लखनऊ। कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी हार के बावजूद वाेटों का ध्रुवीकरण करने में सफल रही है।
सांप्रदायिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील कैराना पंरपरागत तौर से भाजपा का क्षेत्र कभी नहीं रहा। अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन जब चरम पर था, तब भी पार्टी यहां के लोगों का विश्वास हासिल नहीं कर सकी।
वर्ष 1998 से 2014 के बीच इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का प्रभुत्व रहा हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर हुकुम सिंह ने यहां जीत हासिल की।
मोदी लहर में भाजपा ने यहां 50 फीसदी से भी अधिक मत हासिल किए जबकि सपा को 30 बसपा को 14़ 33 और रालोद को महज 3़ 81 फीसदी वाेट मिले। मौजूदा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह ने कैराना संसदीय क्षेत्र में आने वाली पांच में से दो सीटाें पर जीत हासिल की हालांकि तीन में उन्हें हार का मुंह देखना पडा। शामली और कैराना में भाजपा को जीत का स्वाद मिला जबकि थानाभवन, गंगोह और नकुड में वह हार गई।
यहां दिलचस्प है कि नकुड और गंगोह के 68 मतदान केन्द्रों पर पुर्नमतदान कराया गया था जो भाजपा के खिलाफ गया।भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडेय ने कहा कि उपचुनाव के परिणाम भले ही हमारे पक्ष में नहीं गए मगर कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा में प्रत्याशियों को प्रदर्शन सराहनीय है। हम बैठकर अपनी कमजोरियों को दूर करने और 2019 में अच्छा प्रदर्शन करने की रणनीति तैयार करेंगे।
पांडेय ने कहा कि भाजपा ने दो विधानसभाओं में अच्छा प्रदर्शन किया हालांकि तीन के परिणाम प्रतिकूल रहे। इसी प्रकार नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को 2017 के मुकाबले 11 हजार वोट अधिक मिले।