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बिहार में कई दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार का सितारा चमका, कुछ के तारे गर्दिश में - Sabguru News
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बिहार में कई दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार का सितारा चमका, कुछ के तारे गर्दिश में

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बिहार में कई दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार का सितारा चमका, कुछ के तारे गर्दिश में

पटना। बिहार में इस बार विधानसभा के चुनाव में कई दिग्गज नेताओं के रिश्तेदार का सितारा चमक उठा जबकि ऐसे कई उम्मीदवारों के तारे गर्दिश में ही रह गए।

बिहार विधानसभा चुनाव में कई वरिष्ठ नेताओं ने अपनी विरासत उत्तराधिकारी को सौंपने के लिए दांव-पेच आजमाया है। परिवारवाद के कारण आलोचना झेल चुकी कांग्रेस के अलावा अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दल भी इस रोग से बच नहीं पाए। इस बार ऐसे 65 से अधिक उम्मीदवार थे, जिनके पिता, माता या रिश्तेदार की बिहार की राजनीति में मजबूत दखल है।

इनमें से 40 प्रत्याशी चुनाव जीत गए जबकि 25 को हार का मुंह देखना पड़ा। इस परिणाम ने एक बार फिर प्रमाणित किया कि दुनिया को पहली बार लोकतंत्र की परिकल्पना कर गणराज्य (लिच्छवी) की स्थापना करने वाले बिहार में जनतंत्र की जड़े मजबूत होने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

चारा घोटाला मामले में दोषी पाए जाने के कारण राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू खुद प्रसाद यादव खुद चुनाव नहीं लड़ सकते इसलिए उन्होंने अपने दोनों पुत्र तेज प्रताप यादव और तेजस्वी प्रसाद यादव को विरासत सौंप दी है। राजद अध्यक्ष से जब उनके पुत्रों के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि मेरा बेटा नेता नहीं बनेगा तो क्या भैंस चराएगा।

राघोपुर विधानसभा सीट से इस बार के चुनाव में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव छोटे पुत्र और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी सतीश कुमार यादव को लगातार दूसरी बार करारी शिकस्त दी। लालू-राबड़ी के गढ़ राघोपुर में कभी भाजपा का ‘कमल’ नहीं खिला है और इस बार भी राघोपुर का दुर्ग राजद की ‘लालटेन’ से जगमग हो गया।

वहीं, समस्तीपुर के हसनपुर से लालू-राबड़ी के ज्येष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव ने चुनाव लड़कर अपने विजय रथ से जनता दल यूनाइटेड के राजकुमार राय को हैट्रिक लगाने से रोक दिया। इसी तरह रामगढ़ सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह ने भाजपा के अशोक कुमार सिंह को, जमुई से पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज एवं भाजपा उम्मीदवार श्रेयसी सिंह ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयप्रकाश यादव के भाई और राजद प्रत्याशी विजय प्रकाश को तथा शिवहर से जी कृष्णैया हत्याकांड मामले में जेल में बंद पूर्व बाहुबली सासंद आनंद मोहन और पूर्व सांसद लवली आनंद के घर के चिराग राजद प्रत्याशी चेतन आनंद ने जदयू के शर्फुद्दीन को परास्त कर न सिर्फ राजनीति में शानदार पर्दापण किया बल्कि अपने परिवार की विरासत को भी सहेजने में सफल रहे हैं।

सिमरी बख्तियारपुर सीट पर सांसद महबूब अली कैसर के पुत्र और राजद प्रत्याशी युसूफ सलाहउद्दीन ने देवदास, बजरंगी भाईजान और कलंक जैसी हिंदी फिल्मों के सेट बना चुके विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी के विधायक बनने के ख्वाब को चूर कर दिया। अमरपुर से जदयू ने पिछले चुनाव में जीते विधायक जर्नादन मांझी की जगह उनके पुत्र जयंत राज पर दाव खेला और उन्होंने कांग्रेस के जीतेन्द्र सिंह का खेल बिगाड़ कर बाजी अपने नाम कर ली।

बड़हरिया में विधान पार्षद टुन्ना जी पांडेय के भाई और राजद प्रत्याशी बच्चा पांडेय ने जदयू के श्याम बहादुर सिंह को, झंझारपुर में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र भाजपा के नीतीश मिश्रा ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के राम नारायण यादव को तथा दीघा विधानसभा सीट से सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र और भाजपा प्रत्याशी संजीव चौरसिया ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) की शशि यादव को पराजित कर पार्टी का परचम लहराया।

संदेश सीट से नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में फरार पूर्व विधायक अरुण यादव की जगह इस बार उनकी पत्नी और सत्ता के समर में पहली बार उतरी राजद प्रत्याशी किरण देवी ने जदयू के विजेन्द्र यादव पराजित कर जीत का सेहरा अपने नाम कर लिया। दिलचस्प है कि श्री विजेंद्र यादव राजद विधायक अरुण यादव के बड़े भाई हैं यानी कि इस सीट पर मुकाबला घर के अंदर ही हुआ।

अतरी सीट पर वर्ष 2015 में राजद के टिकट निर्वाचित हुई कुंती देवी की जगह इस बार उनके पुत्र एवं नवोदित अजय यादव को पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया। राजद के यादव ने जदयू की मनोरमा देवी को चुनावी रणभूमि में शिकस्त दे दी। पूर्व मंत्री नरेन्द्र सिंह के पुत्र सुमित सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चकाई सीट पर राजद की सावित्री देवी को पराजित कर कामयाबी का डंका बजा दिया। चकाई एकमात्र सीट है, जहां इस बार के चुनाव में किसी निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है।

ओबरा सीट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह के पुत्र और राजद प्रत्याशी ऋषि कुमार ने लोजपा के प्रकाश चंद्र को पराजित कर चुनावी बाजी अपने नाम कर ली। नवादा सीट से दुष्कर्म के एक मामले में सजायाफ्ता राजबल्लभ यादव की पत्नी और पहली बार चुनावी रण में हुंकार भरने उतरी राजद की विभा देवी ने जदयू प्रत्याशी कौशल यादव को परास्त कर दिया।

गोविंदपुर सीट से कौशल यादव की पत्नी और जदयू प्रत्याशी पूर्णिमा यादव को भी राजद के मोहम्मद कामरान से हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2015 में विधानसभा में कौशल यादव और पूर्णिमा यादव एकमात्र दंपति विधायक थे और दोनों को इस बार चुनावी रणभूमि में हार मिली।

करहगर सीट से कांग्रेस ने चुनावी संग्राम में उतरे नए खिलाड़़ी पूर्व मंत्री गिरीश नारायण मिश्र के पुत्र संतोष कुमार मिश्रा को पार्टी का टिकट दिया, जिन्होंने जदयू के वशिष्ठ सिंह को पराजित कर दिया। इसी तरह कटोरिया (सु) सीट से दिग्गज नेता सोनेलाल हेमब्रम की पुत्रवधू और भाजपा प्रत्याशी निक्की हेमब्रम ने राजद प्रत्याशी स्वीटी सीमा हेम्ब्रम को चुनावी दंगल में परास्त कर दिया।

बैकुंठपुर विधानसभा सीट से (राजद) ने सत्ता के नए खिलाड़ी पूर्व विधायक स्व. देवदत्त प्रसाद के पुत्र प्रेम शंकर प्रसाद को पार्टी का उम्मीदवार बनाया। राजद के प्रसाद ने भाजपा के मिथिलेश तिवारी को चुनावी संग्राम में मात दे दी। इस सीट पर जदयू से बगावत कर पूर्व मंत्री स्व. ब्रज किशोर नारायण सिंह के पुत्र पूर्व विधायक मंजीत कुमार सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपनी तकदीर आजमायी लेकिन कामयाबी उनसे कोसो दूर रही।

भोरे(सु) सीट से पूर्व मंत्री चंद्रिका राम के पुत्र और पूर्व विधायक अनिल कुमार के भाई पूर्व आइपीएस अधिकारी सुनील कुमार सेवानिवृति के बाद खाकी के बाद अब खादी की शोभा बढ़ाने के लिये जदयू की टिकट पर चुनावी रण में उतरे और उन्होंने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा-माले) के जीतेन्द्र पासवान को पराजित कर अपनी सियासी पारी का शानदार आगाज किया।आरा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री सरदार हरिहर सिंह के पौत्र और भाजपा प्रत्याशी अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने भाकपा माले के कयामुद्दीन अंसारी को चुनावी दंगल में चित कर दिया।

उजियारपुर सीट से पूर्व मंत्री तुलसी दास मेहता के पुत्र पूर्व सासंद आलोक कुमार मेहता राजद की टिकट पर चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी और पूर्व विधायक शील कुमार राय को चुनावी अखाड़े में शिकस्त दे दी। गोरियाकोठी से पूर्व विधायक भूमेन्द्र नारायण सिंह के पुत्र देवेश कांत सिंह ने राजद की नयी खिलाड़ी नूतन देवी को परास्त कर इस सीट पर भाजपा का ‘कमल’ खिला दिया।

राजगीर विधानसभा क्षेत्र से जदयू ने इस बार के चुनाव में हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य के पुत्र कौशल किशोर को उम्मीदवार बनाया। वहीं, वर्ष 2015 में राजगीर से जदयू के टिकट पर जीते रवि ज्योति कुमार ने जदयू का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया। जदयू के किशोर ने कांग्रेस के कुमार को मात दे दी। बनियापुर विधानसभा क्षेत्र में राजद के टिकट पर पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह के छोटे भाई केदार नाथ सिंह ने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के वीरेंद्र कुमार ओझा को शिकस्त देकर जीत का परचम लहराया।

कुढनी सीट से पूर्व राज्यसभा सासंद महेन्द्र सहनी के पुत्र और पूर्व राज्यसभा सासंद राजद उम्मीदवार अनिल कुमार सहनी ने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को परास्त कर दिया। कल्याणपुर (सुरक्षित) से बिहार के योजना एवं विकास मंत्री और पूर्व विधायक रामसेवक हजारी के पुत्र और जदयू प्रत्याशी महेश्वर हजारी ने (भाकपा-माले) प्रत्याशी रंजीत राम के जीत के अरमानों पर पानी फेर दिया। बरुराज सीट से पूर्व विधायक बृजकिशोर सिंह के पुत्र अरुण कुमार सिंह ने राजद के नंद किशोर राय को चुनावी समर में मात दे दी।

त्रिवेणीगंज (सु) पूर्व विधायक विश्वमोहन भारती की पत्नी और जदयू प्रत्याशी बीणा भारती ने चुनावी रणभूमि में ऐसा सियासी तीर चलाया जिससे राजद प्रत्याशी और पूर्व सांसद महेन्द्र नारायाण सरदार के पुत्र संतोष कुमार ढ़ेर हो गए। केसरिया सीट से पूर्व सासंद कमला मिश्र मधुकर की पुत्री और जदयू प्रत्याशी शामिली मिश्रा ने राजद के संतोष कुशवाहा को चुनावी रण में पटखनी दे दी।

परिहार सीट से पूर्व विधायक रामनरेश यादव की पत्नी और जदयू उम्मीदवार गायत्री देवी ने राजद प्रत्याशी और मुखिया रितु कुमार (रितु जायसवाल) के जीत के सपने को चकनाचूर कर दिया। कोढ़ा सीट से पूर्व विधायक महेश पासवान की पत्नी और कविता देवी ने कांग्रेस की पूनम कुमारी को मात देकर भाजपा का कमल खिलाया। इसी तरह प्राणपुर विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री दिवंगत विनोद सिंह की पत्नी और भाजपा की निशा सिंह ने कांग्रेस के तौकीर आलम को शिकस्त दे दी।

जोकीहाट सीट पर इस बार के चुनाव में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। पूर्व केन्द्रीय मंत्री तस्लीमउद्दीन के बड़े पुत्र सरफराज आलम, जहां राजद के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतरे, वहीं उनके छोटे नवाब शहनवाज आलम ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन के टिकट पर किस्मत आजमायी।

शहनवाज आलम ने अपने बड़े को चुनावी रणभूमि में पराजित कर जीत का ताज अपने नाम कर लिया। अररिया सीट पर दो राजनीतिक परविार के बीच चुनावी टक्कर देखने को मिली।पूर्व मंत्री मोईउदूर रहमान के पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी अबिदुर रहमान ने पूर्व मंत्री मोहम्मद अजीमउद्दीन की बहू और जदयू प्रत्याशी शगुफ्ता अजीम को शिकस्त दे दी।

शाहपुर विधानसभा सीट से पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी के पुत्र और पूर्व मंत्री रामानंद तिवारी के पौत्र राहुल तिवारी राजद के टिकट पर चुनावी समर में उतरे। राजद के  तिवारी ने बाहुबली छवि वाले नेता दिवंगत विश्वेश्वर ओझा की पत्नी और निर्दलीय प्रत्याशी शोभा देवी को पराजित कर दिया।

इमामगंज (सु) सीट से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम)के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और राजद उम्मीदवार उदय नारायण चौधरी को सियासी कर्मभूमि में मात देकर अपना जौहर फिर दिखाया। बाराचट्टी (सु) से हम प्रत्याशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की समधन ज्योति देवी ने चुनावी अखाड़े में पूर्व सांसद भगवतिया देवी की पुत्री और राजद प्रत्याशी समता देवी को पटखनी दे दी।

नोखा विधानसभा सीट पर राजद की टिकट पर बिहार सरकार के पूर्व मंत्री रहे स्व.जंगी चौधरी की पुत्रवधू तथा पूर्व विघायक स्व.आनंद मोहन सिंह की पत्नी अनीता देवी ने एक बार फिर जीत का सेहरा अपने नाम कर लिया। इस सीट पर दिग्गज समाजवादी नेता और पूर्व सासंद राम अवधेश सिंह के पुत्र डा. कृष्ण कबीर लोजपा की टिकट पर चुनावी अखाड़े में किस्मत आजमांया लेकिन उनकी दाल नहीं गली। बोधगया सीट से पूर्व सासंद दिवंगत राजेश कुमार के पुत्र और राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत ने भाजपा के पूर्व सांसद और कद्दावर नेता हरि मांझी को चुनावी दंगल में चित कर दिया।

यह तो थी वैसे उम्मीदवारों की बात जो राजनीतिक परिवार से आये और जीत का परचम लहराया वहीं कई ऐसे भी उम्मीदवार आये जिनके राजनीतिक जीवन की या तो सफल शुरूआत नही हो सकी या पूर्व से हासिल सीटें गंवानी पड़ी। कहलगांव सीट से नौ बार विजय पताका फहरा चुके पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सदानंद सिंह के बदले इस बार कांग्रेस ने उनके पुत्र शुभानंद मुकेश को पहली बार आजमाया लेकिन भाजपा के पवन कुमार यादव के हाथो उनकी करारी शिकस्त हो गई।

बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने बॉलीवुड के शॉटगन शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा पर दाव लगाया, जिन्हें भाजपा के नितिन नवीन ने शिकस्त दे दी। लव सिन्हा जनता का प्यार (लव) पाने में असफल रहे तो वहीं नितिन नवीन ने लगातार तीसरी बार विजय हासिल करते हुये हैट्रिक मारी है। इसी सीट पर पहली बार चुनाव लड़ी जदयू नेता विनोद चौधरी की पुत्री और खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताने वाली प्लूरल्स पार्टी की संस्थापक पुष्पम प्रिया चौधरी कोई कमाल न दिखा सकी और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।

मुंगेर जिले की तारापुर सीट से राजद के टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री जय प्रकाश नारायण यादव की पुत्री दिव्या प्रकाश अपनी आभा बिखरने में असफल रही। पहली बार सत्ता के संग्राम में बाजी खेलने उतरी दिव्या प्रकाश को जदयू प्रत्याशी डा. मेवालाल चौधरी से हार का सामना करना पड़ा।

बिहारीगंज विधानसभा सीट से बिहार की सियासत के दिग्गज नेता माने जाने वाले पूर्व सासंद शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के टिकट पर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की लेकिन जदयू के निरंजन कुमार मेहता कांग्रेस प्रत्याशी की जीत की उम्मीद को चूर कर दिया। महुआ सीट से जीत की अभिलाषा लेकर राजद के वरिष्ठ नेता इलियास हुसैन की पुत्री आसमा परवीन ने जदयू के टिकट पर बाजी खेली लेकिन उन्हें राजद के मुकेश कुमार रौशन ने मात दे दी।

मधेपुरा विधानसभा सीट से (जदयू) के टिकट पर मंडल आयोग के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के पौत्र निखिल मंडल को राजद प्रत्याशी और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर से हार का सामना करना पड़ा। इसी सीट पर प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (प्रलोग) के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार और जन अधिकार पार्टी (जाप) सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की यहां दाल नहीं गली।

मखदुमपुर (सु) विधानसभा क्षेत्र से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के दामाद इंजीनियर देवेंद्र कुमार मांझी चुनावी रणभूमि में उतरे जिन्हें राजद प्रत्याशी सतीश कुमार से हार का सामना करना पड़ा। परसा विधानसभा सीट जदयू की टिकट पर उतरे पूर्व मुख्यमंत्री स्व. दारोगा प्रसाद राय के पुत्र और लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय को भी राजद ने छोटे लाल राय से हार का सामना करना पड़ा है।

वजीरगंज सीट से कांग्रेस ने वर्ष 2015 में जीते अवधेश सिंह के बेटे डॉ. शशि शेखर को लांच किया, जिन्हें भाजपा के पुराने सिपाही और पूर्व विधायक वीरेंद्र सिंह से हार का सामना करना पड़़ा। ढाका सीट से पूर्व राज्यसभा सांसद मोतीउर रहमान के पुत्र फैसल रहमान ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा, जिन्हें भाजपा के पवन कुमार जायवाल ने शिकस्त दे दी।

गोपालगंज विधानसभा सीट से सियासी पिच पर जीत की ‘हैट्रिक’ जमा चुके के सुभाष सिंह इस बार सियासी पिच पर ‘चौका’ जड़ दिया। उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साले और पूर्व मुख्यंमंत्री राबड़ी देवी के भाई बहुजन समाज पार्टी के अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव को मात दे दी। इसी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर के पौत्र आसिफ गफूर जीत की लालसा लिये चुनावी रण में उतरे लेकिन उनके हाथ निराशा ही लगी।

रोसड़ा (सुरक्षित) सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष चिराग पासवान के चचेरे भाई और समस्तीपुर के सांसद प्रिंस राज के बड़े भाई कृष्ण राज चुनावी दंगल में किस्मत आजमांने उतरे लेकिन इस सीट पर उनका राज कायम नही हुआ। इस सीट पर भाजपा के वीरेन्द्र कुमार ने कांग्रेस के नागेन्द्र कुमार विकल को पराजित कर दिया।

सहरसा विधानसभा सीट पूर्व सांसद और राजद प्रत्याशी लवली आनंद को भाजपा के आलोक रंजन को चुनावी रणक्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा। महिषी विधानसभा सीट से वर्ष 2015 के चुनाव में जीते बिहार के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के पुत्र अब्दुर्रज्जाक ने लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन कामयाबी नहीं मिली। राजापाकड़ (सु) सीट से लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान के जीजा धनंजय कुमार चुनावी रणभूमि में कोई कमाल नहीं दिखा सके।

पारू विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और सांसद उषा सिंह और पूर्व विधायक वीरेन्द्र कुमार सिंह के पुत्र अनुनय सिन्हा चुनावी रण में भाग्य आजमाया लेकिन यहां मुख्य मुकाबला जीत की हैट्रिक लगा चुके भाजपा के अशोक कुमार सिंह और पूर्व विधायक मिथिलेश प्रसाद यादव के भतीजे निर्दलीय प्रत्याशी शंकर प्रसाद के बीच देखने को मिला। भाजपा के श्री सिंह ने निर्दलीय श्री प्रसाद को पराजित कर चुनावी चौका लगा दिया।

लालगंज सीट से नगालैंड के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार और पूर्व बाहुबली विधायक विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला की प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई थी। कांग्रेस के टिकट पर निखिल कुमार के भतीजे राकेश कुमार पहली बार चुनावी पारी का आगाज किया लेकिन उन्हें सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले भाजपा के संजय सिंह ने चुनावी दंगल में चित कर दिया।

सकरा सीट से पूर्व मंत्री रमई राम की पुत्री गीता कुमारी ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उनसे भी कामयाबी कोसो देर रही। इसी तरह गायघाट विधानसभा सीट से वैशाली की सांसद वीणा देवी और विधान पार्षद दिनेश सिंह की पुत्री कोमल सिंह लोजपा के टिकट पर चुनावी रणभूमि में उतरी लेकिन उन्हें भी कामयाबी मय्यसर नहीं हुई। छपरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के डॉ सीएन गुप्ता ने पूर्व सासंद प्रभुनाथ सिंह के पुत्र और राजद प्रत्याशी रणधीर कुमार सिंह को चुनावी दंगल में धूल चटा दी।

वहीं रुन्नीसैदपुर सीट पर जदयू के पंकज कुमार मिश्रा ने पूर्व विधायक स्वर्गीय भोला राय की बहू और राजद उम्मीदवार मंगीता देवी के जीत के अरमानों को ध्वस्त कर दिया। घोसी सीट से जीत के प्रति आश्वस्त पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के पुत्र राहुल कुमार को भी हार का सामना करना पड़ा है।