अयोध्या। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पांच अगस्त को भव्य राममंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
संतों के अलावा चुनिंदा अतिथियों की मौजूदगी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के मद्देनजर अयोध्या में राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ी हैं। सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने यहां आकर राम मंदिर निर्माण की तैयारियों और प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर विहिप मुख्यालय कारसेवकपुरम् में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ बैठकें भी की थीं।
पिछले साल नौ नवम्बर को अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय का निर्णय आने के बाद केन्द्र सरकार ने मंदिर निर्माण की दिशा में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया था। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा 25 मार्च को रामलला को अस्थायी मंदिर में शिफ्ट किया गया था। उसके बाद से जमीन के समतलीकरण का कार्य शुरू हुआ था जो अब समाप्ति पर है।
सूत्रों के मुताबिक भगवान श्रीराम के गर्भगृह 2.77 एकड़ के अंदर ही रहेगा जिसमें वैदिक रीति रिवाजों के साथ काशी के विद्वान और अयोध्या के पुरोहित भूमि पूजन प्रधानमंत्री से करवाएंगे। ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने बताया कि भगवान राम के मंदिर के भूमि पूजन का कार्यक्रम तीन दिन चलेगा जो तीन अगस्त से शुरू हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि तीन अगस्त को प्रथम दिन गणेश पूजन और चार अगस्त को द्वितीय दिन रामचरण पूजन, पांच अगस्त को 12.15 बजे प्रधानमंत्री भूमि पूजन करेंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान काशी, प्रयागराज और अयोध्या के वैदिक विद्वान और आचार्य पंडितों के द्वारा रामलला के मंदिर का भूमि-पूजन कराया जाएगा।
राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन में प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के जल का प्रयोग किया जाएगा। गंगा, जमुनी और अदृश्य सरस्वती के संगम के जल से मोदी राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे।