नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध नेता एवं पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने गुरुवार को कहा कि विविधता एवं वैचारिक अभिव्यक्ति की आज़ादी भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार है और पार्टी ने कभी भी अपने राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वियों को ‘शत्रु’ या ‘राष्ट्रविरोधी’ नहीं माना।
भाजपा के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे आडवाणी ने पार्टी के 39वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संदेश में यह बातें कहीं। लोकसभा चुनावों में टिकट से वंचित किए जाने के बाद आडवाणी ने गांधीनगर की जनता को भी उन्हें छह बार चुनने के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस हम सबके लिए पीछे देखने और आत्मावलोकन करने का अहम मौका होता है। भाजपा के संस्थापक सदस्य होने के नाते वह भारत के लोगों और पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं काे लेकर अपनी भावनाओं को साझा करना चाहते हैं जिनका आदर एवं प्रेम उन्हें हमेशा मिला।
उन्होंने कहा कि 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने के बाद से ही मातृभूमि की सेवा करना उनका मिशन एवं जुनून रहा। सात दशक की राजनीतिक यात्रा में उन्हें पं. दीनदयाल उपाध्याय, अटल बिहारी वाजपेयी और कई अन्य महान एवं प्रेरणादायी नेताओं के साथ काम करने का अवसर मिला। उन्हाेंने कहा कि उनके जीवन का दिशानिर्देशक सिद्धांत ‘राष्ट्र पहले, पार्टी बाद में और स्वयं अंत में’ रहा है जिसका उन्होंने हर परिस्थिति में पालन किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार विविधता एवं अभिव्यक्त की आजादी का सम्मान करना है। भाजपा ने अपने गठन के समय से ही राजनीतिक असहमति जताने वालों को कभी भी शत्रु नहीं माना बल्कि केवल विरोधी समझा। भारतीय राष्ट्रवाद के संदर्भ में भी अपने राजनीतिक विरोधियों को ‘राष्ट्रविरोधी’ नहीं कहा। पार्टी हमेशा ही हर नागरिक के लिए व्यक्तिगत और राजनीतिक स्तर पर चयन की आज़ादी के लिए प्रतिबद्ध रही है।
उन्होंने कहा कि देश में और पार्टी में लाेकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करना भाजपा की हमेशा से गौरवशाली पहचान रही है। भाजपा मीडिया सहित सभी लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता, निष्पक्षता एवं सशक्तता के संरक्षण की मांग उठाने में अग्रणी रही है। राजनीतिक एवं चुनावी वित्तपोषण में पारदर्शिता सहित चुनाव सुधारों को भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिए आवश्यक मानती है और यह हमेशा के उसकी प्राथमिकता रही है।
आडवाणी ने कहा कि सत्य, राष्ट्रनिष्ठा और लोकतंत्र भाजपा के संघर्ष के तीन आधार रहे हैं और यही मूल्य पार्टी के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एवं सुराज के निर्माता रहे हैं। आपातकाल के विरुद्ध हमारा संघर्ष इन्हीं मूल्यों की रक्षा के लिए था। उन्होंने कहा कि मेरी दिली इच्छा है कि हम सब सामूहिक रूप से भारत के लोकतांत्रिक प्रासाद को मजबूत करने में जुटें। चुनाव लोकतंत्र का उत्सव हैं, साथ ही यह उसके सभी हिस्सेदारों -राजनीतिक दलों, मीडिया, चुनाव संचालन करने वाले अधिकारियों और सबसे बढ़कर मतदाताओं के लिए ईमानदारी से आत्मावलोकन करने का अवसर है।