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बिहार: चारा घोटाले के 38ए/96 मामले में लालू को सात साल की सजा
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बिहार : चारा घोटाले के 38ए/96 मामले में लालू को 7 साल की सजा

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बिहार : चारा घोटाले के 38ए/96 मामले में लालू को 7 साल की सजा
Bihar Lalu gets seven years in jail for 38a 96 cases of fodder scam
Bihar Lalu gets seven years in jail for 38a 96 cases of fodder scam
Bihar Lalu gets seven years in jail for 38a 96 cases of fodder scam

रांची। अविभाजित बिहार में अरबों रुपये के बहुचर्चित चारा घोटाले से जुड़े चौथे मामले में आज केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को आईपीसी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सात-सात साल की सजा सुनाई।

सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित नियमित मामले 38ए/96 में सुनवाई के बाद यादव को भारतीय दंड विधान की धारा 120बी, 409,420, 467, 468,471 और 477 (ए) के तहत दोषी पाते हुए सात साल की सजा के साथ तीस लाख रुपए का जुर्माना किया।

अदालत ने इसके अलावा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं में भी राजद अध्यक्ष यादव को सात साल की सजा के साथ तीस लाख रुपए जुर्माना किया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर यादव को एक-एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

हालांकि सजा को लेकर संयश की स्थिति बनी हुई है कि दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी जैसा कि चारा घोटाले के अन्य मामलों में हुआ है या यादव को दोनों सजाएं अलग-अलग भुगतनी होगी। वकीलों का कहना है कि फैसले की कॉपी मिलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी ओ. पी. दिवाकर को राजद अध्यक्ष की तरह ही सात-सात साल सजा और तीस-तीस लाख रुपए का अर्थदंड लगाया गया है। वहीं, एक अन्य आईएसएस अधिकारी फूलचंद सिंह को सात साल की सजा के साथ 30 लाख रुपए का जुर्माना किया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर दोषी को 18 माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी।

अदालत ने मामले में पशु विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी नंदकिशोर प्रसाद, पंकज मोहन भुई, पिंताबर झा, केके प्रसाद, रघुनाथ प्रसाद, राधा मोहन मंडल, एसके दास, विमलकांत दास और मनोरंजन दास को सात वर्ष की सजा के साथ तीस लाख रुपए का जुर्माना किया है। अर्थदंड नहीं देने पर सभी को डेढ़ साल का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

वहीं, आपूर्तिकर्ता और ट्रांसपोर्टर अरूण कुमार, अजीत कुमार शर्मा, गोपीनाथ दास, एमएस बेदी, नरेश प्रसाद, राजकुमार शर्मा और आरके बघेरिया को साढ़े तीन साल की सजा और पंद्रह-पंद्रह लाख रुपए जुर्माना किया गया है। जुर्माने की राशि नहीं देने पर सभी को नौ-नौ माह का अतिरिक्त कारावास काटना होगा।

इस बीच लालू प्रसाद यादव के अधिवक्ता प्रभात कुमार का कहना कि दोनों धाराओं में यादव को सात-सात साल की सजा हुई है। हालांकि कुल 14 साल की सजा पर उन्होंने कहा कि फैसले की कॉपी नहीं मिली है। आदेश की कॉपी मिलने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा, यदि सजा अलग-अलग हुई तो कुल 14 साल की सजा होगी। उन्होंने बताया कि अदालत ने 30-30 लाख रुपए का जुर्माना भी किया है। जुर्माना की राशि नहीं देने पर एक-एक साल की सजा बढ़ जाएगी।

वहीं, अदालत परिसर में मौजूद वकील विष्णु कुमार शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि इस मामले में दो अलग-अलग धाराओं में लालू प्रसाद यादव को सजा हुई है। इस प्रकार से सात-सात साल की कुल 14 साल की सजा हुई है। उन्होंने साफ किया कि एक सजा पूरी होगी, उसके बाद दूसरी सजा शुरू होगी।

इससे पूर्व अदालत ने 19 मार्च 2018 को लालू यादव समेत 19 अभियुक्तों को दोषी करार दिया था जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डा.जगन्नाथ मिश्र और लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत समेत 12 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए अदालत ने आज की तिथि निश्चित की थी। उल्लेखनीय है कि जेल में बंद यादव की तबियत बिगड़ने के बाद इस समय उनका रांची के रिम्स अस्पताल में चल रहा है।