सिरोही। भाजपा के मंडल अध्यक्ष अन्य कार्यक्रमों की तरह मंगलवार को स्वघोषित ज्ञापन कार्यक्रम के लिए अपने मंडल के भी 12 लोग इकट्ठे नहीं कर पाए। संगठन के दूसरे घटक नहीं होते तो लोकेश खंडेलवाल अपने खुदके मंडल में एक दर्जन लोग इकट्ठे नहीं कर पाते । जबकि इनकी खुदकी कार्यकारिणी 3 दर्जन की है।
ये स्थिति तब थी जबकि ये एकत्रीकरण हिंदुओं को बचाने का आह्वान पर की गई थी। शहर में शीघ्र परिर्वतन यात्रा होने वाली है। जिसमें लोगों का एकत्रिकरण ही महत्वपूर्ण है। जो हालात लोकेश खंडेलवाल के प्रति उनके अपने मंडल में दिख रहे हैं उससे ऐसे नेतृत्व से भाजपा के शेष संगठन नहीं लगेंगे तो शायद ही कुछ काम हो पाए।
नाराज हुए दलित नेता
लोकेश खंडेलवाल की नेतृत्व क्षमता और खुदको फोटो में आगे रखने की लालसा का एक उदाहरण यहां देखने को मिला। लोकेश खंडेलवाल ने तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन के द्वारा सनातन पर की गई टिप्पणी पर जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने का कार्यक्रम रखा। इसमें नगर मंडल और सिरोही नगर के दूसरे भाजपा पदाधिकारियों के शामिल होने का सन्देश दिया। इसके सन्देश के बाद इनके मंडल के बामुश्किल पौन दर्जन कार्यकर्ता भी इसमें शामिल नही हो पाए होंगे। शेष सवा दर्जन एससी एसटी मोर्चा और जिला संगतन के पदाधिकारी थे।
जिला कलक्टर से उनके चैंबर में मिलने जाने का लिए आधा दर्जन लोगों की संख्या निर्धारित की गई। ऐसे में नेतृत्व क्षमता का बड़प्पन दिखाते बिना अपने खास लोगों के साथ चेंबर में चले गए। अनुसूचित जाति और जनजाति प्रकोष्ठ के तीन प्रमुख पदाधिकारियों को बाहर ही छोड़ दिया। ऐसे में ये लोग स्वयं को अपमानित करते महसूस है। नेता प्रतिपक्ष मगन मीणा ने तो वहीं जबरदस्त विरोध दर्ज करवाया। वहीं अनुसूचित मोर्चा के पदाधिकारी प्रवीण राठौड़ ने भाजपा नगर मंडल के व्हाट्स एप समूह में लिखा कि आज फिर हमारा हनन हुआ। कब तक ऐसा होगा।
अपने पदाधिकारियों के सम्मान की रक्षा नहीं कर पाए
हाल ही में भाजपा की परिवर्तन यात्रा को लेकर जिला विधानसभा स्तर पर कार्यव्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी। जो सूची प्रकाशित हुईं उसमें कनिष्ठ कार्यकर्ता का नाम इनके मंडल से पदाधिकारी से ऊपर लिखा गया। उस पदाधिकारी ने ये देखकर तुरंत जिलाध्यक्ष को फोन करके अपत्ति दर्ज करवाई। पदाधिकारी ने बताया कि उन्होंने नगर मंडल अध्यक्ष को भी इससे अवगत करवाया, लेकीन उनकी प्रतिक्रिया इसके प्रति सख्त नहीं थी जैसी अपेक्षा नेता से की जाती है।