जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने कांग्रेस सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट हताशा, निराशा, उत्साहहीन, दिशाहीन और थोथी घोषणाओं वाला है। कांग्रेस सरकार ने पिछले बजट में जो घोषणाएं की थी, वह सिर्फ कागजों और विज्ञापनों में ही दिखाई देती हैं, उनकी धरातल पर क्रियान्विति नहीं हुई। इसी तरह यह बजट भी कोरा कागज ही सिद्ध होगा। यह बजट पिछले बजट को ही कट, काॅपी और पेस्ट किया गया है।
किसानों की कर्जा माफी और बेरोजगारों को भत्ता देने की घोषणा करने के बाद भी इसको लागू करने में सरकार असफल रही। वहीं प्रदेश में कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा है, अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। अपराध की रोकथाम के लिए कानून व्यवस्था दुरुस्त हो, इसके लिए बजट में किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं की गई।
कर्जा माफी का झूठा वादा करके किसानों का कर्जा माफ नहीं किया गया जिसके कारण प्रदेश के कई किसान आत्महत्या कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस सरकार ने इस बजट में उनको राहत देने की कोई बात नहीं कही। दस लाख युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा करने वाली सरकार, केवल डेढ़ लाख बेरोजगारों को भत्ता देकर अपने वादे से मुकर चुकी है और युवाओं को रोजगार देने में भी असफल रही, इस कारण प्रदेश का युवा रोजगार के लिए आंदोलन करने को मजबूर है।
घोषणा पत्र में प्रदेश की जनता से बिजली की दरों को नहीं बढ़ाने का वादा किया गया किंतु एक साल में ही बिजली की दरों को बढ़ा दिया और आज बजट में भी बिजली की दरों में राहत देने का कोई उल्लेख नहीं किया। पुलिस का आधुनिकीकरण कैसे हो, उनको नए संसाधन कैसे दिए जाएं, पुलिस का मनोबल किस तरह बढ़े, इसे लेकर भी सरकार की कार्ययोजना और बजट का न होना बहुत निराशाजनक है।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि पीएससी, सीएससी और सब सेन्टर जनता में इनकी बड़ी मांग है। उन मांगों को पूरा करने के लिए सरकार ने बजट में कुछ नहीं किया। कांग्रेस की फितरत है टाइटल बदलना, नाम बदलना और भाजपा की सरकारों की योजनाओं को अपनी योजना बता देना।
इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और विवेकानंद जी का सभी सम्मान करते हैं। विवेकानंद जी के नाम पर जो माॅडल स्कूल खुले थे, वह बहुत ही अच्छे चल रहे हैं, लेकिन इस सरकार ने विवेकानंद माॅडल स्कूल का नाम बदलकर अब महात्मा गांधी माॅडल स्कूल कर दिया है। इससे जनता को क्या फायदा होगा? एक लोक कल्याणकारी सरकार जिस तरीके से इंफ्रास्ट्रक्चर का, डेवलपमेंट का, बुनियादी विकास का कमिटमेंट करती है, वो इस बजट मे नदारद है। इस बजट में नए काॅलेज खोलने की कोई घोषणा नहीं हुई।
बजट में रिफाइनरी पर महज लीपापोती हुई और प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई। इस बजट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिससे राजस्थान की शक्ल और सूरत बदल जाए। यह जो बजट है, बहुत सारी योजनाओं पर तो केन्द्र पर निर्भर है, जबकि कांग्रेस सरकार तोहमत भी लगाएगी तो केन्द्र पर, उम्मीद भी केंद्र सरकार से रखेगी।
प्रदेश सरकार के जो वित्तीय प्रबंधन हैं, उसके बारे में किसी भी तरीके का कोई इंतजामात नहीं है। यह रूटीन बजट है और इस बजट से राजस्थान के किसी भी तबके को कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। किसी भी दिशा से यह बजट प्रदेश की आम जनता की अपेक्षाओं का बजट नहीं है। यह बजट कांग्रेस सरकार के मानसिक, वैचारिक और आर्थिक दिवालियापन को दर्शाता है।
इसी तरह विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचन्द कटारिया ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि निरोगी राजस्थान बनाने के लिए 100 करोड़ रूपए का बजट रखा गया है, वह ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ के समान है। फसल बीमा योजना में बीमा कम्पनी के रबि एवं खरीफ की फसलों के 1400 करोड़ रूपये बकाया है, जिसका बजट में कहीं भी प्रावधान नहीं किया गया है।
बजट में किसानों को आठ घण्टे बिजली दो फेस (दिन-रात) में देने की बात कही है, जिसका तीन वर्ष में प्रबन्धन करेंगे, ऐसा कहना किसानों के साथ छलावा है। बजट में 15 मेडिकल काॅलेज खोलने की बात कहीं गई है, परन्तु केन्द्र सरकार द्वारा मेडिकल काॅलेज खोलने के लिए पहले ही 60 प्रतिशत राशि का अनुदान दिये जाने की बात कही जा चुकी है।
विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने बजट को घोर निराशावादी बताते हुए कहा कि गहलोत पूरे बजट भाषण के दौरान केन्द्र सरकार को कोसते नजर आए, क्योंकि उनके पास स्वयं की सरकार की उपलब्धियों के नाम पर बताने के लिए कुछ था ही नहीं। विजन के मामले में गहलोत सरकार निकट दृष्टिदोष और दूर दृष्टिदोष के शिकार हैं, जिस कारण पूरा प्रदेश विकास के शिखर से बदहाली के रसातल में पहुँच गया है।
राठौड़ ने कहा कि वित्त मंत्री के तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शब्दों की बाजीगरी करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी। सात संकल्पों की बात तो की, पर उन्हें पूरा कैसे करेंगे, इसका कोई रोडमैप नहीं रखा। बजट में बहुत सारी घोषणाएं ऐसी हैं, जो पिछली भाजपा सरकार के समय की हैं, उन्हें भी नया बताकर इस बजट में शामिल किया गया है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, एएनएम के बीच समन्वय और कन्वर्जेन्स का प्रयोग गत भाजपा सरकार के समय ही शुरू किया गया था, जिसे वर्तमान सरकार अपनी पहल बताकर पेश कर रही है। इससे अधिक हैरत की बात क्या होगी कि राज्य कर्मचारियों के लिए साल में दो बार बढ़ने वाले डीए को भी बजट घोषणा के तौर पर शामिल किया गया है।
पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. अरूण चतुर्वेदी एवं अशोक परनामी ने बजट प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में भी केन्द्र सरकार को कोसने का कोई मौका गहलोत ने छोड़ा नहीं, पर उन्होंने यह नहीं बताया कि केन्द्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को वह राज्य में लागू क्यों नहीं कर रहे है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में केन्द्रीय बजट की घोषणाओं को अपने कागज पर लिख कर राज्य के बजट में बोल रहे है, प्रत्येक जिले में मेडिकल काॅलेज खोलने की घोषणा केन्द्रीय बजट की है, राज्य में नये मेडिकल काॅलेज खोलने की घोषणा उसी की पुनरावृत्ति है।
विधायक एवं पूर्व चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने बजट को निराशा जनक बताते हुए कहा कि इसमें कोई घोषणा नहीं की गई। पिछले बजट में 75 हजार नौकरियाँ देने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं किया गया है। इस बजट में किसानों के कर्जा माफी, बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की एवं बीसलपुर योजना से ब्राह्मणी नदी को जोड़ने की बात कहीं भी नहीं की गई।