बीकानेर । राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीकानेर (पूर्व) विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी विधायक सिद्धिकुमारी और कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैयालाल झंवर में मुख्य मुकाबला होने की संभावना हैं।
इस क्षेत्र से इस बार भाजपा और कांग्रेस सहित नौ राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यहां तेरह निर्दलीय सहित कुल 22 उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। भाजपा की ओर से पिछले दो चुनावों में जीत रहीं सिद्धिकुमारी फिर से मैदान में है जबकि कांग्रेस की ओर से इस बार नोखा के पूर्व निर्दलीय विधायक कन्हैयालाल झंवर को उतारा गया है।
हालांकि इन दोनों में मुख्य मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन इस क्षेत्र से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार गोपाल गहलोत मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इनके अलावा यहां से आम आदमी पार्टी से हनुमान चौधरी, रफीक शाह (बीएसपी), अंकुर शुक्ला (एआरजेपी), मधुबाला (डीकेडी), मूलचंद नायक (एपीओआई) विवेक माचरा (आरएलटीपी), हरि सिंह रासीसर (एसएचएस) चुनाव लड़ रहे हैं।
इनमें कांग्रेस के बागी उम्मीदवार गोपाल गहलोत ऐसे उम्मीदवार हैं जो दोनों ही दलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पिछली बार यहां से गोपाल गहलोत कांग्रेस की ओर से लड़े थे और सिद्धिकुमारी से हारे थे, लेकिन इस बार कांग्रेस ने उनका टिकट काटकर उनकी जगह कन्हैया लाल झंवर को चुनाव मैदान में उतार दिया। इससे नाराज होकर होकर गोपाल गहलोत बागी हो गये और अब वह दो विधानसभा क्षेत्रों बीकानेर पूर्व और बीकानेर पश्चिम से निर्दलीय के रूप में लड़ रहे हैं।
बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र का गठन परिसीमन के बाद 2008 के चुनावों से पहले ही हुआ। तब इस नवगठित सीट पर भाजपा ने बीकानेर के पूर्व राजघराने की सदस्य सिद्धिकुमारी को उतारा था जिन्होंने कांग्रेस के डा. तनवीर मालावत पर 38 हजार से अधिक मतों से प्रभावी जीत दर्ज की। 2013 में भाजपा से कांग्रेस में आये गोपाल गहलोत सिद्धिकुमारी के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन वह करीब 31 हजार मतों से चुनाव हार गए। इस बार सिद्धि कुमारी के सामने कन्हैया लाल झंवर है। झंवर की पूरी राजनीति नोखा तक सीमित रही है। वहां उनकी ताकतवर नेता के रूप में पहचान है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है बीकानेर पूर्व में भी वह कड़ी टक्कर देंगे।
हालांकि पूर्व राजघराने की सदस्य होने की वजह से सिद्धि कुमारी का राजनीतिक प्रभुत्व है। दोनों के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। टक्कर बराबरी की रही तो गोपाल गहलोत तथा अन्य निर्दलीय उम्मीदवार हार जीत में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।