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BJP ने साधा निशाना, किसके इशारे पर शिवसेना ने तोड़ी 30 साल की दोस्ती - Sabguru News
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BJP ने साधा निशाना, किसके इशारे पर शिवसेना ने तोड़ी 30 साल की दोस्ती

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BJP ने साधा निशाना, किसके इशारे पर शिवसेना ने तोड़ी 30 साल की दोस्ती

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के बाद आज अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना से सवाल किया कि वह किसके इशारे पर चुनाव परिणाम आने के बाद इतना उत्तेजित हो गई और 30 साल पुरानी मित्रता, राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व और भारत के स्वाभिमान को तिलांजलि देकर नए रिश्ते खोजने लगी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विधानसभा चुनाव का परिणाम भाजपा शिवसेना के पक्ष में था और भाजपा बड़ी पार्टी बनी। मुख्यमंत्री के रूप में देवेन्द्र फड़नवीस की योग्य एवं ईमानदार छवि रही। पूरे प्रचार अभियान में मुख्यमंत्री के रूप में उनका ही नाम प्रचारित हुआ। शिवसेना के पक्ष में भी भाजपा के वोटों का ध्रुवीकरण हुआ। इसलिए दोनों दलों की युति ने प्रामाणिक बहुमत और फड़नवीस की अगुवाई में नैतिक एवं चुनावी जीत हासिल की।

प्रसाद ने सवाल किया कि जब चुनाव का परिणाम उनके गठबंधन के हक में स्पष्ट रूप से आ गया था तो शिवसेना किसके इशारे पर उत्तेजित हो गई और 30 साल पुरानी मित्रता, राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व और भारत के स्वाभिमान को तिलांजलि देकर नये रिश्ते खोजने लगी। उन्होंने आरोप लगाया, मुंबई देश की वित्तीय राजधानी है और महाराष्ट्र देश का बड़ा राज्य है। यह चोर दरवाजे से देश की वित्तीय राजधानी पर कब्ज़ा करने की साजिश थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और राकांपा ने पहले ही कह दिया था कि उन्हें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। उन्होंने कहा कि यह परिणाम कुर्सी के लिए जनादेश कब से हो गया। वे मैच फिक्सिंग करके कुर्सी हथियाने में लग गये। उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि लोकतंत्र की हत्या हो गयी। जब शिवसेना स्वार्थ से प्रेरित हो कर 30 साल की दोस्ती तोड़ दे तो वह हत्या नहीं होती।

उन्होंने शिवसेना पर आरोप लगाया कि वह अपने संस्थापक आदरणीय बाला साहेब ठाकरे के आदर्शों को नहीं रख सकी। दिवंगत नेता ने कांग्रेस के खिलाफ प्रामाणिक राजनीति की और देश की संस्कृति के प्रति हमेशा प्रतिबद्धता निभाई। उन्होंने कहा कि जो अपनी सारी विरासत को छोड़ देते हैं, वे हमसे जवाब मांग रहे हैं। सत्ता के लिए विचारों से समझौता करने वाले छत्रपति शिवाजी के बारे में नहीं बोलें।

प्रसाद ने कहा कि अजीत पवार के नेतृत्व में उनकी पार्टी का बड़े तबके ने आगे आकर समर्थन देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि नई युति महाराष्ट्र में स्थायी सरकार तथा प्रभावी एवं प्रामाणिक शासन देगी। उन्होंने कहा कि शिवसेना ने जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बारे में स्तरहीन विशेषणों एवं अपशब्दों का प्रयोग किया है, उससे हमें पीड़ा हुई है।

राकांपा के अध्यक्ष शरद पवार द्वारा अजीत पवार के कदम को निजी कदम बताने और भाजपा को समर्थन नहीं देने के ऐलान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह राकांपा के आंतरिक मामलों में कुछ नहीं बोलेंगे लेकिन इतना अवश्य कहेंगे कि सरकार प्रभावी एवं प्रामाणिक बहुमत साबित करेगी।

प्रसाद ने कांग्रेस, शिवसेना एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार पर पलटवार करते हुए कहा कि आपको बुलाया जाए तो आप दावा करेंगे नहीं, कोई लिखित अनुरोध करेंगे नहीं और समय पर समय मांगा जाए तो क्या एक बड़ा राज्य ऐसे ही चलता रहे? उन्होंने सवाल किया कि क्या शरद पवार, कांग्रेस, शिवसेना का क्या कोई दावा राज्यपाल के पास लंबित था।

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन हटाए जाने को लेकर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक को लेकर उठाए जा रहे सवालों पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्य में स्थायी सरकार देने के लिए अपने विशेष अधिकारों का प्रयाेग किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री में मंत्रिमंडल का अधिकार निहित होता है।

भारत सरकार के नियमावली में नियम संख्या 12 के तहत प्रधानमंत्री को विशिष्ट परिस्थितियों में मंत्रिमंडल की ओर से खुद फैसला करने का अधिकार होता है और बाद में मंत्रिमंडल की बैठक में उसकी स्वीकृति हासिल की जाती है। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन समाप्त करने के लिए इसी नियम का प्रयोग किया गया था।

विधि मंत्री ने राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि राज्यपाल ने पहले तीनों पक्षों को बुलाया था। मगर किसी ने किसी ने दावा नहीं किया था। इतने दिन हो गए थे। उनके सामने आज सुबह जब भाजपा का दावा पेश किया गया तो उस समय कांग्रेस-शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गठजोड़ का कोई अन्य दावा विचाराधीन नहीं था। यह दावा दोनों पार्टियों के विधायक दल के नेताओं ने अपने विधायकों के हस्ताक्षर वाले समर्थन पत्र के साथ पेश किया था। इसलिए संदेह का प्रश्न नहीं था।