नई दिल्ली। वर्ष 2014 में कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी रहे सुप्रीमकोर्ट के वकील अजय अग्रवाल ने इस बार टिकट नहीं दिए जाने से नाराज होकर बगावत के सुर बुलंद कर दिए हैं और पार्टी नेतृत्व को चुनौती दी है कि निष्पक्ष चुनाव होने पर भाजपा को 40 सीटें भी बमुश्किल नसीब होंगी।
अग्रवाल ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर कहा है कि उन्होंने गुजरात चुनाव में पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूूमिका निभाई थी और 2014 के चुनाव में रायबरेली की गांधी परिवार की पारंपरिक सीट पर भाजपा के लिए सर्वाधिक करीब पौने दो लाख मत हासिल कर पार्टी की प्रतिष्ठा बढाई थी, जबकि स्वयं मोदी या किसी अन्य बड़े भाजपा नेता ने रायबरेली में प्रचार तक नहीं किया था। रायबरेली इससे पहले किसी भी विपक्षी उम्मीदवार को 35 हजार वाेट भी नहीं मिले थे।
अग्रवाल ने कहा कि मैंने अपने तथा अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के दम पर सोनिया गांधी को चुनौती दी थी। पर अभी रायबरेली का टिकट आपने ऐसे व्यक्ति को दे दिया जिसे कांग्रेस अपनी पार्टी से निकालने ही वाली थी क्योंकि उसके ऊपर जमीनों के अवैध कब्जे, गबन, दर्जनों अापराधिक मुकदमे कायम हैं और रायबरेली जिला पंचायत में उसके भाई के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव आ गया था।
उसने पूरे रायबरेली जिले को लूट कर अपना घर भरा था, उसको आपने भाजपा का टिकट थमा दिया। उन्होंने कहा कि रायबरेली में भाजपा उम्मीदवार 50 हजार वोट से ज़्यादा का आंकड़ा पार नही कर पाएगा भले ही मोदी वहां तीन दिन तक प्रचार करें।
उन्होंने कहा कि रायबरेली में मेरी सर्व स्वीकार्यता और अधिकतर जनता द्वारा चाहने के बावजूद मेरा टिकट काटकर मेरा जो अपमान हुआ है उसी के चलते तथ्यों को आपके तथा देशवासियों के समक्ष रखना मेरा कर्त्तव्य था और आप जो 400 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं तो मैं आपको बता दूं कि यदि निष्पक्ष चुनाव होंगे तो आप देशभर में 40 सीटों पर भी सिमट सकते है और इसके लिए अपने को तैयार रखें ताकि कोई मानसिक आघात न हो।
अग्रवाल ने भाजपा के नेतृत्व पर अहसान फरामोशी का भी आरोप लगाया और कहा कि भाजपा में किसी भी व्यक्ति को महत्व जात पात देखकर दिया जाता है। चूंकि वह व्यापारी समाज से आते हैं जिसे भाजपा नेतृत्व की नज़र में वैश्यों का कोई राजनीतिक महत्व ही नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि आप मेरे जैसे अन्य कार्यकर्ताओं को केवल इस्तेमाल करते हैं और कार्यकर्ता अपना घर द्वार छोड़कर 24 घंटे आप के लिए काम करता रहता है और उसको वह सम्मान भी नहीं मिलता जिसका कि वह हकदार है।