आज मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भारतीय जनता पार्टी के चले सियासी दांव में फंस गई है। एमपी में सियासत का उठापटक का दौर चल रहा है।
सही मायने में कमलनाथ सरकार इस समय अल्पमत में है, भले ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह लाख दावा करें कि हम सरकार बचा लेंगे लेकिन राह उनकी अब आसान नहीं होगी। भाजपा के द्वारा मध्यप्रदेश में चले गए सियासी दांवपेच का यह कोई पहला उदाहरण नहीं है, इससे पहले भी पार्टी ने विपरीत परिस्थितियों होने के बावजूद भी गोवा और कर्नाटक में अपनी सरकार बना कर सबको चौंका दिया था।
अब भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में भी अपनी सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। भाजपा के चाणक्य है जाने वाले अमित शाह राजनीति के इस जोड़-तोड़ खेल में माहिर माने जाते हैं। अमित शाह की कुशाग्र राजनीति को देखते हुए पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी ने इनका कद बढ़ा दिया था। मध्यप्रदेश में चल रहा सियासी का पूरा खेल शाह की सियासी चाल पर आधारित है।
वर्ष 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद भाजपा ने बनाई थी जोड़-तोड़ की नीति
भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2014 में जब केंद्र में पहुंची थी तब उसने देश के राज्यों को लेकर अपनी आक्रामक नीति अपनाई थी। इसके तहत पार्टी का लक्ष्य कांग्रेस को जड़ से समाप्त करना और अपना शासन कायम करना था। बीजेपी ने देश के राजनीतिक नक्शे पर ऐसा भगवा रंग चढ़ाया कि कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष लुप्त हो गया। एक वक्त तो ऐसा आया जब बीजेपी या उसके सहयोगियों की सरकार 21 राज्यों में बन गई। हालांकि इस मुकाम को हासिल करने के लिए बीजेपी ने जोड़-तोड़ से भी परहेज नहीं किया और कांग्रेस या दूसरे दलों से आने वाले नेताओं और विधायकों को पार्टी में सम्मान दिया।
अगर हम बात करें पिछले 2 वर्षों में तो भारतीय जनता पार्टी के लिए कई राज्य परेशानी बढ़ा गए हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड में भाजपा शासित सरकारें थी लेकिन यहां से पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है।अभी हाल ही में दिल्ली में सत्ता की उम्मीद लगाए बैठे भाजपा को बहुत ही निराशा का सामना करना पड़ा है। अब पार्टी चाहती है मध्य प्रदेश की सत्ता हाथ में आ जाए तो इसकी कुछ भरपाई हो सकती है।
गोवा में पूर्ण बहुमत न होने के बाद भी बनाई थी अपनी सरकार
भारतीय जनता पार्टी ने सबसे पहले वर्ष 2017 में गोवा में पूर्ण बहुमत न होने के बाद भी अपनी सरकार बना ली थी। विधानसभा चुनाव के नतीजों में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। 40 सीटों वाली गोवा विधानसभा में कांग्रेस ने 17 और बीजेपी ने 13 सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि बाकी सीटें छोटे दलों व निर्दलीयों के खाते में गई। यानी कोई भी पार्टी अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी। बावजूद बीजेपी ने छोटे दलों व निर्दलीयों के समर्थन से गोवा में सरकार बना ली और कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कर्नाटक में भी कुमारस्वामी की सरकार भाजपा ने आखिरकार गिरा दी थी
मई 2018 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी को बड़ी बढ़त मिली (104 सीट जीतीं), लेकिन सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं ला पाई। कांग्रेस 78 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। जबकि जेडीएस 40 जीत पाई. इस बीच बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली, लेकिन वे विधानसभा में अपना बहुमत नहीं सिद्ध कर पाए थे, इसके बाद में उन्हें इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद कांग्रेस ने बड़ा दांव चला और जेडीएस को सीएम पद देकर सरकार बना ली,,लेकिन एचडी कुमारस्वामी की ये सरकार ज्यादा वक्त नहीं चल पाई। कांग्रेस और जेडीएस के 17 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए और जुलाई 2019 में कुमारस्वामी सरकार गिर गई। इसके बाद भाजपा ने बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बना ली थी।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार