नई दिल्ली। सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को अब अलग-अलग परीक्षा नहीं देनी होगी। सरकार ने गैर राजपत्रित पदों और बैंकों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय भर्ती एजेन्सी के गठन का निर्णय लिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। केन्द्रीय कार्मिक और पेंशन मामलों के मंत्री डा जितेन्द्र सिंह ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार ने रोजगार के इच्छुक उम्मीदवारों की सुविधा के लिए क्रांतिकारी और रोजगार के क्षेत्र में ऐतिहासिक सुधार किया है। इससे भर्ती, चयन प्रक्रिया और प्लेसमेंट की प्रक्रिया बेहद आसान हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे निम्न वर्ग के उम्मीदवारों को विशेष रूप से फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि अभी एसएसी, आईबीपीएस और आरआरबी केवल तीन एजेन्सियों को इसके दायरे में लाया गया है बाद में इसमें अन्य भर्ती एजेन्सियों को भी शामिल किया जाएगा। इस एजेन्सी का उद्देश्य उम्मीदवारों को अलग अलग परीक्षाओं के जाल से छुटकारा दिलाना और भर्ती प्रक्रिया को आसान बनाना है।
कार्मिक सचिव सी चन्द्रमौली ने बताया कि इस भर्ती एजेन्सी का गठन सोसायटी अधिनियम के तहत किया गया है और यह एक स्वायत्त संस्थान होगा। यह एजेन्सी 12 भाषाओं में परीक्षा का आयोजन करेगी और इसका स्कोर तीन वर्ष तक मान्य रहेगा। इस बीच उम्मीदवार अपने स्कोर में सुधार के लिए आगामी परीक्षा में भी बैठ सकेगा।
परीक्षा के प्रश्न एक संयुक्त प्रश्न बैंक से लिए जाएंगे। परीक्षा के लिए देश भर के प्रत्येक जिले में कम से कम एक परीक्षा केन्द्र का गठन किया जाएगा। इससे उम्मीदवारों को परीक्षा में बैठने के लिए लंबी दूरी तय नहीं करनी होगी।
अभी सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को पात्रता की समान शर्तों वाले विभिन्न पदों के लिए अलग-अलग भर्ती एजेंसियों द्वारा संचालित परीक्षा देनी पड़ती हैं। उम्मीदवारों को भिन्न-भिन्न भर्ती एजेंसियों को शुल्क का भुगतान करना पड़ता है और इन परीक्षाओं में भाग लेने के लिए लंबी दूरियां तय करनी पड़ती है। ये अलग-अलग भर्ती परीक्षाएं उम्मीदवारों के साथ-साथ संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ होती हैं।
औसतन, इन परीक्षाओं में अलग से 2.5 करोड़ से 3 करोड़ उम्मीदवार शामिल होते हैं। ये उम्मीदवार एक संयुक्त योग्यता परीक्षा में केवल एक बार शामिल होंगे तथा उच्च स्तर की परीक्षा के लिए इन सभी भर्ती एजेंसियों में आवेदन कर सकेंगे।
एनआरए अभी 12 भाषाओं में परीक्षा का आयोजन करेगा और सीईटी स्कोर 3 वर्षों के लिए वैध होगा तथा अवसरों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी। उम्मीदवारों द्वारा सीईटी में प्राप्त स्कोर परिणाम घोषित होने की तिथि से 3 वर्षों की अवधि के लिए वैध होंगे। वैध उपलब्ध अंकों में से सबसे उच्चतम स्कोर को उम्मीदवार का अंतिम स्कोर माना जाएगा।
परीक्षा ऊपरी आयु सीमा के तहत होगी उम्मीदवारों द्वारा सीईटी में भाग लेने के लिए अवसरों की संख्या पर कोई सीमा नहीं होगी। सरकार की मौजूदा नीति के अनुसार अजा, अजजा, अपिव तथा अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को ऊपरी आयु-सीमा में छूट दी जाएगी।
शुरुआत में स्कोर का उपयोग तीन प्रमुख भर्ती एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। कुछ समय बाद केन्द्र सरकार की अन्य भर्ती एजेंसियां भी इसे अपनायेंगी। इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की अन्य एजेंसियों को यह छूट होगी कि यदि वे चाहे तो इसे अपना सकती हैं।
इस प्रकार, दीर्घकाल में सीईटी के प्राप्तांक को केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों केन्द्र शासित प्रदेशों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा निजी क्षेत्र की अन्य भर्ती एजेंसियों के साथ साझा किया जा सकता है। इससे ऐसे संगठनों को भर्ती पर आने वाली लागत और समय की बचत करने में सहायता होगी।
एनआरए एक बहु-एजेंसी निकाय है जो समूह ख और ग (गैर-तकनीकी) पदों के लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग के लिए परीक्षा का आयोजन करेगी। इस एजेन्सी में रेल मंत्रालय, वित्त मंत्रालय ,वित्तीय सेवा विभाग, एसएससी, आरआरबी तथा आईबीपीएस के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एक विशेषज्ञ निकाय के रूप में एनआरए केन्द्र सरकार की भर्ती के क्षेत्र में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और सर्वोत्तम प्रक्रियाओं का पालन करेगी।
एनआरए के गठन से देश के प्रत्येक जिले में परीक्षा केन्द्र बनाएं जाएंगे जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले उम्मीदवारों को काफी आसानी होगी। सभी 117 आकांक्षी जिलों में परीक्षा संरचना बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जिससे आगे चलकर उम्मीदवारों को अपने निवास स्थान के निकट परीक्षा केन्द्रों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इससे ग्रामीण उम्मीदवारों की पहुंच आसान होगी और वे परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
अभी उम्मीदवारों को बहु-एजेंसियों द्वारा संचालित विभिन्न परीक्षाओं में भाग लेना होता है। परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त उम्मीदवारो को यात्रा, रहने-ठहरने और अन्य पर अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है। सीईटी जैसी एकल परीक्षा से काफी हद तक उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ कम होगा।
महिला उम्मीदवारों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाली महिला उम्मीदवारों को भिन्न-भिन्न परीक्षाओं में शामिल होने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उन्हें दूर वाले स्थानों में परिवहन और ठहरने की व्यवस्था करनी होती है। ग्रामीण पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को भी इसका विशेष फायदा होगा और उन्हें सभी पदों के लिए प्रतिस्पर्धा का मौका मिलेगा।
उम्मीदवारों के पास एक ही पोर्टल पर पंजीकरण तथा परीक्षा केन्द्रों के लिए अपनी पसंद चुनने की सुविधा होगी। उपलब्धता के आधार पर उन्हें परीक्षा केन्द्र आवंटित किए जाएंगे।
एकल पात्रता परीक्षा भर्ती चक्र को कम करेगी। कुछ विभागों ने सीईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर शारीरिक परीक्षा एवं चिकित्सीय परीक्षण के साथ भर्ती करने तथा भर्ती के लिए किसी भी द्वितीय चरण की परीक्षाओं को समाप्त करने का संकेत किया है। इससे मौटे तौर पर भर्ती प्रक्रिया सरल बनेगी।