बॉलीवुड में करीब 6 दशक तक अपने अभिनय का जादू चलाने वाले सदाबहार अभिनेता देव आनंद का आज यानि 26 सितंबर को जन्मदिन है। आनंद का जन्म पंजाब (ब्रिटिश भारत) के शंकरगढ़ में हुआ था।देव आनंद का असली नाम धर्मदेव पिशोरिमल आनंद है लेकिन उन्हें बॉलीवुड में सिर्फ देव आनंद के नाम से ही जाना जाता था।
देव आनंद ने अपने करियर की शुरुआत 85 रुपये के वेतन पर एक कंपनी में अंकाउटेंट की नौकरी के साथ की थी। बतौर हीरो देव आनंद की पहली फिल्म 1946 में आई ‘हम एक हैं’ थी। देव आनंद की एक्टिंग के अंदाज ने उन्हें हमेशा दूसरे एक्टर्स की भीड़ से अलग रखा।
देव साहब ने अपने करियर में 116 फिल्मों में काम किया। वह अपने दौर के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक थे। उन्हें फैशन आइकन माना जाता था।
उनके बोलने का अंदाज सबसे अलग था, यही वजह थी कि लड़कियां उनकी एक मुस्कुराहट पर अपना दिल दे बैठती थीं। देव आनंद भी आशिकी के मामले में पीछे नहीं थे। अपने फिल्मी करियर के दौरान उनका नाम कई अभिनेत्रियों के साथ जुड़ा।
बतौर हीरो उनकी पहली फिल्म 1946 में आई ‘हम एक हैं’ थी। एक्टिंग के अनोखे अंदाज ने उन्हें हमेशा दूसरे एक्टर्स से अलग रखा। हालांकि तारीफ पाने वाले देव आनंद को आलोचना भी कम नहीं मिली। कुछ लोगों ने उनपर सवाल भी उठाए।
आरके नारायण के उपन्यास पर बनी फिल्म गाइड आज भी दर्शकों को पसंद है। इस फिल्म के जरिए पहली बार लिव इन रिलेशनशिप को दिखाया गया था। यह देव आनंद की पहली रंगीन फिल्म थी। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिला।
हमेशा फैशन आइकन रहे देव आनंद साहब के कई किस्से हैं। इनमें से एक किस्सा जो हर किसी को याद आता है, वो है उनके कपड़ों पर बैन। देव आनंद ने एक दौर में व्हाइट शर्ट और ब्लैक कोट को इतना पॉपुलर कर दिया था कि लोग उन्हें कॉपी करने लगे थे। फिर एक दौर वह भी आया जब उनके पब्लिक प्लेस में काला कोट पहनने पर बैन लगा दिया गया। ऐसी अफवाह थी कि देव आनंद को काले कपड़ों में देखने के लिए लड़कियां अपनी छतों से कूद जाया करती थीं।
फिल्म टैक्सी ड्राइवर की शूटिंग के दौरान देव आनंद अपनी नई हीरोइन कल्पना कार्तिक के प्यार में पड़ गए और फिल्म की शूटिंग के दौरान ही एक दिन लंच ब्रेक में दोनों ने शादी कर ली। कल्पना आखिरी दम तक देव आनंद की पत्नी रहीं।
बॉलीवुड का कोहिनूर कहे जाने वाले देव साहब को एक्टिंग और डायरेक्शन में महारत हासिल थी। उनकी सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने हिंदी सिनेमा को मॉर्डन बनाने में कदम उठाया। हिंदी सिनेमा में नई-नई एक्ट्रेस लांच करने का चलन देव साहब से ही शुरू हुआ था। 3 दिसंबर 2011 को उन्होंने लंदन में अंतिम सांस ली।