नयी दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में पहली बार 40.25 प्रतिशत वोट लेकर 18 सीटों पर कब्जा कर लिया है, जबकि राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस 43.28 प्रतिशत मत हासिल करके 22 सीटों पर कब्जा बरकरार रखने में सफल रही है।
भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार न केवल बेहतर प्रदर्शन किया है बल्कि वह प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरने में कामयाब रही है। भाजपा ने वर्ष 2014 के आम चुनाव में 17.02 प्रतिशत वोट हासिल किया था, लेकिन उसे केवल दो लोकसभा क्षेत्रों में ही कामयाबी हासिल हो सकी थी। इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 39.79 प्रतिशत वोट मिला था, लेकिन उसे 34 सीटों पर कामयाबी मिली थी।
कांग्रेस को इस चुनाव में 5.61 प्रतिशत वोट मिला है और उसके दो प्रत्याशी विजयी होने में सफल रहे हैं। पिछली बार कांग्रेस को 9.69 प्रतिशत वोट मिला था और उसके चार उम्मीदवार जीत का परचम फहराने में सफल रहे थे। सबसे बुरी स्थिति वामपंथी दलों की हुई है। राज्य में 34 साल तक शासन करने वाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को इस चुनाव में 6.25 प्रतिशत वोट मिला है, लेकिन उसके एक भी उम्मीदवार विजयी होने में सफल नहीं हुए हैं।
माकपा को पिछले चुनाव में 22.96 प्रतिशत वोट मिला था और मोहम्मद सलीम (रायगंज) और बदरुदोज्जा खान (मुर्शिदाबाद) ने जीत दर्ज की थी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वामपंथ से सहानुभूति रखने वाले लोगाें ने भाजपा के चुनाव प्रचार से प्रभावित होकर दक्षिणपंथ का रुख किया, जिसके कारण भाजपा को अभूतपूर्व सफलता मिली।
उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति सुदृढ करने पर विशेष ध्यान दिया था और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने धुआंधार चुनाव प्रचार अभियान चलाया था, जिसे लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच कटुता काफी बढ़ गयी थी और एक बार तो रोड-शो के दौरान हिंसक झड़पें भी हुई थीं। बाद में चुनाव आयोग ने निर्धारित समय से एक दिन पहले ही चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी थी।