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BJP not fully happy to win Maharashtra Haryana election results - Sabguru News
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महाराष्ट्र-हरियाणा में चुनाव नतीजों के बाद भाजपा की दिवाली में ‘फीकी हुई रोशनी’

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महाराष्ट्र-हरियाणा में चुनाव नतीजों के बाद भाजपा की दिवाली में ‘फीकी हुई रोशनी’

 

महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनाव परिणामों ने कई पूर्व अनुमानों को गलत साबित कर दिय। इन दोनों राज्यों में चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने जिस प्रकार से अपनी ब्रांडिंग की थी उस प्रकार से सफलता नहीं मिल सकी। भाजपा का केंद्रीय आलाकमान इन राज्यों के चुनाव परिणामों को दिवाली से जोड़कर ही देख रहा था। भाजपा के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले अमित शाह और पार्टी के नए कार्यकारी अध्यक्ष बने जेपी नड्डा को पूरा भरोसा था कि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव परिणाम हमारी दिवाली की खुशियाें काे दोगुनी कर देंगे। इन दोनों राज्यों के जो चुनाव नतीजे आए वह भाजपा के मन-मुताबिक नहीं रहे और दिवाली की खुशी भी फीकी कर दी है।

महाराष्ट्र में तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी

हालांकि महाराष्ट्र में तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी लेकिन हरियाणा में भाजपा को सरकार बनाने के लिए मेहनत करनी पड़ रही है। वर्ष 2019 में केंद्र में मोदी सरकार के दोबारा सत्ता संभालने के ठीक पांच महीने बाद दाे मुख्य राज्यों के चुनावी नतीजों में भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत जुटाने का जो दावा कर रही थी उसे पूरा नहीं कर पाई। हालांकि महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के नतीजाें में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। भाजपा को हरियाणा और महाराष्ट्र में जो सीटें मिलीं हैं वो उसे अपनी बड़ी जीत बता रही है।

2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47 सीटें

लेकिन सच्चाई ये है कि हरियाणा के 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 47 सीटें मिलीं थीं और इस बार 40 सीटें मिलीं हैं। वहीं महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को 2014 विधानसभा में 122 सीटें मिलीं थी और इस बार अकेले बीजेपी सिर्फ 105 सीटें ही जीत सकी है। यानि पिछले चुनाव के मुकाबले दोनों राज्यों में भाजपा को सीटों का नुकसान हुआ है। हालांकि भाजपा मुख्यालय में भारतीय जनता पार्टी की इस जीत को भी जमकर सेलिब्रेट किया गया। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि इस जीत को दोनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर लोगों के भरोसे और राज्यों के सीएम देवेंद्र फडणवीस और मनोहर लाल खट्टर पर लोगों की पसंद को मुहर के रूप में देखा जाए।

जनता का भरोसा भाजपा पर कायम

वहीं पीएम मोदी ने महाराष्ट्र-हरियाणा में जीत पर कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि जनता का भरोसा भाजपा पर कायम है। दोनों राज्यों में आए चुनावी नतीजे इस बात की ओर जरूर इशारा करते हैं कि संघीय ढांचे में लोगों ने विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों की जगह शायद स्थानीय मुद्दों को ज़्यादा तरजीह दी है। भाजपा को अब इस बात पर ध्यान होगा कि अनुच्छेद 370 जैसे राष्ट्रवादी मुद्दे विधानसभा चुनाव में कारगर साबित नहीं होंगे। इसके बाद दिल्ली और झारखंड में चुनाव होने हैं। झारखंड में बीजेपी की सरकार है और वहां पर रघुबर दास राज्य के सीएम है। हो सकता है इन चुनावों का असर इन राज्यों पर भी पड़े। यह नतीजे बीजेपी और कांग्रेस के लिए संदेश हैं। हरियाणा में जिस तरह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आखिरी समय में कमान सौंपी गई और उनकी अगुवाई में स्थानीय नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में जमकर मेहनत की है और इसका परिणाम सामने है।

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव परिणाम इस प्रकार रहे

महाराष्ट्र में 105 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन बहुमत के आंकड़े 145 से पीछे रह गई। हालांकि शिवसेना के साथ गठबंधन में मिलकर दोनों पार्टियां 159 सीटों का आंकड़ा छू रहीं हैं। हम आपको यहां बता दें कि महाराष्ट्र में 288 सीटों के लिए 145 सीटों पर जीत की जरूरत है और साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना दोबारा सत्ता पर आसानी से काबिज हाेंगी। लेकिन इसमें भी एक पेंच है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने साफ कर दिया है कि वो सीएम पद के लिए 50-50 के फॉर्मूले पर चलेगी और इस पर बीजेपी के साथ समझौता नहीं करेगी। यानी ढाई साल के लिए बीजेपी का सीएम और ढाई साल के लिए शिवसेना का सीएम होगा। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि मुख्यमंत्री पद के लिए फैसला लिया जाएगा और उसी समझौते के आधार पर लिया जाएगा जो चुनाव से पहले शिवसेना के साथ हुआ था।

शिवसेना 126 सीटों पर लड़ी

गौरतलब है कि 2014 में शिवसेना 282 सीटों पर लड़ी थी और 63 पर जीती थी, इस बार शिवसेना 126 सीटों पर लड़ी है और 56 सीटें जीती है। 2014 में भाजपा ने राज्य में अकेले चुनाव लड़ा और तब उसे 122 सीटें मिली थीं और इस बार शिवसेना के साथ लड़ने पर ये आंकड़ा 110 से भी नीचे आ गया। 2014 की तुलना में बीजेपी का वोट प्रतिशत भी घटा है। 2014 में बीजेपी का वोट प्रतिशत 27.81 फीसदी था जो 2019 में घटकर 25.61 फीसदी रह गया है। महाराष्ट्र में बीजेपी ने 200 पार का नारा दिया था इसलिए शिवसेना के साथ हाथ भी मिलाया लेकिन दोनों मिलकर भी 200 के आसपास नहीं पहुंच पाए। ऐसे में विपक्षियों का कहना है कि इस चुनाव में बीजेपी का राष्ट्रवाद नहीं चला। वहीं सीएम फडणवीस का कहना है कि पिछली बार हमने सारी सीटों पर चुनाव लड़कर 122 सीटें मिली थी और इस बार 164 सीटों पर चुनाव लड़कर 105 सीटें जीती हैं इस लिहाज से हमारा स्ट्राइक रेट इस बार बढ़ा है।

हरियाणा के चुनाव परिणामों ने भाजपा को किया निराश

हरियाणा के 2014 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 47 सीटें मिलीं थी जो इस बार घटकर 40 रह गई हैं। हालांकि 2014 की तुलना में बीजेपी का वोट प्रतिशत 33.20 फीसदी से बढ़कर 36.40 फीसदी पर पहुंच गया है। हरियाणा में 40 सीटें जीत कर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी फिर भी बहुमत नहीं हासिल कर पाई। राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के लिए सबसे ज्यादा दुख इस बात का रहा कि उनकी पार्टी के आठ मौजूदा मंत्री हार गए हैं। वहीं कांग्रेस की बात करें तो 2014 में इसने 15 सीटें जीती थीं जो 2019 में बढ़कर 31 सीटें हो गई हैं यानी पार्टी की सीटें दोगुनी हो गई हैं।

प्रियंका ने फिर लगाया काउंटिंग गड़बड़ी होने का आरोप

हरियाणा में कांग्रेस की इस जीत के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चेहरा माना जा रहा है। हुड्डा को राहुल गांधी की पसंद नहीं माना जाता है। राहुल गांधी ने हरियाणा में ज्यादा प्रचार भी नहीं किया और हुड्डा के साथ एक मंच पर भी नहीं आए। बावजूद इसके कांग्रेस ने अच्छी वापसी की । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दोनों राज्यों में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर खुशी जाहिर की। साथ ही प्रियंका ने गुड़गांव में काउंटिंग के दौरान गड़बड़ी होने का आरोप लगाया । हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी का शानदार प्रदर्शन रहा। ये पार्टी 11 महीने पहले बनी और 10 सीटों पर जीतकर किंग मेकर की भूमिका में होने का दावा कर रही है।

