पुष्कर के महंत स्वामी हनुमान राम उदासीन ने शुक्रवार को आशा गंज स्थित स्वामी सर्वानंद माध्यमिक विद्या मंदिर में आयोजित सुधार सभा के संस्थापक भाऊ हरिसुंदर के 122वें जन्मोत्सव पर वहां उपस्थित छात्राओं एवं गणमान्य लोगों को कहा कि शिक्षा के साथ-साथ युवाओं को संस्कार सिखाना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि आज हमारा देश हर क्षेत्र में एक विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है। समूचा विश्व हमारी शिक्षा और संस्कृति का लोहा मान रहा है। ऐसे माहौल में प्रत्येक शिक्षण संस्था और समाज का दायित्व बनता है कि प्रारंभिक शिक्षा के साथ बच्चों को संस्कारवान बनाए।
समारोह के विशिष्ट अतिथि सिंधी समाज महासमिति के अध्यक्ष कंवल प्रकाश किशनानी ने वहां उपस्थित छात्राओं से कहा कि ऐसी शिक्षण संस्थाओं में अपने अध्ययन के साथ-साथ उनके भावी जीवन में आने वाले समय के लिए सभी अच्छे संस्कार ग्रहण करें।
जीवन में सेवा सुमिरन एवं सादगी के साथ अपने सपनों को साकार करें। अब समय बदल गया है जहां महिलाएं समाज के हार क्षेत्र में अपनी सहभागीता निभा रही है। आज नारी शक्ति ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब वो अबला नहीं सबला है।
समारोह के अध्यक्ष प्रभु ठारानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि सुधार सभा के संस्थापक भाऊ हरिसुंदर सच्चे समाज सेवक और राष्ट्र भक्त थे। उन्होंने समाज के हर क्षेत्र में छात्राओं की शिक्षा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए।
समारोह में हरिसुंदर बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, स्वामी सर्वानंद माध्यमिक विद्यालय, हरिसुंदर पब्लिक स्कूल, कस्तूरबा नारीशाला के विद्यार्थियों ने सांस्कृति प्रस्तुतियां दिया।
निबंध प्रतियोगिता में हरिसुंदर स्कूल की अमीषा पुरसानी प्रथम, युक्ता पिंजलानी द्वितीय, टीशा लालवानी तृतीय स्थान पर रही, वहीं स्वामी सर्वांनंद विद्यालय की हर्षा मूलचंदानी प्रथम, हिमांश मिश्रा द्वितीय एवं रिश्म कश्यप तृतीय स्थान पर रही। सभी विजेता छात्राओं को आयोजन समिति की ओर से पुरस्कार प्रदान किए गए।
इस अवसर पर स्वामी आत्मादास उदासीन, स्वामी स्वरूपदास मनोहरदास उदासीन, स्वामी ईश्वरदास उदासीन, स्वामी अशोक गाफिल, सुधारसभा की महासचिव माहेश्वरी गोस्वामी, संरक्षक ईश्वर ठारानी, दयाल शेवानी, राम मटई, गीता मटई, डॉ. कमला गोकलानी, किशन गुरबानी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।