जयपुर। राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा है कि ऐसा लगता है कि किसान संगठन और विपक्षी दल कृषि कानूनों का विरोध नहीं कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करना ही उनका एकमात्र उद्देश्य रह गया है।
कटारिया ने आज अपने बयान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि कृषि कानून का इस कारण विरोध किया जा रहा है,क्योंकि जिन राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार हैं, वे इसका लाभ किसानों को नहीं दे पा रहे हैं। इसलिए इस शर्मिंदगी को मिटाने के लिए 26 मई को काला दिवस मनाने वाले लोगों का ये राजनीतिक पार्टियां समर्थन कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि देश की जनता उनके इन कृत्यों को बेनकाब कर देना चाहिए ताकि भविष्य में किसानों का बहाना लेकर अपने राजनीतिक लाभ लेने के लिए किए गए गलत कामों को सही साबित नहीं कर सकें।
उन्होंने बताया कि कृषि बिलों पर जो केंद्र सरकार ने बिल पास करके कानून का रूप दिया है उस कानून के विरूद्ध कुछ किसान संगठन और देश के कई विपक्षी पार्टियां इस कानून का विरोध कर रही है। किसान संगठनों ने 26 मई को काला दिवस मनाना तय किया है इसमें देश के कुछ प्रमुख पार्टियां भी इसका समर्थन कर रही हैं।
कटारिया ने उन सभी से निवेदन किया है कि उनका विरोध इस बात से था कि मंडिया समाप्त हो जाएंगी। लेकिन इस कानून के पास होने के बाद देश में अब तक कहीं पर भी मंडिया बन्द नहीं हुई है, यथावत चालू है।
उन्होंने कहा कि किसान संगठनों ने आरोप लगाया कि समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद बन्द हो जाएगी। खरीद आज भी जारी है और पिछली सरकारों से कई गुना ज्यादा खरीद की जा रही है।
कटारिया ने बताया कि पहले कांग्रेस शासन में कुछ ही फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित होता था। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 फसलों का समर्थन मूल्य दिया जाना घोषित किया और आवश्यकतानुसार इसके मुताबिक खरीद भी की। फिर भी विरोध किस बात का, कोई स्पशष्ट तो करे।
उन्होंने कहा कि क्या काला दिवस इसलिए मनाया जा रहा है कि किसान सम्मान निधि के तहत 10 करोड़ 50 लाख किसानों के खातों में आठ किश्तों में सीधे ही जमा कराई जा चुकी है, जिस पर अब तक एक लाख 15 हजार करोड़ रूपया सीधा ही किसानों के खातों में जमा हो गया।
कटारिया ने कहा कि अभी मोदी सरकार ने खाद सब्सिडी बढ़ाने का जो किसान हित में डीएपी खाद पर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इससे किसानों को लगभग 14400 करोड़ रूपए का फायदा हुआ है।