लखनऊ। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विवादित ढांचा गिराये जाने के आरोपी भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता कल्याण सिंह ने सोमवार को कहा कि वह बेगुनाह हैं और उन्होंने उस समय मुख्यमंत्री पद के दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन किया लेकिन केन्द्र की तत्कालीन सरकार ने उन्हें इस मामले में आरोपी बना दिया।
सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह और धर्म सेना अध्यक्ष संतोष दुबे सोमवार को यहां केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत में उपस्थित हुए और अपने बयान दर्ज कराए। बयान दर्ज करा कर बाहर निकले सिंह ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ढांचे की सुरक्षा चाकचौबंद की गई थी। इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। तमाम अधिकारी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सजग थे। कुल मिलाकर उस समय की सरकार ने कोई लापरवाही अपनी ओर से कोई लापरवाही नहीं की थी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते मैने अपने दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन किया। हालांकि कांग्रेस की तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हे राजनीतिक विद्वेष के चलते फंसा दिया।
उधर, धर्म सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष दुबे ने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण उनकी दिली तमन्ना है और इस पुनीत कार्य के लिये वह हमेशा काम करते रहेंगे। हालांकि विवादित ढांचा ढहाने में उनका हाथ नहीं है।
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता कल्याण सिंह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दोपहर करीब एक बजे सीबीआई कोर्ट पहुंचे और अपने करीबियों का हाथ पकड़ कर न्यायालय परिसर में दाखिल हो गए। अदालत परिसर में पत्रकारों ने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होने कोई जवाब नहीं दिया।
गौरतलब है कि विवादित ढांचे को छह दिसम्बर 1992 को ढहा दिया गया था। इस सिलसिले में रामजन्मभूमि थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी जिसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती समेत 49 आरोपितों के खिलाफ सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया था। इनमें से 17 आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है।
उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई की विशेष अदालत में प्रतिदिन सुनवाई की जा रही है। इस मामले का फैसला 31 अगस्त को सुनाया जाना है।