नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी को उम्मीद है कि वह अगले लोकसभा चुनावों में 90 ऐसी सीटों पर जीत हासिल करेगी जिन पर वह 2014 में नहीं जीत पाई थी। अगले चुनाव में हिन्दुत्व को बड़े मुद्दे के रूप में लेकर भाजपा 283 से अधिक सीटों पर परचम फहराने का सपना देख रही है।
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भाजपा ने बूथ स्तर पर संगठन की मजबूती पर विशेष ध्यान दिया है और अगले लोकसभा चुनावों के लिए वह कम से कम 90 ऐसी सीटों पर जीत हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है जिनमें वह 2014 में जीत नहीं पाई थी।
सूत्रों ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा 283 से अधिक सीटें हासिल करेगी। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में उसे कम से कम 22 सीटों पर जीत हासिल होगी।
अगले लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की सीटों की अहमियत और राज्य में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के एक साथ आने की संभावना की चर्चा किए जाने पर सूत्रों ने कहा कि पार्टी ने इस संभावना पर जून 2013 से ही काम करना शुरू कर दिया था और उसे पता था कि एक दिन ये दोनों दल एक साथ चुनाव में उतरेंगे।
सूत्रों ने कहा कि भाजपा को इसे ध्यान में रखते हुए 50 प्रतिशत मत चाहिए। पिछले चुनाव में भाजपा 40 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल कर चुकी है और अब उसे दस प्रतिशत और मतों की जरूरत है। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों के गठबंधन के कारण छिटकने वाले वोटों को लेकर भाजपा इस कमी को भी पूरा करेगी और जीत हासिल करेगी।
उत्तर प्रदेश के फूलपुर एवं गोरखपुर संसदीय क्षेत्रों के परिणामों के बारे में एक सवाल पर सूत्रों ने कहा कि इन परिणामों की समीक्षा की गयी है और इस बारे में समुचित कदम भी उठाये जाएंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस को हिन्दू आतंकवाद के मुद्दे पर जवाब देना होगा।
लाखों साल का इतिहास है कि कभी किसी हिन्दू राजा ने भारत की सीमा के बाहर राज्य विस्तार के लिए हमला नहीं किया तो फिर हिन्दुओं को आतंकवादी कैसे कहा जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस को बेनकाब कर देंगे।
कर्नाटक चुनावों के बारे में सूत्रों ने कहा कि राज्य में भाजपा के पक्ष में माहौल है और भाजपा अच्छे अंतर से जीत हासिल करेगी। राज्य में विभिन्न धार्मिक मठों की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि कर्नाटक के मठों की राजनीतिक सक्रियता अन्य राज्यों में धार्मिक मठों की तुलना में कहीं अधिक है और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अब तक 176 मठों से संपर्क स्थापित कर चुके हैं।
कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन को लेकर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के आंदोलन के बारे में सूत्रों ने कहा कि इस विषय में तमिलनाडु एवं कर्नाटक सरकारों को मिलकर समझौता करना है। लेकिन, चुनाव घाेषित होने के बाद कर्नाटक सरकार केवल कार्यवाहक सरकार रह गयी है और वह कोई नीतिगत निर्णय नहीं ले सकती। इसलिए, अगली सरकार के आने का इंतजार करना होगा।