काबुल : 1 जनवरी समाद अलवी का जन्मदिन है, इसी दिन उनकी पत्नी, 2 बच्चे, 32 दोस्त और हजारों दूसरे अफगानी नागरिक भी अपना जन्मदिन मनाते हैं।
जन्म प्रमाणपत्र और आधिकारिक रिकॉर्ड्स की गैरमौजूदगी में बहुत से अफगान अपने उम्र की गणना मौसम या ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़कर करते हैं। लेकिन फेसबुक जैसे सोशल मीडिया विस्तार ने लोगों को अपना एक जन्मदिन चुनने पर विवश किया। पासपोर्ट और वीजा की बढ़ती डिमांड की वजह से लोगों के सामने मजबूरी है कि वह अपना जन्मदिन तय करें।
जिन लोगों को अपना जन्मदिन पता भी है वे भी सोलर हिजरी से बर्थडे की गणना से बचने के लिए अक्सर 1 जनवरी को ही चुन लेते हैं। इस इस्लामिक कैलेंडर का इस्तेलाल ईरान और अफगानिस्तान में किया जाता है। हिजरी में साल का पहला दिन आमतौर पर 21 मार्च को होता है।
अलवी ने कहा कि जब मैंने 2014 में अपना फेसबुक अकाउंट बनाया तो अपने बर्थडे के रूप में 1 जनवरी को चुनना आसान था। इंटरनेट भी स्लो था और किसी तारीख को हिजरी से पश्चिमी कैलेंडर के मुताबिक बदलना कठिन भी है।
यहां तक कि आधिकारिक पहचान पत्र या अधिकतर लोगों के पास मौजूद तजकीरा से उनके उम्र के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। लोगों की उम्र के बारे में उनकी शारीरिक स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जाता है।
अथॉरिटीज अब इसे बदलने का प्रयास कर रही हैं। पिछले कुछ सालों में बड़े अस्पतालों ने अपने यहां पैदा होने वाले बच्चों को बर्थ सर्टिफिकेट जारी करना शुरू किया है।
सरकार भी अपने नागरिकों को ई-तजकीरा या कंप्यूटराइज्ड नैशनल आईडी कार्ड देने का विचार कर रही है, जिसमें डेट ऑफ बर्थ भी होगा, लेकिन यह प्रक्रिया राजनीतिक और तकनीकी कारणों से सालों से रुकी हुई है।