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भाजपा अल्पसंख्यक मोर्च ने अजमेर कलेक्टर को सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन - Sabguru News
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भाजपा अल्पसंख्यक मोर्च ने अजमेर कलेक्टर को सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

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भाजपा अल्पसंख्यक मोर्च ने अजमेर कलेक्टर को सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

अजमेर। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के जिलाध्यक्ष शफ़ीक़ खान के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने अल्पसख्यक हितों की अनदेखी होने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

खान ने कहा कि सत्तारूढ कांगेस सरकार के अल्पसंख्यक मामलात विभाग समेत कई अन्य विभागों के तहत आने वाले तमाम निगम बोडों में गत दो वर्षों से विकास के कार्य नहीं हो रहे हैं तथा सरकारी योजनाओं के कार्य भी बंद हैं।

अल्पसंख्यक हितों की अनदेखी का आलम यह है कि अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति बन्द कर दी गई जिससे उनके शिक्षण कार्य पर विपरित असर पड़ रहा है। छात्रवृति न मिलने से कई छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं। अल्पसंख्यक छात्रों के लिए हायर एजूकेशन लॉन बन्द कर दिए गए हैं, जिससे छात्र देश एवं विदेश में जाकर अपनी एजूकेशन को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।

राजस्थान वक्फ बोर्ड ने अपनी अनेकों सम्पत्तियों में से कुल 60 सम्पत्तियों को चिन्हित किया है, जिसमें से 4 का किराया आ रहा है। इनमें से 34 वक्फ सम्पत्तियों का पीडब्ल्यूडी द्वारा किराया निर्धारण कर दिया गया है। जिसका लगभग 21 करोड़ रूपए राज्य सरकार में बकाया चल रहा है।

एसीएस और सीएस स्तर पर भी विभागों को किराया अदा करने के पत्र लिखे गए हैं लेकिन सरकार ने अभी तक इस विषय में कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार सभी वक्फ सम्पत्तियों को चिन्हित कर तुरन्त किराया निर्धारण करें। राज्य सरकार द्वारा सभी प्रकार की छात्रवृत्तियां पूर्णतया बन्द है। निःशुल्क कोचिंग की व्यवस्था भी। गत 2 वर्षों में बन्द कर दी गई है।

केन्द्र के द्वारा राज्य सरकार को जो धन राशि भेजी गई है राज्य सरकार उसे अपने नाम से बता रही है। इसमें पोस्ट मैट्रिक में 51949 छात्रों को 3872 लाख रुपए मैरिट कम मीन्स में 6749 छात्रों को 1854 लाख रुपए दिए गए। बिजनेस लोन 483 लाख रुपए व हायर एजुकेशन लोन 268 छात्रों का 354 लाख रुपए प्रदान किए। इन सुविधाओं में राज्य सरकार का कोई योगदान नहीं रहा।

आरपीएससी में सदस्य बनाए जाने के दौरान भी मुस्लिम समाज की अनदेखी की गई। उर्दू भाषा को तृतीय भाषा के रूप में मान्यता समाप्त करने की तैयारी चल रही है। बीते दो साल में अल्पसंख्यकों से जुड़े निगम व बोड़ों का गठन नहीं हो पाया। अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम की तमाम गतिविधियों पर विराम लगा हुआ है।

सरकार ने अपने मंत्रिमण्डल में अल्पसंख्यकों को कम महत्व के विभाग दे रखें हैं। मदरसा बोर्ड को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद भी कोई प्रगति नजर नहीं आती। मदरसों में शिक्षा सामग्री व खेल सामग्री का वितरण बंद है।

वर्तमान समय में कोरोनाकाल में प्रदेश की सरकार ने सभी शिक्षण संस्थाओं में ऑनलाईन शिक्षण की व्यवस्था की गई है, जबकि मदरसों को ऑनलाईन व्यवस्था से वंचित रखा गया है। जिससे 2.5 लाख अल्पसंख्यक बच्चों का भविष्य अंधकार में डूबने के कगार पर है। मदरसा पैरा टीचर्स का नियमन नहीं किया गया है।

मेवात विकास बोर्ड का गठन नहीं होने से क्षेत्र के तमाम विकास कार्य ठप पड़े हैं। वक्फ विकास परिषद भी अपना वजूद खोती जा रही है। अल्पसंख्यक वर्ग के प्रशासनिक अधिकारी को भी फील्ड पोस्टिंग नहीं दी गई। पूरे प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार बढे हैं व कानून व्यवस्था लड़खड़ा रही है।

हाल ही में 6 निगमों जयपुर, जोधपुर एवं कोटा में हुए चुनाव में भारी तादाद में अल्पसंख्यक पार्षद विजय होने के बावजूद मुस्लिम समाज को दरकिनार किया साथ ही मेयर पद से वंचित कर दिया।

राज्य सरकार कोचिंग संस्थानों की सूची तैयार कर उसमें अल्पसंख्यक छात्रों को दाखिले दिलाने का प्रयास करे तथा जो सुविधा एससी-एसटी के छात्रों को दी जाती है ठीक वैसी सुविधा अल्पसंख्यक छात्र छात्राओं को दी जाए।

राज्य में उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति हेतु व्यवस्थित नीति के अभाव में उर्दू शिक्षकों की भारी कमी के कारण इस विषय के अध्ययन से छात्र वंचित हो रहे हैं। अतः उर्दू शिक्षकों के रिक्त पदों को तुरन्त प्रभाव से भरा जाए।

केन्द्र सरकार की घूमन्तु सूची में कलंदर, मीरासी, फकीर जातियां भी घूमन्तु श्रेणी में आती है, लेकिन राजस्थान सरकार की घूमन्तु श्रेणी में उनका नाम नहीं है। सरकार द्वारा उनका नाम भी घूमन्तु श्रेणी की सूची में जोड़ा जाए, जिससे की वह भी घूमन्तु श्रेणी के लिए चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का फायदा उठा सकें।

पैराटीचर योजना को रिवाईज किया जाना परम आवश्यक है ताकि इनकी उपयोगिता सार्थक हो सके, वरना पिछले सालों से यह समस्या भवावह होती जा रही है। मुस्लिम समाज की उपरोक्त समस्याओं का तुरंत समाधान करें एवं जिस निगम एवं बोर्ड के प्रभावी कार्य नहीं हो रहे हैं, वहां तुरंत उचित कार्यवाही की जाए। चाहे वो अल्पसंख्यक मामलात विभाग हो या अन्य कोई और विभाग से सम्बन्धित हो।