रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के इस वर्ष के अन्त में होने वाले चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा चौथी बार सत्ता में आने तथा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अपना 15 वर्ष पुराना वनवास खत्म करने के लिए आदिवासी मतदाताओं को रिझाने में पूरी ताकत झोक रहे है।
इन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के चुनाव का पूरा तानाबाना आदिवासी मतदाताओं के आसपास बुना जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी आदिवासी वर्ग के पास ही है। इसी वजह से कांग्रेस-भाजपा ने यहां कि दो दर्जन से अधिक मैदानी सीटों को प्रभावित करने की ताकत रखने वाले अन्य पिछड़ा एवं अन्य वर्ग को नजरअंदाज कर रखा है।
आदिवासी वर्ग की सर्वाधिक आबादी एवं आरक्षित सीटें बस्तर तथा सरगुजा संभाग में है। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस संगठन इन दोनों संभागों पर अधिक ध्यान दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ,भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सहित कई केंद्रीय नेता एवं मंत्री बस्तर व सरगुजा का दौरा कर चुके हैं।
कांग्रेस के प्रदेश संगठन से जुड़े नेताओं के साथ ही पार्टी के राज्य प्रभारी समेत दूसरे राष्ट्रीय नेता भी इन्हीं संभागों पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सरगुजा का दौरा कर चुके है जबकि बस्तर में जल्द आने की खबरें है।
पिछड़ा वर्ग के नेताओं का दावा है कि 2013 में पिछड़ा वर्ग के दम पर ही भाजपा की सरकार बन पाई। इस वर्ग के एक बड़े सामाजिक नेता ने कहा कि पिछले चुनाव में जब आदिवासियों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया था,तब मैदानी क्षेत्रों से ओबीसी ने ही भाजपा को गद्दी तक पहुंचाया।