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भाजपा सांसद श्रीनिवास प्रसाद ने राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया - Sabguru News
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भाजपा सांसद श्रीनिवास प्रसाद ने राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया

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भाजपा सांसद श्रीनिवास प्रसाद ने राजनीति से संन्यास लेने का फैसला किया

बेंगलूरु। कर्नाटक से भारतीय जनता पार्टी सांसद वी श्रीनिवास प्रसाद ने शुक्रवार को अपने जन्मदिन पर चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की।

प्रसाद ने मैसूरु में संवाददाताओं से कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए हर्ष हो रहा है कि मैं चुनावी राजनीति से संन्यास ले रहा हूं। मैं चार साल पहले चुनावी राजनीति छोड़ना होना चाहता था, लेकिन अपने प्रशंसकों और शुभचिंतकों के सुझावों के कारण मैंने चुनावी राजनीति में बने रहने का फैसला किया। अब मैंने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का मन बना लिया है, मैं इस पर कायम रहूंगा।

उन्होंने कहा कि वह पांच दशक तक राजनेता रहे और आने वाले दिनों में वह एक पुस्तक का विमोचन करेंगे। प्रसाद एक दलित और विशेष रूप से मैसूर में राज्य की राजनीति में एक अत्यधिक प्रभावशाली नेता रहे हैं। वह नंजानगुड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कर्नाटक विधान सभा के सदस्य और चामराजनगर से छह बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं। उन्होंने पहले जनता दल (यू) और कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के साथ काम किया है। वह शुरुआत में कांग्रेसी नेता थे। बाद में वह जनता दल (यूनाइटेड) में शामिल हो गए।

प्रसाद कांग्रेस में लौटने के बाद नंजानगुड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से 2013 में विजयी हुई। वह दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हो गए जिससे इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा जो 2017 में अपने कांग्रेस प्रतिद्वंदी से चुनाव हार गए।

जून 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ अनबन के बाद राजस्व मंत्री के रूप में उन्हें कांग्रेस कैबिनेट से हटाने के बाद प्रसाद फिर से भाजपा में शामिल हो गए थे।

प्रसाद को सिद्धारमैया के करीबी सहयोगी के रूप में जाना जाता था और वह अहिंडा आंदोलन में शामिल हुए थे। इस बीच हालांकि दोनों के बीच किसी बात को लेकर अनबन हो गई और प्रसाद ने सिद्धारमैया पर गंभीर आरोप लगाने शुरू कर दिए। उन्हाेंने आरोप लगाया था कि सिद्धारमैया ने कांग्रेस आलाकमान को गुमराह कर उन्हें राज्य मंत्रिमंडल से हटाया है।

कांग्रेस में शामिल होने से पहले श्री प्रसाद ने भाजपा को हिन्दुत्व पार्टी कहते हुए छोड़ दिया था। वह वर्ष 1999 से 2004 तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे थे। वह वर्ष 2005 में फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए थे।