जयपुर। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम महापौर एवं तीन पार्षदों को निलंबित करने के विरोध में राज्य सरकार के खिलाफ प्रदेश में धरने-प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां सहित तमाम पदाधिकारियों, पार्टी के सांसदों एवं विधायकों ने हैशटैग डिक्टेटर गहलोत के साथ राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ ट्वीट किया।
डॉ. पूनियां ने ट्वीट किया कि जून 1975 को जब देश में आपातकाल लगा तो हमारे मुख्यमंत्री जो उस समय राजनीति में आए ही थे और स्वयं को गांधीवादी कहते थे, उन्होंने इसका समर्थन किया। जब घुट्टी ही तानाशाही की पी हो तो, गुण भी ऐसे ही होंगे।
उन्होंने कहा कि जो सरकार अपने समस्त आदेश रात के अंधेरे में निकालती हो, अपनी जनता, जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ताओं को अंधेरे में रखती हो। लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए लोगों को आधी रात में हटा देती हो, उसका मुखिया क्या होगा। लोकतंत्र को अपमानित करना ही, कांग्रेस की विचारधारा है।
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने ट्वीट किया कि जनता द्वारा चुनी हुई महापौर को इस तरीके से अपमानित कर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने तानाशाही एवं द्वेष की घृणित राजनीति की है।
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त प्रदेश की कांग्रेस सरकार अब तानाशाही राजनीति पर उतर आई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घुट्टी ही तानाशाही की पी है, अब वे उसी घुट्टी को राजस्थान की राजनीति में उंडेल रहे हैं । लेकिन, वे भूल रहे हैं कि जोर जुल्म की टक्कर में, संघर्ष हमारा नारा है, राजस्थान में कुप्रबंधन और लापरवाही की परकाष्ठा हो चुकी है। लोकतांत्रिक मूल्यों का चीरहरण हुआ है।
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड ने ट्वीट किया कि लोकतंत्र में चुनी हुई महापौर और पार्षदों को अपने हितों के लिए राजस्थान की कांग्रेस सरकार द्वारा हटाया जाना काला दिवस है।
गहलोत सरकार ने विधि विरुद्ध जाकर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को निलंबित कर अबोध शस्त्र हाथ में लिया है जो इनके लिए ही मारक सिद्ध होगा। लोकतंत्र की धुरी ‘स्थानीय निकाय’ में भाजपा के बहुमत से घबराई कांग्रेस सरकार के तानाशाही कृत्य का जनता लोकतांत्रिक ढंग से जवाब देगी।
गहलोत सरकार ने राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 में प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने मेयर व भाजपा पार्षदों को ना सुनवाई का अवसर दिया और ना ही प्रारम्भिक जांच करना मुनासिब समझा। जनता सब देख रही है।
केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने ट्वीट किया कि जयपुर ग्रेटर की महापौर एवं तीन पार्षदों को निलंबित करने पर सत्तारूढ़ कांग्रेस दो-फाड़ है। धारीवाल ने निलंबन के आदेश जारी करवाए और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कहते हैं कि इस एपिसोड से बचना चाहिए था। गहलोत लोकतंत्र की हत्या करके चुपचाप तमाशा देख रहे है।
चौधरी ने कहा कि जिस प्रकार राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने तुगलकी फरमानों से लोकतंत्र का जब देखो तब गला घोंट रहे हैं, उन्हें अब जनता सहन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता पूरी तरह सजग है। वह प्रदेश सरकार की इन सभी असंवैधानिक गतिविधियों को देख रही है और समझ भी रही है।