हरियाणा में गोपाल कांडा का समर्थन नहीं

हरियाणा में भाजपा भले ही 40 सीटें जीतकर बहुमत से 6 सीटें दूर रह गई है लेकिन उसे भरोसा है वो राज्य में सरकार बना लेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि हरियाणा में हरियाणा लोकहित पार्टी के नेता गोपाल कांडा ने बीजेपी को समर्थन देने का एलान कर दिया है और उनके भाई गोविंद कांडा ने ये जानकारी खुद दी है। इतना ही नहीं वो अपने साथ कुछ और विधायकों को दिल्ली ले गए हैं जो बीजेपी को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। इसलिए भारतीय जनता पार्टी भरोसा कर जता रही है कि इनके समर्थन से वो सरकार बना लेगी। गोपाल कांडा के साथ इन संभावित विधायकों के नाम धर्मपाल गोंदर, रंजीत चौटाला, बलराज कुंडू, सोमबीर सांगवान और नयन पाल हैं। दूसरी ओर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी सरकार बनाने में लगे हुए हैं।

भाजपा के ‘चाणक्य’ की वजह से बिगड़ गया गेम

केंद्र में मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने पर भाजपा के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले अमित शाह को गृह मंत्रालय जैसे अहम पद की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन तभी से ही यह सवाल उठ खड़ा हुआ था कि अब भाजपा पार्टी में उनकी सक्रियता कितनी रहेगी ? हालांकि कुछ दिनों बाद  जेपी नड्डा को भारतीय जनता पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। साथ ही बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में ये फैसला हुआ कि अगले कुछ महीने तक अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष बने रहेंगे।

अमित शाह की वजह से सरकार में पार्टी में कमजोरी

लोकसभा चुनाव में पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली और इस जीत के 5 महीने बाद जब महाराष्ट्र-हरियाणा विधानसभा के जो चुनावी नतीजे आए हैं, उसके बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या अमित शाह के सरकार में चले जाने से पार्टी को वैसे नतीजे नहीं मिल पाए। गृह मंत्रालय जैसे अहम विभाग संभालने के कारण अमित शाह पार्टी को उतना समय नहीं दे पाए जिसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ा है। इन दो राज्यों के जो नतीजे आए हैं उसके बाद यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बीजेपी के ‘चाणक्य’ की कम सक्रियता का असर नतीजों पर पड़ा है।

अमित शाह पहले दिन से ही एक्टिव

गृहमंत्री अमित शाह पहले दिन से ही एक्टिव हो गए जैसे वो पार्टी में थे। एक के बाद एक वो कई फैसले ले रहे थे। कम समय में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया। यह एक ऐसा फैसला था जिसको लेकर बीजेपी लंबे समय से अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा तो करती आई थी लेकिन पूरा नहीं कर पाई थी। अमित शाह ने सदन के अंदर और बाहर इसको लेकर जो सक्रियता दिखाई उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा। अनुच्छेद 370 को समाप्त करना ही नहीं बल्कि उसके बाद हालात को संभालना भी एक बड़ी चुनौती थी लेकिन जिस तरीके से पूरे मसले पर अमित शाह ने बारीक नजर बनाए रखी उसी का नतीजा है कि वहां हालात पूरी तरह नियंत्रण में है। 370 ही नहीं कम समय में ही ‘ट्रिपल तलाक’ और ‘एनआरसी’ पर भी सरकार की ओर से अहम फैसला लिया गया और यह अमित शाह की सक्रियता का ही नतीजा था।

भाजपा सरकार बनाने से चूक गई

भाजपा के नए कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में जेपी नड्डा की चुनौती पार्टी की जीत की लय को बरकरार रखना था। लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार महाराष्ट्र, हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे थे। बीजेपी भले ही किसी राज्य में नंबर दो पर नहीं गई है लेकिन जीत जबर्दस्त वाली बात भी नहीं रही। अकेले अपने दम पर इन दोनों ही राज्यों में भाजपा सरकार बनाने से चूक गई है। शाह ने अपने कार्यकाल में बीजेपी को जिस मुकाम पर पहुंचाया है उसे बनाए रखना नए अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए चुनौती भरा रहेगा। नड्डा अभी कार्यकारी अध्यक्ष हैं, लेकिन उनके सामने पार्टी को शीर्ष पर बनाए रखने के साथ-साथ खुद को एक सशक्त और दमदार अध्यक्ष के रूप में पेश करना होगा।

उपचुनाव के नतीजों में भी भाजपा को खास फायदा नहीं हुआ

भाजपा और इसके सहयोगी दलों ने 18 राज्यों में 51 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के परिणाम इस प्रकार रहे।

उपचुनावों में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ा फायदा हुआ, जिसने सत्तारूढ़ बीजेपी और बीएसपी से एक-एक सीट छीनी है। राज्य में एनडीए ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की। इस तरह उसे एक सीट का नुकसान हुआ। 11 विधानसभा सीटों में भाजपा ने सात और उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने एक सीट जीती। बिहार में सत्तारूढ़ जद (यू) को तगड़ा झटका लगा। पार्टी ने विधानसभा उपुचनाव में कुल पांच में से चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसे एक पर ही जीत मिली। वहीं, आरजेडी ने दो सीटें जीती, जबकि एआईएमआईएम एक सीट पर विजयी रही। एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजेता रहा।

ओवैसी की जीत का डंका

बीजेपी के बागी उम्मीदवार करनजीत सिंह ने दरौंदा सीट बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीती। हैदराबाद के सांसद ओवैसी नीत एआईएमआईएम ने मुस्लिम बहुल सीट किशनगंज पर जीत दर्ज कर राज्य में दस्तक दी। जद (यू) सिर्फ नाथनगर सीट ही जीत पाई जहां उसके उम्मीदवार लक्ष्मी कांत मंडल ने राजद की राबिया खातून को 5,000से अधिक वोटों के अंतर से हराया।  जिन पांच सीटों पर उपचुनाव हुए उनमें चार सीटें भाजपा के सहयोगी दल जद(यू) के पास थी जबकि एक पर कांग्रेस का कब्जा था।

झाबुआ पर कांग्रेस का राज

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी परंपरागत सीट झाबुआ मुख्य विपक्षी दल भाजपा से छीन ली है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं भाजपा उम्मीदवार भानू भूरिया को 27 हजार 804 मतों से हरा दिया। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित चित्रकोट विधानसभा सीट में कांग्रेस के राजमन बेंजाम ने अपने निकटतम भारतीय जनता पार्टी के लच्छुराम कश्यप को 17862 मतों से पराजित किया है। राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मंडावा (झुंझुनू) विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल की है। वहां कांग्रेस की रीटा चौधरी ने भाजपा की सुशीला सींगड़ा को 33,704 मतों से हराया। इस जीत के साथ 200 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़ कर 107 हो गई, जिसमें वे छह विधायक भी हैं जो पिछले महीने बसपा से दलबदल कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।

पंजाब में कांग्रेस की बल्ले-बल्ले

उपचुनाव के नतीजों के साथ पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भी अपनी स्थिति मजबूत की है। जलालाबाद सीट पर पार्टी के उम्मीदवार रमिंदर अवला ने शिअद के राज सिंह दीबीपुरा को 16,633 वोटों के अंतर से हराया। फगवाड़ा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार एवं पूर्व आईएएस अधिकारी बलविंदर सिंह धालीवाल ने बीजेपी उम्मीदवार राजेश बाघा को 26,116 मतों से हरा दिया। वहीं, दाखा सीट पर शिरोमणि अकाली दल के प्रत्याशी मनप्रीत सिंह इयाली ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं कांग्रेस उम्मीदवार संदीप सिंह संधू को 14,672 मतों से पराजित कर दिया। कांग्रेस उम्मीदवार इंदु बाला ने मुकेरियां विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी जंगी लाल महाजन को 3,440 वोटों के अंतर से हराया।

गुजरात में कांग्रेस व बीजेपी जबरदस्त टक्कर

गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस ने तीन-तीन सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर राधनपुर से हार गए।  उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार रघुभाई देसाई ने करीब चार हजार वोटों के अंतर से हराया। वहीं, बायड और थारड में भी कांग्रेस उम्मीदवार विजयी रहे। जबकि खेलारू, लुनावाडा और अमराईवाडी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनावों में दोनों पर ही भाजपा ने जीत दर्ज कर ली। राज्य में पच्छाड और धर्मशाला सीटों पर इस हफ्ते की शुरुआत में उपचुनाव हुए थे। पच्छाड सीट पर भाजपा की रीना कश्यप ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और कांग्रेस उम्मीदवार गंगू राम मुसाफिर को 2808 वोटों के अंतर से हराया। धर्मशाला में भाजपा प्रत्याशी विशाल नेहरिया ने 6,673 मतों के अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एवं निर्दलीय उम्मीदवार राकेश कुमार को हरा दिया।

 शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार