नयी दिल्ली । केंद्र सरकार देश के ग्रामीण क्षेत्रों से खेल प्रतिभाओं की पहचान करने और खिलाड़ियों तथा कोचों को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े स्तर पर बदलाव कर रही है ताकि 2024 तथा 2028 में होने वाले ओलम्पिक खेलों में भारत अच्छा प्रदर्शन कर सके।
लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में खेल मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों से खेल प्रतिभाओं को तलाशने के लिए ‘इंडिया खेलो स्कूल’ अभियान आयोजित किया गया और इसका परिणाम है कि बच्चे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी प्रकार कोच के वेतन-भत्ते बढ़ाये गये हैं। अब तक उन्हें एक लाख रुपये तक ही वेतन दिया जाता था जिसे बढ़ाकर अब दोगुना किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सबसे बड़ा बदलाव पदक दिलाने वाले कोच के स्तर पर किया गया है। अब तक जो कोच पदक दिलाता था सारी प्रोत्साहन राशि उसे दी जाती थी और इस क्रम में खेल प्रतिभा को तलाशने वाला कोच वंचित रह जाता था। नये नियम के तहत 40 प्रतिशत राशि पदक दिलाने वाले कोच, 30 प्रतिशत राशि खिलाड़ी के आरंभिक कोच और शेष 30 प्रतिशत राशि उसके बाद उसे आगे बढ़ाने वाले कोच को दी जायेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार स्कूलों में आठ से 12 साल तक की उम्र के बच्चों की शारीरिक दक्षता पर ध्यान देगी। बच्चों की फिटनेस का यह कार्यक्रम ‘टैलेंट सर्च’ के तहत किया जा रहा है। यही बच्चे जब 16 साल के होंगे तो सबसे फिट होंगे और अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे। खेल प्रतिभा वाले इन बच्चों की फिटनेस के लिए उन्हें पांच लाख रुपये तक की सहायता देने की सुविधा की गयी है।
राठौड़ ने कहा कि खेलों में प्रतिभाओं को आगे लाने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है, जबकि खेल संघों की जिम्मेदारी अच्छी प्रतिभाओं के चयन की है। खेल संघों को केंद्र सरकार की तरफ से सहायता निधि दी जाती हेै। इसके अलावा भारतीय खेल प्राधिकरण भी निधि उपलब्ध कराता है। प्रधानमंत्री विकास निधि के तहत 200 करोड़ रुपये दिये जा रहे हैं।