जयपुर। राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचन्द कटारिया ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट को मुख्यमंत्री अशोक गहलात ने पांच वर्ष का खाका बताया है, लेकिन बजट देखने से लगता है कि यह एक वर्ष का भी रोड मेप नहीं है।
कटारिया ने आज यहां कहा कि किसानों के कर्जमाफी की बात कही है, जो पुरानी घोषणा का दोहराव मात्र है। अब तक बैंकों को राज्य सरकार की तरफ से पैसा नहीं दिया गया है। किसानों को केवल कर्जमाफी के सर्टिफिकेट बांटे गए हैं।
उन्होंने कहा कि बजट में कल्याण की बात कही गई है, लेकिन कोई बड़ी घोषणा किसानों के लिए नहीं की गई है, केवल पुरानी घोषणाओं को ही दोहराया गया है। बेरोजगार युवाओं के लिए बेरोजगारी भत्ते की बात कही गई थी, जिसको लेकर बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि गहलोत ने बजट में 75 हजार नई भर्तियों की जो घोषणा की है, वह भाजपा सरकार के कार्यकाल में वर्ष 2018-19 के बजट में की जा चुकी है।
कटारिया ने कहा कि राज्य पर बढ़ते कर्ज की बात कही है, लेकिन कर्ज कम करने के कोई उपाय नहीं बताये गये हैं। भाजपा सरकार के दो कार्यकाल में जितना कर्ज लिया गया था उसका 90 प्रतिशत तक पूंजीगत व्यय में लगाया गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार के दो कार्यकाल में जितना कर्ज लिया गया उसका 66 प्रतिशत ही पूंजीगत व्यय किया गया।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारों को एक लाख नए रोजगार देने की बात कही है, लेकिन अभी तक लाखों नियुक्तियां प्रक्रियाधीन है उनको पूर्ण करने की बात नहीं कही गई है। घोषणा करते समय माननीय मुख्यमंत्री ने किस योजना पर कितना खर्च होगा यह नहीं बताया गया है। अर्थात् बजट में प्रावधान नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि किसान कल्याण, जल संरक्षण, सौर ऊर्जा, स्टार्टअप, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय आदि केन्द्र सरकार की योजनाओं का दोहराव राज्य बजट में किया गया है। रियल एस्टेट में स्टाम्प ड्यूटी कम करके राहत देने के स्थान पर राज्य सरकार ने गुपचुप रूप से ही डीएलसी रेट 20 से 47 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। इससे आम आदमी पर भार तो बढ़ेगा ही साथ ही अप्रत्यक्ष रूप में राज्य की जनता पर कर भार बढ़ाया गया है।
कटारिया ने कहा कि बजट में पुरानी सरकार को बार-बार कोसा गया है, जबकि स्वयं की योजनाओं एवं कार्यक्रमों पर कम ध्यान दिया गया है। बजट में 32 हजार 678 करोड़ रूपए का घाटा बताया गया है जिसकी पूर्ति हेतु कोई ठोस योजना नहीं बताई गई है कि यह पैसा कहां से आयेगा और इस घाटे को कैसे पूरा किया जाएगा एवं इसकी भरपाई कैसे होगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त विद्युत उत्पादन की बात कही है, जबकि कांग्रेस सरकार आने के बाद इस सम्बन्ध में कोई प्रयास नहीं किए गए। यह तो केवल भाजपा सरकार के समय में जो प्रयास किए गए उन्हीं के परिणामस्वरूप वर्तमान में राज्य में विद्युत सरप्लस है।