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BJP bowed down to form government in Maharashtra - Sabguru News
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महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर शिवसेना का संग्राम, भाजपा नतमस्तक

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महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर शिवसेना का संग्राम, भाजपा नतमस्तक
BJP bowed down to form government in Maharashtra
BJP bowed down to form government in Maharashtra
BJP bowed down to form government in Maharashtra

महाराष्ट्र पूर्व में किए गए कुछ समझौते कभी-कभी बहुत भारी पड़ जाते हैं। महाराष्ट्र में इन दिनों शिवसेना भाजपा के साथ हुए समझौते की दुहाई दे रही है। महाराष्ट्र में चुनाव पूर्व गठबंधन कर मैदान में उतरी शिवसेना-बीजेपी अब चुनाव के बाद आमने-सामने है। वजह मुख्यमंत्री पद पर अपनी-अपनी दावेदारी है। दरअसल, 24 अक्टूबर को जब चुनाव नतीजे आए तो आंकड़े बीजेपी की चिंता बढ़ा गए। पार्टी को पिछली बार के मुकाबले 17 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। मौके की नजाकत को भांपते हुए शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग छेड़ दी।

विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद आज जो महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले 10 दिनों से भाजपा और शिवसेना के बीच मचे घमासान की प्रमुख वजह यह है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच हुए 50-50 फार्मूले का समझौता भाजपा के लिए सिरदर्द दर्द बन गया है। भाजपा को महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए उद्धव ठाकरे अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस को वही समझौता याद दिला रहे हैं।

उद्धव ठाकरे जिस फार्मूले की बात कर रहे हैं वह इस प्रकार है, महाराष्ट्र शासन में ढाई साल भाजपा का मुख्यमंत्री और ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री रहेगा। लेकिन अब भाजपा को शिवसेना की दबाव की राजनीति पसंद नहीं आ रही है। महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर दोनों पार्टियों के बीच जबरदस्त बयानबाजी की जा रही है।

मोदी और अमित शाह के लिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे बने चुनौती

पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए पिछले 5 वर्षों में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव नतीजे चुनौती बन गए हैं। आइए कुछ मोदी और अमित शाह की राजनीति की नई जोड़ी के बारे में बात कर ली जाए। दोनों की जोड़ी ने पिछले कुछ वर्षों में इतनी शानदार रणनीति बनाई कि कठिन मौके पर भी दोनों ने राजनीति के क्षेत्र में हार नहीं मानी और भाजपा का ग्राफ बढ़ता गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के गृहमंत्री अमित शाह बहुत कम समय में राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी बन गए। इन दोनों के नेतृत्व और शानदार रणनीति की वजह से भारतीय जनता पार्टी देश में सबसे बड़ी और सबसे अधिक राज्यों में शासन करने वाली पार्टी बन गई है। लेकिन इस बार महाराष्ट्र और हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के केंद्रीय आलाकमान और रणनीतिकार उलझन में आ गए है।

हरियाणा में त्रिशंकु चुनाव नतीजे आने के बाद भी जैसे-तैसे आखिरकार भाजपा अपनी सरकार बना ले गई। अब बारी थी महाराष्ट्र में सरकार बनाने की। 24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजाें के 9 दिन बाद भी सबसे बड़ी पार्टी होते हुए भी भारतीय जनता पार्टी अभी तक राज्य में अपनी सरकार नहीं बना पाई है।

एक ही विचारधारा और पुरानी सहयोगी भाजपा-शिवसेना में आ गई दरार

महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना गठबंधन करके विधानसभा चुनाव लड़े थे, तब भाजपा ने नहीं सोचा होगा यही शिवसेना सरकार बनाने में सबसे बड़ी बाधा बन जाएगी। शिवसेना भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी और एक विचारधारा वाली पार्टी मानी जाती है। कई राज्यों में हुए चुनाव में भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति कारगर साबित हो जाती थी, लेकिन इस बार उनका पाला शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से पड़ा है।

महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भाजपा और शिवसेना में सबसे बड़ा घमासान मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर है। उद्धव ठाकरे इस बात पर अड़े हुए हैं कि ढाई-ढाई साल भाजपा और शिवसेना का मुख्यमंत्री रहेगा। हालांकि अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार के गठन को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है न ही शिवसेना को लेकर अपनी राय व्यक्त की है।

लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह उद्धव ठाकरे की हठधर्मिता से जरूर पशोपेश में है ।उद्धव ठाकरे पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह के साथ हुए समझौते 50-50 के फार्मूले पर अड़े हुए हैं। उद्धव के 50-50 के फार्मूला

इस प्रकार है कि ढाई साल शिवसेना का मुख्यमंत्री और ढाई साल भाजपा का मुख्यमंत्री महाराष्ट्र में रहेगा। इसी बात को उद्धव अमित शाह और पीएम मोदी को याद दिला रहे हैं। महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को उद्धव ठाकरे का यह फार्मूला पसंद नहीं है। फडणवीस पूरे 5 साल मुख्यमंत्री रहना चाहते हैं, इस बात को वह कह भी चुके हैं कि मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा। महाराष्ट्र में सरकार कैसे बनेगी ये सवाल नतीजे आने के दस दिन के बाद भी बरकरार है। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को पूर्ण बहुमत हासिल है लेकिन दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद और कैबिनेट में हिस्सेदारी को लेकर खींचतान चल रही है। जिसने मामला बिगाड़ दिया है। न शिवसेना झुकने को तैयार है और न ही बीजेपी उसकी बात मानने को तैयार दिख रही है। इस बीच एनसीपी मुखिया शरद पवार से मुलाकात कर शिवसेना ने ये कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि वो अपने दम पर सरकार बना सकती है।

राजनीति और सत्ता पाने के लिए सब कुछ जायज होता है

राजनीति और सत्ता पाने के लिए सब कुछ जायज होता है। मौका पड़ने पर एक दूसरे के धुर विरोधी भी हाथ मिला लेते हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा के बीच हुई दोस्ती सबसे बड़ी मिसाल है। एक समय दोनों पार्टियां एक दूसरे की विरोधी मानी जाती थी। दोनों ने लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ा। हालांकि लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद दोनों का गठबंधन टूट भी गया था। ऐसे ही महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना काे लेकर सवाल उठता है कि विचारधारा और मुद्दों का।

क्या कांग्रेस और एनसीपी अपने से विरोधी विचारधारा रखने वाली शिवसेना को समर्थन देगी लेकिन सियासी हलकों में ये माना जाता है कि भारत की राजनीति में विचारधारा और मुद्दे सिर्फ चुनावों के पहले तक के लिए होते हैं। नतीजे आने के बाद सबकुछ आंकड़ों के गणित पर सिमट जाता है, जब जम्मू-कश्मीर में बीजीपी-पीडीपी की सरकार बन जाती है, बिहार में लालू-नीतीश की सरकार बन जाती है तो महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार क्यों नहीं बन सकती।

महाराष्ट्र में मौजूदा सरकार का कार्यकाल आठ नवंबर को खत्म हो रहा है

महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के वित्त मंत्री और वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने शुक्रवार को कहा कि अगर राज्य में सात नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार गठन में मुख्य बाधा शिवसेना की ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग है। उनकी यह टिप्पणी तब आयी है जब 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के आठ दिन बाद भी राज्य में सरकार गठन को लेकर कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है।
महाराष्ट्र में मौजूदा सरकार का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो रहा है। ऐसे में 9 नवंबर तक नई सरकार बन जानी चाहिए नहीं तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार