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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर राजे पर हमलावर हुए घनश्याम तिवाड़ी
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर राजे पर हमलावर हुए घनश्याम तिवाड़ी

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर राजे पर हमलावर हुए घनश्याम तिवाड़ी
BJP MLA ghanshyam tiwari to protest against Rajasthan CM Vasundhara Raje for not vacating her current bungalow

BJP MLA ghanshyam tiwari to protest against Rajasthan CM Vasundhara Raje for not vacating her current bungalow
BJP MLA ghanshyam tiwari to protest against Rajasthan CM Vasundhara Raje for not vacating her current bungalow

जयपुर। सांगानेर से बीजेपी विधायक एवं दीनदयाल वाहिनी के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को नैतिकता के आधार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए सरकारी बंगलों को तुरंत खाली करना चाहिए।

तिवाड़ी ने इसी मुद्दे पर राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा सिविल लाइंस स्थित 8 व 13 नंबर के बंगलों का उपयोग करने को असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को 13 नंबर बंगला तुरंत खाली करना चाहिए और 8 नंबर बंगले में शिफ्ट होना चाहिए।

बुधवार को श्याम नगर स्थित मातृमंदिर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए तिवाड़ी ने कहा कि वाहिनी शुरू से ही 13 नंबर बंगले पर स्थाई कब्जा करने के प्रयास का विरोध करती रही है। अब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ चुका है इसलिए मुख्यमं​त्री को तुरंत प्रभाव से बंगला खाली कर देना चाहिए। वाहिनी इस निर्णय की पालना के लिए पूरे प्रदेश में अगले 10 दिनों तक लगातार आंदोलनरत रहेगी।

आंदोलन की शुरूआत गुरूवार 10 मई को जयपुर में वाहिनी के कार्यकर्ता सिविल लाइन फाटक पर विधेयक की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन करने से होगी। उन्होंने कहा कि वाहिनी आंदोलन व विरोध प्रदर्शन के माध्यम से 13 नंबर बंगला खाली करने को बाध्य करेगी।

उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स एक्ट 1981 की धारा 4(3) को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को रद्द कर दिया। जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगला देने का प्रावधान था। बैंच ने उत्तर प्रदेश सरकार के कानून को रद्द करते हुए कहा कानून समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है और मनमाना है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान में इसी विधेयक की नकल करते हुए मंत्री वेतन विधेयक, 2017 लाया गया था जो कि उक्त विधेयक से भी ज्यादा असंवैधानिक और मनमाना है। उन्होंने कहा कि इस बिल में धारा 7-खख के अनुसार सरकारी बंगले के साथ ही अन्य सुविधाओं का आजीवन प्रबंध किया गया।

इसके साथ ही 13 नंबर बंगले को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से काम में तथा 8 नंबर बंगले को वर्तमान मुख्यमंत्री की हैसियत से काम में लिया जा रहा है ताकि चुनाव हारने पर 13 नंबर बंगला बना रहे और इस पर अपनी सुख सुविधाओं के लिए असीमित धन खर्च किया गया है।

तिवाड़ी ने कहा कि उन्होंने राजस्थान विधानसभा में सवाल पूछा कि बंगला नंबर 13 पर कितना सरकारी खर्च किया गया लेकिन इसका जवाब ही नहीं दिया बल्कि प्रश्न को ही अग्राह्य कर दिया गया।

तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में जब इस असंवैधानिक विधेयक का विरोध करने के बावजूद कोई ध्यान नहीं दिया गया तो मैंने राज्यपाल से समय मांगा लेकिन उन्होंने भी मुझे समय नहीं दिया। मजबूरन विधेयक पर हस्ताक्षर न करने के लिए राज्यपाल को पत्र लिखा।

लेकिन दूसरे ही दिन राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को राजभवन में खाना खिलाकर और उस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए। क्योंकि राज्यपाल स्वयं लखनउ में इस सुविधा का उपभोग कर रहे हैं। वे नहीं चाहते थे कि कोई इस विधेयक का विरोध करें।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी इस विधेयक का विरोध नहीं किया। जब पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने सरकारी बंगले का प्रावधान किया था तो मैंने उसका विरोध किया था लेकिन उन्होंने कहा कि कटारिया कहेंगे तो में लागू नहीं करूंगा। कटारिया ने इसका विरोध नहीं किया उन्होंने मौन साध ​लिया।

मगर राजेंद्र राठौड़ ने बीच में उठकर कहा कि हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। तब भी मैंने कहा ​था कि ये सब आगे की तैयारियां हो रही है जो कि आज हम सबकी आंखों के सामने है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला खाली करने का आदेश दिया था। तब अखिलेश सरकार ने पुराने कानून में संशोधन कर दिया था।

तिवाड़ी ने कहा कि मेरी मांग है कि जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के विधेयक को स्ट्रक डाउन किया है उसी प्रकार राजस्थान में बनाया गया है। इसकी व्याख्या की बात जनता की आंखों में धूल झोंकने का असफल प्रयास है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वर्तमान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मिलीभगत है।