जोधपुर। राजस्थान के भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने राज्य में बिजली उत्पादन एवं संकट को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि कोयले को समय पर नहीं लेने के कारण राज्य सरकार अपनी विफलता से ध्यान हटाने के लिए लीपापोती कर रही है जो यह सरकार का कुप्रबंधन है।
डॉ. पूनियां ने सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत बिजली की आपूर्ति कोयले पर आधारित थर्मल प्लांट्स पर होती है और राजस्थान में कोयले की किल्लत इसलिए हुई कि जब कोयला मिल रहा था तब राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कोयले को समय पर नहीं उठाया और ना ही समय पर मांग की।
उन्होंने कहा कि राज्य में दूरदर्शी सरकार होती तो समय पर कोयला की मांग करती, जिससे छह थर्मल प्लांट्स पर बिजली उत्पादन का संकट नहीं आता। मांग और आपूर्ति का अंतर आया वो कोयले की कमी के कारण आया, जिसकी वजह राजस्थान की गहलोत सरकार मांग व आपूर्ति का संतुलन नहीं बना पाई, जिससे प्रदेश में यह संकट आया।
उन्होंने कहा कि 50 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस की सरकार बताए कि वैकल्पिक ऊर्जा के राज्य में क्या उपाय किए। राजस्थान के पश्चिम हिस्से को इन्होंने सोलर हब बनाने को कहा था, जिसको लेकर धरातल पर विजन के साथ काम नहीं हो रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान राज्य सरकार की तरफ उम्मीद लगाए बैठे हैं कि बिजली संकट का समाधान निकाले, जिससे वह सिंचाई कर रबी फसलों की समय पर बुवाई कर सकें और बाद में भी सिंचाई के लिए बिजली आपूर्ति सुनिश्चित हो। ऐसे में गहलोत को बयानबाजी के बजाय बिजली संकट का व्यवस्थित तरीके से समाधान की तरफ गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।
प्रदेश में छह बड़ी कंपनियां बिजली उत्पादन करती हैं, गहलोत सरकार के कुप्रबंधन के कारण कुछ दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है, जबकि दूरदर्शी सरकार होती तो कोयला का पर्याप्त स्टॉक रखती।
उन्होंने कहा कि कोल इंडिया का कहना है कि राज्य सरकार ने पूरे वर्ष कोयला की मांग नहीं की, न बकाया राशि का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार राज्य को मांग के अनुसार कोयला आपूर्ति सुनिश्चित कर ही है, सिर्फ मुख्यमंत्री मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं, अपनी विफलताओं को छुपाने के लिये केन्द्र पर तथ्यहीन आरोप लगा रहे हैं।